ट्रंप के टैरिफ से भारतीय दवा उद्योग पर पड़ सकता है गंभीर असर, ऑटो सेक्टर को नहीं होगी प्रॉब्लम


अमेरिका का जवाबी टैरिफ

Photo:FILE अमेरिका का जवाबी टैरिफ

अमेरिका में फार्मा आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ से भारतीय दवा मैन्यूफैक्चरर्स पर गंभीर असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी, जिससे अन्य देशों के उत्पादों के मुकाबले निर्यात कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। कम मार्जिन पर काम करने वाली छोटी दवा कंपनियों पर गंभीर दबाव पड़ सकता है, जिससे उन्हें एकीकरण या कारोबार बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। दूसरी ओर, ऑटो सेक्टर पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिका एक छोटा निर्यात बाजार है। भारत को बहुत अधिक टैरिफ वाला देश बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने वाले देशों पर जवाबी टैरिफ दो अप्रैल से लागू होंगे।

भारत लगाता है 10% टैक्स

भारत वर्तमान में अमेरिकी दवाओं पर लगभग 10 फीसदी आयात शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई आयात शुल्क नहीं लगाता है। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार अरविंद शर्मा ने कहा कि हाल के इतिहास में, अमेरिका अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दवा उत्पादों का शुद्ध आयातक रहा है। उन्होंने कहा, “यदि अमेरिका, भारत से दवा आयात पर भारी शुल्क लगाने का फैसला करता है, तो इसका असर भारतीय दवा सेक्टर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा और साथ ही इसकी घरेलू खपत भी बाधित होगी।”

अमेरिका में बड़े स्तर पर सप्लाई होती हैं भारतीय दवाएं

अमेरिका में दवा सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा भारतीय दवा कंपनियां करती हैं। साल 2022 में अमेरिका में चिकित्सकों द्वारा लिखे गए पर्चों में 40 फीसदी यानी 10 में से चार के लिए दवाओं की सप्लाई भारतीय कंपनियों ने की थी। उद्योग सूत्रों के अनुसार, कुल मिलाकर, भारतीय कंपनियों की दवाओं से 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत हुई और 2013 से 2022 के बीच कुल 1,300 अरब डॉलर की बचत हुई। भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाओं से अगले पांच वर्षों में 1,300 अरब डॉलर की अतिरिक्त बचत होने की उम्मीद है।

कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग एक-तिहाई 

शर्मा ने कहा कि भारत का दवा उद्योग वर्तमान में अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है और इसके कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग एक-तिहाई है। शर्मा ने कहा कि टैरिफ लगाने से अमेरिका अनजाने में अपनी घरेलू हेल्थकेयर लागत में वृद्धि कर सकता है, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा और बदले में हेल्थकेयर तक पहुंच दुर्लभ हो जाएगी। 

ऑटो सेक्टर पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर

ऑटो सेक्टर के बारे में विस्तार से बताते हुए इंडसलॉ के साझेदार शशि मैथ्यूज ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की हालिया घोषणाओं का विशेष रूप से भारतीय वाहन क्षेत्र पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, “इसका कारण यह है कि भारत में प्रवेश भले ही अच्छी तरह से संरक्षित हो और इस प्रकार भारी कर लगाया जा सकता है, लेकिन अमेरिका में आयात के लिए जवाबी टैरिफ, जो कि भारतीय मोटर वाहन सेक्टर के लिए एक छोटा निर्यात बाजार है, हमें ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा।” उन्होंने कहा कि इसका कुछ प्रभाव, विशेषकर वाहन उपकरण बाजार पर पड़ सकता है। मैथ्यूज ने कहा कि टैरिफ को शून्य स्तर तक कम करने के प्रयासों के बावजूद, इस बात की बहुत कम संभावना है कि भारत सरकार निकट भविष्य में टैरिफ को उस स्तर तक कम करेगी।

(पीटीआई/भाषा से इनपुट के साथ)

Latest Business News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *