
श्याम बेनेगल
बॉलीवुड सिनेमा में एक दौर ऐसा भी रहा है जब यहां फिल्में सामाजिक मुद्दों को संबोधित करती थीं। देश के गरीब और सड़ती व्यवस्थाओं पर प्रकाश डालती थीं। जब प्रोफिट सेकेंडरी था और कहानी के साथ देश के लोगों की जिम्मेदारी पहले। इसी दौर के एक डायरेक्टर ऐसे रहे हैं जिनका नाम है श्याम बेनेगल। जिन्होंने अपने करियर में ऐसी फिल्में बनाईं जो समय फेर के पार चली गईं। उन्होंने 18 से ज्यादा नेशनल अवॉर्ड्स जीते। इतना ही नहीं उन्होंने अपने करियर में पद्मभूषण और पद्मश्री जैसे सम्मानों से भी ख्याति बटोरी और राज्यसभा सांसद भी रहे। जिन्हें अमरीश पुरी समेत पूरे बॉलीवुड के जहीन कलाकार सलाम ठोकते थे।
फिल्में जिन्होंने समाज पर डाला गहरा असर
श्याम बेनेगल का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था और 1959 में उन्होंने नौकरी की तलाश करते हुए मुंबई का रुख किया था। यहां बतौर कॉपी राइटर एक विज्ञापन एजेंसी में काम शुरू किया और कई तरह की शॉर्ट फिल्में बनाने लगे। करीब एक दशक तक उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज बनाईं और खूब नाम कमाया। फिर दौर आया 70 के दशक का जब सभी ऐसा सिनेमा बना रहे थे जिसमें नाच गाना और मनोरंजन के पूरे साधन हुआ करते थे, तभी श्याम बेनेगल फिल्म ‘अंकुर’ बनाई। ये फिल्म न केवल भारत में बल्कि वैश्विक पटल पर अपनी अनोखी पहचान, कॉम्पलेक्स कहानी और समाजवाद का प्रतिनिधित्व करने वाली फिल्म बनी। उन्होंने इसी फिल्म के साथ बॉलीवुड में पैरलल सिनेमा की पहचान थामी। इसके बाद लगातार बेहतरीन कहानियां कहते रहे और इस देश के जनता के हितों की सुरक्षा करते रहे। अपने करियर में 4 दर्जन से ज्यादा फिल्में बनाने वाले बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को ओम पुरी, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह जैसे धाकड़ कलाकार दिए जिन्होंने फिल्मी दुनिया में एक्टिंग के स्वरूप को बदला।
अवॉर्ड्स के किंग थे श्याम बेनेगल
बेनेगल की पहचान इस बात से थी कि उनका सिनेमा बेहद गंभीर और दिमाग पर चोट करने वाला हुआ करता था। जिसमें इतिहास, राजनीति और मानव अस्तित्व के साथ गलत करने वालों के दिमाग पर ठनका लगा करता था। उन्होंने अपने करियर में 18 नेशनल अवॉर्ड्स जीते और भले ही उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल न दिखा पाएं लेकिन चेतनासंपन्न इंसानों के जहन पर गहरी चोट करती थीं। बेनेगल की कई फिल्में ऐसी रहीं जिन्हें देखने के बाद इंसान फिर कभी वैसा नहीं रहता था जैसा वो हुआ करता था। उन्होंने अपने करियर में निशांत, मंथन, भूमिका, जुनून और कलयुग जैसी कालजयी फिल्में बनाईं। साथ ही टीवी की दुनिया में भी ऐसी कहानियां कहीं जिन्होंने लोगों की समझ और इस देश की पहचान के बारे में फिर से सोचा। भारत एक खोज नाम का सीरियल भी उन्होंने बनाया जो भारत की 5000 साल के इतिहास की जानकारी देता है जिसे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की किताब से लिया गया था। अपनी फिल्मों में मुस्लिमों को लेकर भी उन्होंने कई तरह के पहलू सामने रखे। बाद में 2006 से 2012 के बीच राज्यसभा सांसद भी चुना गया। इतना ही नहीं पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किए गए।
बांग्लादेश पर बनाई फिल्म
बेनेगल ने अपने करियर की आखिरी फिल्म बनाई थी जो बांग्लादेश के बनने की कहानी बताती है। इस फिल्म का नाम था ‘मुजीब: द मैन ऑफ नेशन’। ये फिल्म साल 2003 में रिलीज हुई थी और बांग्लादेश के फाउंडिंग फादर मुजीबुर्रहमान की जिंदगी पर बनी थी। इस फिल्म में बांग्लादेश की गहरी राजनीति और उसके बंटवारे के तमाम पहलू पर्दे पर देखने को मिले थे। बेनेगल का बीते साल 2024 में 90 साल की उम्र में निधन हो गया था। लेकिन उनके करियर के दौरान उन्हें पूरा बॉलीवुड सलाम ठोकता रहा। बॉलीवुड के धाकड़ विलेन रहे अमरीश पुरी ने एक बार कहा था कि श्याम बेनेगल से बात करना किसी किताब पढ़ने जैसा है और उनकी जानकारी के साथ समझ आपको हर बार प्रेरित कर एक नया इंसान बनाती है। आज श्याम बेनेगल भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उन्होंने 90 साल की जिंदगी में इस सिनेमाई जगत को ऐसा धन दिया है जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।
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