‘6 बिंदुओं पर चलता है कुटुम्ब प्रबोधन का कार्य’, RSS सुप्रीमो भागवत ने कार्यकर्ताओं को दी ये सीख


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RSS सुप्रीमो मोहन भागवत।

कानपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को कानपुर में कुटुम्ब प्रबोधन और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति, परिवार की आत्मीयता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। भागवत ने कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारी संस्कृति दुनिया में मार्गदर्शन का केंद्र बिंदु रही है। भारत दुनिया में विश्वगुरु के स्थान पर रहा है और आज फिर विश्व में लोग भारत की रीति, नीति, परंपरा, संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अभी कुम्भ में हमने यह दृश्य देखा कि हमारी संस्कृति संवेदना की है।’

‘परिवार की आत्मीयता की परंपरा बनी रहनी चाहिए’

RSS सुप्रीमो ने कुटुम्ब प्रबोधन के कार्य को 6 बिंदुओं- भजन, भोजन, भवन, भाषा, भूषा और भ्रमण के आधार पर चलने की बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिवार की आत्मीयता की परंपरा बनी रहनी चाहिए। भागवत ने कहा, ‘परिवार के लोग दिन में एक बार साथ मिलकर भोजन करें, परिवार के अंदर अपनी मातृभाषा का प्रयोग हो, हमारी वेशभूषा हमारे संस्कारों को प्रदर्शित करने वाली हो, हमारा भवन ऐसा हो जो लगे यह एक आदर्श हिन्दू घर है। हम स्वयंसेवक इन विषयों को लेकर समाज में बढ़ रहे हैं, समाज को आज इन विषयों की जानकारी की, जागरूकता की आवश्यकता है। परिवार के सदस्यों में एक दूसरे के प्रति दायित्व की अनुभूति रहे। धीरे-धीरे यह विषय समाज में बढ़ता जाए और एक आदर्श परिवार की संकल्पना साकार हो।’

‘वृक्ष लगाओ, पानी बचाओ, पॉलिथीन हटाओ’

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के कार्यकर्ताओं से बातचीत में भागवत ने गतिविधि के कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि का नारा है, ‘वृक्ष लगाओ, पानी बचाओ, पॉलिथीन हटाओ।’ इस गतिविधि के मुख्य उपक्रम पेड़, पानी और पॉलिथीन हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि घर की बनावट के अनुसार बालकनी या छत पर गमलों में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, जल संरक्षण दैनिक कार्यों के माध्यम से करना चाहिए, हानिकारक रसायन युक्त सामग्रियों का उपयोग कम करना चाहिए, जैव विविधता का संरक्षण करना चाहिए और घर में ऊर्जा का संरक्षण करना चाहिए। भागवत ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के 6 कार्य विभाग हैं, शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक संस्थान, नारी शक्ति, स्वयंसेवी संस्थान, जन संवाद और जनसंपर्क।

‘दैनिक जीवन में राष्ट्रभक्ति का भाव आना चाहिए’

RSS सुप्रीमो ने राष्ट्रभक्ति के महत्व पर बल देते हुए कहा, ‘हमारे दैनिक जीवन में राष्ट्रभक्ति का भाव आना चाहिए। समाज में यह भाव निर्माण हो कि यह मेरा देश है। यहां पर उत्पन्न होने वाली बिजली हमारे देश की बिजली है, यहां का जल हमारे देश का जल है। जब अपने देश के प्रति अपनत्व का भाव होगा, राष्ट्र प्रथम का भाव होगा तो हम छोटी-छोटी बातों पर भी विचार करेंगे। समाज में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है, परंतु अभी और आवश्यकता है। पर्यावरण गतिविधि के कार्यकर्ता स्वयं के साथ-साथ समाज के लिए प्रेरणा बनें। संपूर्ण समाज के अंदर राष्ट्र प्रथम का विचार स्थापित हो जाएगा तो यह सब होना स्वाभाविक हो जाएगा, हमें यही करना है।’

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