
राखीगढ़ी महोत्सव में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।
हिसार: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में प्राचीन हड़प्पा कालीन स्थल राखीगढ़ी के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसका मकसद राखीगढ़ी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। दूसरे राज्य स्तरीय राखीगढ़ी महोत्सव को संबोधित करते हुए सैनी ने कहा कि राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है ताकि हड़प्पा युग के इस स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख जगह मिले। इसके अलावा, सरकार राखीगढ़ी को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की दिशा में भी काम कर रही है।
सीएम सैनी ने राखीगढ़ी के लिए किए कई बड़े ऐलान
सीएम सैनी ने आश्वासन दिया कि राखीगढ़ी और राखी शाहपुर ग्राम पंचायतों द्वारा उठाई गई मांगों को संबंधित विभागों को भेजकर जल्द कार्रवाई की जाएगी। एक और बड़ा ऐलान करते हुए सैनी ने कहा कि राखीगढ़ी और राखी शाहपुर दोनों गांवों को विकास के लिए 21 लाख रुपये की अनुदान राशि दी जाएगी। इस मौके पर उन्होंने हड़प्पन ज्ञान केंद्र का उद्घाटन भी किया। सैनी ने जोर देकर कहा कि राखीगढ़ी सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है, जहां प्राचीन भारत की उन्नत शहर नियोजन व्यवस्था, स्वच्छता प्रणाली और जल प्रबंधन की झलक मिलती है। उन्होंने गर्व जताया कि प्राचीन सभ्यता का इतना बड़ा केंद्र हरियाणा में स्थित है।
‘हरियाणा में करीब 100 ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल’
सीएम सैनी ने कहा, ‘राज्य सरकार राखीगढ़ी को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और शोध केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भविष्य की योजनाओं में विश्व स्तरीय पुरातात्विक संग्रहालय, शोध संस्थान, आधुनिक पर्यटक सुविधाएं और बेहतर बुनियादी ढांचा शामिल है। खुदाई से मिले प्रमाणों से पता चलता है कि प्राचीन समाज में महिलाओं का सम्मान होता था और उन्हें बराबरी का दर्जा मिलता था। हरियाणा सरकार भी विभिन्न कल्याण योजनाओं से महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता दे रही है। हरियाणा में फरमाना, मिताथल, बालू और बनावाली सहित करीब 100 ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल हैं जिनके संरक्षण और विकास के लिए विशेष परियोजनाएं चल रही हैं।’
आखिर राखीगढ़ी में ऐसा क्या है खास?
राखीगढ़ी हिसार जिले में एक गांव और पुरातात्विक स्थल है, जो दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह घग्गर नदी से लगभग 27 किलोमीटर दूर है। यह सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) से जुड़ा है। यहां प्री-हड़प्पन (लगभग 6000-4600 से 3300 ईसा पूर्व), अर्ली हड़प्पन (3300-2600 ईसा पूर्व) और मेच्योर हड़प्पन (2600-1900 ईसा पूर्व) काल के अवशेष मिले हैं। यह प्राचीन सभ्यता के 5 सबसे बड़े स्थलों में से एक था। 2014 से पहले ज्यादातर विद्वान इसे 80 से 100 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र वाला मानते थे, जिसमें 5 निकटवर्ती टीले शामिल थे। 2014 में दो और टीलों की खोज के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल घोषित किया, जिसका कुल क्षेत्रफल 300 से 350 हेक्टेयर है। हालांकि इसमें बाहरी अवशेष भी शामिल हैं जो एक ही समय में एक शहर का हिस्सा नहीं रहे होंगे।
