
फरहान अख्तर के साथ स्पर्श वालिया।
रेजांग ला में हुए भारत-चीन युद्ध की कहानी को ‘120 बहादुर’ में दिखाने का प्रयास किया गया है। फिल्म की कहानी शानदार है। इस कहानी को एक नरेटर के जरिए सुनाने का प्रयास किया गया है। ये नरेटर कोई बाहरी नहीं बल्कि इस रेजांग ला की लड़ाई को करीब से देखने वाला एक सैनिक था। अहिर रेजिमेंट के 120 बहादुरों में से बचे सिर्फ एक बहादुर थे रामचंद्र यादव। फिल्म में इस किरदार को स्पर्श वालिया ने जीवंत किया है। फरहान अख्तर की तरह ही स्पर्श वालिया फिल्म के लीड होरो हैं, जिन्होंने बेहद ईमानदारी से अपने किरदार को अदा किया है। स्पर्श ने इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने फिल्म की शूटिंग के दौरान के अपने अनुभव को साझा किया है। उन्होंने बताया कि लदाख में फिल्म की शूटिंग करना उनके लिए कितना मुश्किल था।
स्पर्श वालिया के लिए कितना मुश्किल था ठंड में शूट करना?
इस बातचीत के दौरान स्पर्श वालिया ने बाता कि लदाख में शूट करना उनके लिए कितना मुश्किल था, उन्होंने कहा, ‘सुबह चार बजे हमारा कॉल टाइम हुआ करता था, जिस होटल में हम रुके थे, वो इतना एडवांस नहीं था, अच्छे गीजर की सुविधा नहीं थी, सुबह चार बजे यही दोहरे विचार आते थे कि नहा के जाएं या न नहा कर जाएं, ऐसे में कई दिनों पर लगता था कि छोड़ो आज बिना नहाए ही जाते हैं। कुछ कुछ दिन पर अवॉइड ही करता। दरअसल मुझे पहाड़ इतने पसंद नहीं हैं। बचपन से ही मुझे हिल स्टेशन पसंद नहीं हैं, मुझे सर्दी पसंद नहीं है। वैसे लद्दाख जितनी खूबसूरत जगह है, उतनी ही मुश्किल भी है।’
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16 डिग्री था तापमान
इसी कड़ी में स्पर्श आगे कहते हैं, ‘मैं एक किस्सा आपको बताता हूं, जब हम रामचंद्र का एक ओपनिंग सीन कर रहे थे तो न्योमा में तापमान -16 डिग्री था और मुझे वो सीन एक पतनी सी टी-शर्ट में करना था। आप विश्वास नहीं करेंगे, मैंने जैसे ही बोलने की कोशिश की मेरी जीभ जम गई और मेरे मुंह से शब्द कुछ अजीब तरीके से निकलने लगे। मेरी जीभ मूव नहीं कर रही थी। मेरे साथियों ने मुझे हीट पैक दिए, मुझे गर्म पानी दिया, किसी तरह वो सीन एक घंटा होल्ड किया गया, मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई फिर वो सीन शूट किया गया। एक एक्टर के तौर पर बहुत चैलेंजिंग था, बहुत ठंड थी।’
फरहान संद कैसा रहा अनुभव
उन्होंने फरहान अख्तर को लेकर भी बात की और कहा, ‘मेरे ज्यादातर सीन फरहान अख्तर के साथ ही थे तो उनके साथ एक को-एक्टर वाली बॉन्डिंग हो गई थी। रेडियो ऑपरेटर और शैतान सिंह का रिश्ता भी बड़ा प्रोटेक्टिव था। शैतान सिंह उन्हें प्रोटेक्ट भी करना चाहते थे क्योंकि उसकी बिहांड स्टोरी है, वो घर का अकेला लड़का है, उस पर मां-बहन की जिम्मेदारी है। मेरे किरदार को बंदूक चलानी भी नहीं आती, उसे ट्रेनिंग मिली है, लेकिन वो उसका फोर्टे नहीं है। ठीक ऐसा ही प्रेटेक्टिव रिश्ता मेरा फरहान के साथ ऑफ स्क्रीन भी बन गया था। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा।’
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