आप की अदालत में भावुक हो गए राजनाथ सिंह, जानिए ऐसा क्या हुआ जिससे रक्षा मंत्री की आंखों में आ गए आंसू


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आप की अदालत में भावुक हो गए राजनाथ सिंह

Aap Ki Adalat: कहते हैं कि इंसान कितना भी ताकतवर और बड़े पद पर क्यों ना हो, लेकिन कई बार कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जब वह भावुक हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ इंडिया टीवी के चर्चित शो ‘आप की अदालत’ में। इस बार आप की अदालत के कठघरे में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे और वह अचानक से अपनी मां से जुड़ा हुआ एक किस्सा सुनाते हुए भावुक हो गए। राजनाथ सिंह ने बताया कि आपातकाल के दौरान मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था। शुरुआत में मुझे जिला जेल में ही रखा गया, लेकिन कुछ समय बाद मुझे प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में भेज दिया गया।

मां के शब्द मेरे लिए प्रेरणा थे- राजनाथ सिंह

जब मुझे ट्रेन से नैनी जेल भेजा जा रहा था, तब स्टेशन पर मुझसे मिलने मेरी मां भी आईं। वहां आकार उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ भी हो जाए, लेकिन तुम झुकना मत। क्रांतिकारी की तरह लड़ना और क्रांतिकारियों की तरह ही जेल से वापस आना। राजनाथ सिंह बताते हैं कि मां के यह शब्द मेरे लिए प्रेरणा के समान थे। इस दौरान मुझे जेल गए एक साल हो गया। मेरी मां ने मेरे चचेरे भाई विजय सिंह से पूछा कि अब एक साल हो गया है। अब तो राजनाथ बाहर आ ही जाएगा। मेरे भाई मां को बताया कि मेरा एक साल का और एक्सटेंड हो गया और मुझे अभी एक साल और जेल में रहना होगा।

मेरे जेल में रहने की खबर सुनकर मां को हो गया ब्रेन हैम्ब्रेज

इतना सुनने के बाद मेरी मां को ब्रेन हैम्ब्रेज हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके लगभग 28-30 तीस दिनों बाद उनका देहांत हो गया। यह वाकया सुनाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आंखों में आंसू आ गए। वहीं अपनी गिरफ्तारी का किस्सा सुनाते हुए राजनाथ सिंह बताते हैं कि आपताकाल के समय देशभर से लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा था। मेरी नई-नई शादी हुई थी। उस दिन मैं अपने घर पर था। सुबह का समय था। मेरी धर्मपत्नी ने सूजी का हलवा बनाया था। मैं व्ययायम करने के बाद स्नान करने चला गया। इस दौरान मेरे घर के बाहर पुलिस की तमाम गाड़ियां आ गईं। मेरे घर पर काम करने वाले सहायक ने बताया कि बाहर इसंपेक्टर उपध्याय जी और पुलिस उपाधीक्षक समेत पुलिस के कई जवान आये हुए हैं। राजनाथ सिंह बताते हैं कि मैं समझ गया कि ये लोग मुझे गिरफ्तार करने आये हैं।

पुलिस वालों को अंदर बुलाया और नाश्ता कराया

मैंने अपने सहायक को कहा कि स्नान करके और नाश्ता करने के बाद मैं उनके साथ चलने को तैयार हूं। तब तक उन लोगों को आप घर के अंदर बुला लीजिये। इसके बाद मैंने सूजी के हलवे का नाश्ता किया और उन लोगों को भी कराया और इसके बाद वह मुझे थाने ले गए। दिनभर मुझे वहां बैठाया गया और रात को मेरे साथ कई अन्य लोगों को भी जेल भेज दिया गया।

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