शिवसैनिकों को खल गई पार्टी में रशीद की एंट्री, जानें उद्धव के लिए मुसीबत क्यों बने ‘मामू’


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उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में पूरे सम्मान के साथ रशीद मामू की अपनी पार्टी में एंट्री कराई थी।

मुंबई: महाराष्ट्र में कॉरपोरेशन चुनाव से ठीक पहले उद्धव ठाकरे के लिए एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। 5 दिन पहले संभाजी नगर के कांग्रेस नेता रशीद मामू को शिवसेना (UBT) में शामिल करने का फैसला अब पार्टी के अंदर ही विवाद का कारण बन रहा है। रशीद मामू संभाजी नगर के पूर्व मेयर रह चुके हैं, इसलिए उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में पूरे सम्मान के साथ उनकी पार्टी में एंट्री कराई थी। लेकिन रशीद मामू के बैकग्राउंड की वजह से बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना पहले से ही उद्धव पर हमले कर रही थीं। अब उद्धव की अपनी पार्टी के अंदर से रशीद मामू के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं।

शिवसेना दफ्तर में ‘मामू’ और खैरे का आमना-सामना

बता दें कि शुक्रवार को रशीद मामू टिकट के लिए आवेदन देने संभाजी नगर के शिवसेना दफ्तर पहुंचे थे। शिवसेना भवन के बाहर उनका सामना पार्टी के सीनियर नेता और 5 बार के सांसद रहे चंद्रकांत खैरे से हो गया। खैरे ने सबके सामने रशीद मामू से कहा कि वह उनका विरोध करेंगे। रशीद मामू ने बात संभालने की कोशिश की और उनके नजदीक आए, तो खैरे ने उन्हें हल्का धक्का भी दे दिया। रशीद मामू काफी देर तक उन्हें मनाने की कोशिश करते रहे, लेकिन बात नहीं बनी। मामला बिगड़ता देख रशीद मामू शिवसेना भवन के अंदर चले गए, लेकिन चंद्रकांत खैरे का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा व्यक्ति पार्टी में बर्दाश्त नहीं जो हिंदू विरोधी हो और देश विरोधी हो।

‘रशीद मामू की वजह से मुझे 7 दिन जेल काटनी पड़ी’

खैरे ने कहा कि 1986 में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग को लेकर निकाले गए शिवसेना के मोर्चे पर रशीद मामू ने पत्थर चलाए थे। उन्होंने कहा कि इसी ने दंगा भड़काया था और कई हिंदुओं की जान गई थी। खैरे ने कहा कि वह ये बात नहीं भूल सकते कि रशीद मामू की वजह से उन्हें 7 दिन जेल काटनी पड़ी। उन्होंने रशीद ‘मामू’ पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पूरी जिंदगी इस शख्स ने शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे का विरोध किया। औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर करने की मुखालफत की। चुनाव में उन्हें हराने की कोशिश की। ऐसे आदमी के साथ वह काम नहीं कर सकते।’

‘उद्धव ठाकरे को अंधेरे में रखकर पार्टी में शामिल कराया’

खैरे ने कहा कि उद्धव ठाकरे को अंधेरे में रखकर कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे पार्टी में शामिल कराया है, लेकिन वह उद्धव से मिलकर उन्हें पूरा सच बताएंगे और ये तय करेंगे कि रशीद मामू को किसी भी हालत में पार्टी का टिकट न मिले। बता दें कि दंगे के आरोप में रशीद मामू एक साल तक जेल में रह चुके हैं, और उन पर NSA भी लगाया गया था। इसी वजह से बीजेपी और शिंदे की शिवसेना लगातार रशीद मामू के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे को घेर रही हैं, और उनके हिंदुत्व पर सवाल उठा रही हैं। आज जब उद्धव के फैसले पर सवाल उनकी ही पार्टी से उठे तो दोनों पार्टियों ने इस आग में और घी डाल दिया। बीजेपी ने इसे सीधे-सीधे हिंदू-मुस्लिम और तुष्टिकरण वाली सियासत से जोड़ दिया।

‘उद्धव का असली चाल-चरित्र और चेहरा सामने आ गया’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे का असली चाल-चरित्र और चेहरा अब महाराष्ट्र के सामने आ गया है। उन्होंने कहा, ‘उद्धव हिंदुत्ववादी विचारधारा छोड़कर मुस्लिम तुष्टिकरण वाली राजनीति कर रहे हैं। मुस्लिम वोट के लालच में उद्धव ने एक दंगाई, संभाजी महाराज और मराठाओं का विरोध करने वाले को अपनी पार्टी में शामिल किया है। इसका अंजाम उन्हें चुनाव में भुगतना होगा।’ वहीं, राज ठाकरे की पार्टी के नेता प्रकाश महाजन ने उद्धव के साथ गठबंधन से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी और शिंदे की शिवसेना ज्वाइन कर ली। प्रकाश महाजन ने कहा कि रशीद मामू जैसे लोगों को शामिल करके उद्धव ने उनके फैसले को सही साबित किया है।





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