
महिला दिवस
संविधान में महिलाओं के मिले हैं ये कानूनी अधिकार, जिसके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए। लेकिन आज भी महिलाएं अपने हक और अधिकारों के बारे में नहीं जानती हैं। चलिए अजा हम आपको महिलाओं को मिलने वाले उन अधिकारों के बारे में बताते हैं जिनके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
महिलाओं को मिलते हैं ये हक:
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कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अधिनियम: प्रत्येक महिला को किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है जो जानबूझकर किसी भी निरंतर इशारे या शारीरिक बल द्वारा उस पर हमला करता है। सन् 2013 में कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को पारित किया गया था। यह क़ानून कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता हैl जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन पर यह अधिनियम लागू होता है l ये अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013, में प्रभाव में आया था। यह क़ानून हर उस महिला के लिए बना है जिसका किसी भी कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ होl कार्य स्थल कोई भी कार्यालय/दफ्तर हो सकता है,चाहे वह निजी संस्थान हो या सरकारी शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो, और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है l
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महिलाओं को गरिमा और शालीनता के साथ जीने का अधिकार: महिलाओं को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है। किसी महिला आरोपी व्यक्ति की कोई भी मेडिकल जांच किसी अन्य महिला द्वारा या उसकी मौजूदगी में की जानी चाहिए ताकि उसकी गरिमा के अधिकार की रक्षा हो सके। केवल पुरुष अधिकारियों की मौजूदगी में किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक जांच करना गैरकानूनी है।
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स्त्री धन व तलाक के बाद पत्नी को गुजारा भत्ता पाने का अधिकार: गुजारा भत्ता (भरण-पोषण, सहायता या भरण-पोषण) वह वित्तीय सहायता है जो तलाक के बाद जीवनसाथी को प्रदान की जाती है। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत, न्यायालय द्वारा पत्नी या पति को उसके भरण-पोषण और भरण-पोषण के लिए स्थायी गुजारा भत्ता प्रदान किया जाता है।
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सुरक्षित गर्भपात का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन एक्ट के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा है, कि विवाहित और अविवाहित सभी महिलाओं को कानून सम्मत तरीके से 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने का अधिकार है। दरअसल अभी तक सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही 20 सप्ताह से अधिक और 24 सप्ताह से कम समय के गर्भ को समाप्त करने का अधिकार था।