कलकत्ता हाईकोर्ट ने पति पत्नी के तलाक मामले में एक तीखी टिप्पणी की और एक पति को इस आधार पर तलाक की इजाजत दे दी कि पत्नी की दोस्त और उसका परिवार उनके घर पर पड़ा रहता था। मामले में ये बात सामने आई कि पत्नी का ज्यादा समय अपनी दोस्त और उसके परिवार के साथ ही बीतता था। उसकी दोस्त के हर समय अपने घर में पड़े रहने के कारण पति अनकंफर्टेबल महसूस करता था। हाई कोर्ट ने पति की ये दलीलें सुनीं और कहा कि ये तो क्रूरता है। पत्नी ने अपनी तरफ से फैसला लेकर लंबे समय तक पति के साथ वैवाहिक जीवन जीने से इनकार कर दिया था।
पत्नी से परेशान था पति, कोर्ट में लगाई गुहार
पत्नी ने पति के खिलाफ वैवाहिक क्रूरता का झूठा मामला दर्ज कराया था, जिससे परेशान होकर पति ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दी थी। हालांकि, निचली अदालत ने पति की अर्जी नामंजूर कर दी थी। इसके बाद पीड़ित पति ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां पति को तलाक की मंजूरी मिल गई। इस जोड़े की शादी 15 दिसंबर 2005 को हुई थी और शादी के बाद पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक का मुकदमा दायर किया था और उसी साल 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी
कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को विकृत और त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया और हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर को दिए गए अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता ने प्रतिवादी के खिलाफ मानसिक क्रूरता का पर्याप्त और मजबूत मामला दर्ज कराया है जिससे इन आधार पर तलाक देने को उचित ठहराया जा सकता है।
कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का आदेश दे दिया, जिसके बाद दोनों के बीच संबंध विच्छेद हो गया। हाईकोर्ट ने कहा कि पति के सरकारी आवास में उसकी आपत्ति और असहजता के बावजूद पत्नी की महिला मित्र और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं। अगर महिला की मित्र और परिवार को पति की इच्छा के विरुद्ध उसके क्वार्टर में लगातार लंबे समय तक रखना, कभी-कभी तो स्वयं प्रतिवादी-पत्नी के वहां न होने को भी निश्चित रूप से क्रूरता माना जा सकता है…’