ChatGPT को लेकर AI साइंटिस्ट ने कही ऐसी बात, इस्तेमाल करने से पहले 10 बार सोचेंगे


ChatGPT- India TV Hindi
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चैटजीपीटी

ChatGPT को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। एआई सेक्टर के साइंटिस्ट योशुआ बेंगियो ने चैटजीपीटी को लेकर ऐसी बातें कही हैं, जिसके बाद इसे यूज करने से पहले 10 बार आप सोचेंगे। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब चैटजीपीटी और जेनरेटिव एआई के खतरों को लेकर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने ऐसी बातें कही हो। इससे पहले एआई के गॉडफदर जेफ्री हिंटन ने भी जेनरेटिव एईआई से होने वाले खतरों को लेकर चिंता जाहिर की।

जेनरेटिव एआई है खतरनाक

एप्पल, गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट समेत दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां, स्टार्टअप इन दिनों एआई में बड़ा निवेश कर रही हैं। एआई साइंटिस्ट योशुआ बेंगियो ने हाल ही में ‘द डायरी ऑफ ए सीईओ’ के नाम से एक पॉडकास्ट किया है, जिसमें उन्होंने एआई के खतरों को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि चैटजीपीटी हमें खतरनाक रास्ते पर ले गया है। बता दें कि 2022 में चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद से ही दुनियाभर की टेक कंपनियों ने जेनरेटिव एआई टूल पर फोकस किया था।

इस पॉडकास्ट में योशुआ बेंगियो ने कहा कि उन्हें चैटजीपीटी के खतरों को लेकर लोगों को जागरूक करना है। यह जेनरेटिव एआई लोगों को खतरनाक रास्ते पर ले गया है। उन्हें बस जागरूक करके ये बताना है कि एआई की वजह से क्या हो सकता है। साथ ही, लोगों को ये उम्मीद भी देनी है कि कुछ रास्ते चुनकर हम इनसे पैदा होने वाले बड़े खतरे को कम कर सकते हैं। पॉडकास्ट में जब होस्ट ने उनसे पूछा कि चैटजीपीटी में ऐसा क्या था, जिसकी वजह से उनकी सोच बदल गई?

इंसानों के लिए बन सकता है खतरा

एआई साइंटिस्ट बेंगियो ने कहा कि ChatGPT के आने से पहले वो और उनके साथी साइंटिस्ट सोचते थे कि मशीनों को भाषा समझने में कई दशक लग जाएंगे, लेकिन चैटजीपीटी ने दिखा दिया कि अब मशीनें भाषा समझने लगी हैं। इस पॉडकास्ट में उन्होंने एलन ट्यूरिंग का जिक्र किया है। ट्यूरिंग ने 1950 में कहा था कि अगर मशीनें भाषा समझने लगेंगी तो वो इंसानों की तरह बुद्धिमान हो सकती है, जो कि खतरा पैदा करेगी।

बेंगियो ने कहा कि मशीनें तो भाषा समझने लगी हैं, लेकिन प्लानिंग समेत कई दूसरे कामों में अभी पीछे हैं। उन्होंने साफ किया है किए एआई रोबोट अभी कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन आने समय में इनसे खतरा हो सकता है। उन्होंने ये बताया कि 2023 की शुरुआत में उन्हें ऐसा लगा कि हम वो चीजें बना रहे हैं जो इंसानों का दुश्मन बन सकती है। चैटजीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई को अगर बहुत ताकत मिल जाएगी तो वो इंसानों को कंट्रोल कर सकता है।

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