Explainer: क्यों खास है जयशंकर और तारिक रहमान की मुलाकात? जानें भारत कैसे लिख रहा कूटनीति का नया अध्याय


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विदेश मंत्री एस. जयशंकर और बांग्लादेशी नेता तारिक रहमान।

India-Bangladesh Relations: 31 दिसंबर 2025 को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता तारिक रहमान के बीच हुई मुलाकात सिर्फ एक शोक सभा में हुई औपचारिक मुलाकात नहीं थी। यह भारत की बांग्लादेश के प्रति विदेश नीति में एक बड़ा ‘रीसेट’ या ‘पुनर्स्थापन’ है। यह मुलाकात तारिक रहमान की मां और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मौत पर शोक जताने के लिए हुई थी, लेकिन इसके पीछे गहरी रणनीतिक वजहें हैं। बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव होने वाले हैं, जो सिर्फ कुछ हफ्ते दूर हैं। आइए, हम 4 पॉइंट्स में समझते हैं कि इस मुलाकात का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या असर पड़ेगा।

1. ‘नई व्यवस्था’ को मान्यता देना

इस मुलाकात से भारत ने तारिक रहमान को बांग्लादेश के मुख्य राजनीतिक नेता के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। बांग्लादेश में अवामी लीग को 2026 के चुनावों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है। ऐसे में बीएनपी सबसे आगे चल रही है। सर्वे बताते हैं कि बीएनपी को लगभग 42% मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है। इसका मतलब है कि भारत एक ऐसे नेता से बातचीत कर रहा है, जो संभावित रूप से अगला प्रधानमंत्री बन सकता है। बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है।

शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद नई व्यवस्था बनी है, और बीएनपी इसमें प्रमुख भूमिका निभा रही है। भारत पहले अवामी लीग के साथ ज्यादा करीब था, लेकिन अब वह BNP के साथ चैनल खोल रहा है। इससे भारत को बांग्लादेश की नई राजनीतिक हकीकत को स्वीकार करने का संकेत मिलता है। अगर तारिक रहमान सत्ता में आते हैं, तो भारत पहले से ही उनके साथ अच्छे संबंध बना लेगा। यह एक स्मार्ट कूटनीतिक कदम है, जो भविष्य की अनिश्चितताओं से बचाता है।

2. ‘मध्यमार्गी’ स्थिरता की ओर कदम

भारत हमेशा से BNP को लेकर थोड़ा चौकन्ना रहा है, क्योंकि इस पार्टी की पहले कट्टरपंथी गुटों से करीबी रही है। लेकिन 25 दिसंबर को निर्वासन से लौटने के बाद तारिक रहमान ने ‘बांग्लादेश फर्स्ट’ का सिद्धांत अपनाया है। इसका मतलब है कि वह सभी धर्मों के लिए एक समावेशी देश बनाने का वादा कर रहे हैं जहां कोई भेदभाव नहीं होगा और सभी के लिए बराबर मौके होंगे। जयशंकर की तारिक रहमान से मुलाकात BNP को इस ‘मध्यमार्गी’ रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित सकती है।

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को निधन हो गया था।

भारत नहीं चाहता कि BNP अपनी पुरानी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के साथ फिर से जुड़े, जो पाकिस्तान समर्थक है। जमात-ए-इस्लामी अब अलग गठबंधन बना चुकी है। अगर BNP मध्यमार्गी बनी रहती है, तो बांग्लादेश में स्थिरता आएगी, जो भारत के लिए फायदेमंद है। अस्थिर बांग्लादेश भारत की सीमाओं पर समस्या पैदा कर सकता है, जैसे शरणार्थी या सुरक्षा मुद्दे। जयशंकर की मुलाकात इसी स्थिरता को बढ़ावा देने का प्रयास है।

3. हसीना के ‘प्रत्यर्पण’ का बड़ा मुद्दा

जयशंकर और तारिक रहमान की इस मुलाकात के जरिए भारत एक और बड़े मुद्दे को अपने कंट्रोल में रखना चाहता है और वह है बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा। अगर तारिक रहमान फरवरी में होने वाले चुनाव जीतते हैं, तो वह शेख हसीना को भारत से वापस बांग्लादेश लाने की मांग करेंगे। शेख हसीना अभी भारत में हैं, और उनका प्रत्यर्पण तारिक रहमान के लिए देश में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का एक बड़ा हथियार होगा। लोग इसे पुरानी सरकार के खिलाफ न्याय के रूप में देखेंगे।

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं।

जयशंकर की मुलाकात इसी संभावित टकराव को पहले से ही संभालने की कोशिश है। भारत नहीं चाहता कि सरकार बदलने से दोनों देशों के बीच सुरक्षा और व्यापार संबंध पूरी तरह टूट जाएं। दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत बड़ा है जिसमें कपड़ा और ऊर्जा जैसी चीजें शामिल हैं। अगर प्रत्यर्पण पर विवाद बढ़ा, तो ये सारा कुछ प्रभावित होगा। इसलिए यह मुलाकात एक शुरुआती कदम है, जिसके जरिए भारत इस मुद्दे पर पहले से ही तैयार होने की कोशिश कर रहा है।

4. ‘भारत विरोधी’ भावना को कम करना

2025 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना बहुत बढ़ गई है। लोग भारत को शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का समर्थक मानते हैं, और विरोध प्रदर्शनों में भारत के खिलाफ नारे लगते रहे हैं। लेकिन जयशंकर खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और उनकी विरासत का सम्मान किया। इससे भारत बांग्लादेशी जनता और BNP के कार्यकर्ताओं के बीच अपनी छवि सुधार रहा है। इससे यह संदेश जाता है कि भारत की दोस्ती सिर्फ एक पार्टी से नहीं, बल्कि पूरे बांग्लादेश से है।

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बांग्लादेश में हुए आंदोलन के बाद भारत विरोधी भावना देखने को मिली है।

यह मुलाकात जनता को बताती है कि नई दिल्ली सभी के साथ काम करने को तैयार है। इससे भारत विरोधी भावना कम होगी, और बांग्लादेश के लोग भारत को बेहतर समझ पाएंगे। चुनावों से पहले यह बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर BNP जीतती है, तो भारत को नए नेतृत्व के साथ अच्छे संबंध बनाने होंगे। कुल मिलाकर, यह मुलाकात भारत की विदेश नीति में एक स्मार्ट बदलाव है वह नहीं चाहता कि एक और पड़ोसी देश में किसी तरह की कोई अनिश्चितता आए। यह दिखाता है कि कूटनीति में बदलाव जरूरी है, और भारत इसे अच्छी तरह समझता है।





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