
मुंबई कांग्रेस BMC चुनावों से ठीक पहले संकट से जूझती नजर आ रही है।
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई जैसे बड़े शहर में कांग्रेस पार्टी को BMC चुनाव के लिए उम्मीदवार ढूंढने में मुश्किल हो रही है। इससे मायानगरी में कांग्रेस के संगठन की कमजोरी सबके सामने आ गई है। बता दें कि BMC में कुल 227 सीटें हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 197 सीटों पर ही उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। मुंबई कांग्रेस की तरफ से कोशिश की जा रही है कि किसी तरह से बची हुई 30 सीटों पर भी उम्मीदवारों को ढूंढा जाए। वहीं, मुंबई कांग्रेस का कहना है कि उम्मीदवार न मिलने के आरोप झूठे हैं।
किन सीटों पर नहीं मिल रहे कैंडिडेट?
जिन विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं उनमें भांडुप, घाटकोपर पूर्व, घाटकोपर पश्चिम, भांडुप, मानखुर्द-शिवाजी नगर, विक्रोली, चारकोप, अंधेरी पूर्व, जोगेश्वरी, चेंबूर, वडाला और मलाबार हिल के कुछ वॉर्ड्स शामिल हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, यह सभी वे वॉर्ड हैं जहां पर सत्ताधारी बीजेपी-शिंदे सेना और ठाकरे सेना मजबूत स्थिति में हैं और यहां पर लड़ना मतलब हार तय है। इन वॉर्ड्स में न तो पार्टी का संगठन मजबूत है और न ही कोई बड़ा जनाधार है।
आखिर कांग्रेस पर यह नौबत कैसे आई?
वर्षा गायकवाड़ के विरोधी खेमे का आरोप है कि उनके मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद से ही पूरे शहर में संगठन कमजोर हुआ है। पिछले 2.5 वर्षों में मुंबई कांग्रेस सिर्फ धारावी तक ही सीमित रह गई है। हाल ही में मुंबई कांग्रेस की इंटरनल बैठक में एक वरिष्ठ नेता कह चुके हैं कि मौजूदा स्थिति में हम बीएमसी की सिर्फ 50 से 60 सीटों पर ही मजबूती से लड़ने की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई साल में न कांग्रेस की तरफ से बड़े आंदोलन किए गए और न ही पार्टी की ब्रांडिंग की गई।

वर्षा गायकवाड़।
कांग्रेस के कई सीनियर नेता नाराज
वरिष्ठ नेता ने कहा कि BMC चुनाव के लिए पार्टी अब तक कोई मजबूत नरेटिव भी खड़ा नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि लचर योजना की वजह से पार्टी बीजेपी-शिंदे सेना और ठाकरे बंधुओं के मुकाबले चुनाव की चर्चा में कहीं नहीं नजर आ रही है। साफ है कि वर्षा गायकवाड़ के पार्टी चलाने के तरीके से मुंबई कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता नाराज हैं। नाराजगी का आलम ये है कि चुनाव का ऐलान होने के पहले तक कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी दफ्तर में आना तक बंद कर दिया था।
शर्मिंदगी से बचने के लिए VBA से गठबंधन?
सूत्रों के मुताबिक, उम्मीदवार नहीं मिलने की शर्मिंदगी से बचने के लिए मुंबई कांग्रेस ने प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी से गठबंधन करने का प्रयास किया लेकिन VBA ने मुंबई कांग्रेस को कोई तवज्जो नहीं दिया। वहीं, सूत्रों का कहना है कि मुंबई कांग्रेस का एक खेमा ठाकरे सेना के साथ गठबंधन करने के पक्ष में है। इस खेमे को लगता है कि अगर पार्टी गठबंधन में लड़ती है तो पार्टी चुनाव में सम्मानजनक स्थिति में हो सकती थी। उद्धव ठाकरे की तरफ से गठबंधन में चुनाव लड़ने पर करीब 60 सीटें कांग्रेस को देने का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि ऐसा करने से मुंबई में कांग्रेस का संगठन मिट जाएगा।
‘उम्मीदवार न मिलने के आरोप झूठे’
मुंबई कांग्रेस का पक्ष सुनाते हुए पार्टी के प्रवक्ता सुरेशचंद्र राजहंस ने इंडिया टीवी से कहा, ‘हमें उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं इन आरोपों का हम खंडन करते हैं। हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए अब तक 950 इच्छुक उम्मीदवारों के एप्लिकेशन आ चुके हैं। सभी इच्छुक उम्मीदवारों के इंटरव्यू हो चुके हैं। 25 दिसंबर को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी, इस बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की जाएगी। स्क्रीनिंग के बाद उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए जाएंगे।’
