राम गोपाल वर्मा और अनुराग कश्यप फिल्म इंडस्ट्री के वो दो जाने माने चेहरे हैं जो अपनी दमदार फिल्मों के अलावा बेबाक बयानों के लिए भी मशहूर हैं। ‘शिवा’ जैसी सुपरहिट फिल्में दे चुके राम गोपाल वर्मा फिल्मी दुनिया के वो डायरेक्टर हैं जो अभी भी सुर्खियों में बने रहते हैं। वहीं फिल्म मेकर अनुराग कश्यप जो अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए भी फेमस हैं। उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘महाराजा’ और ‘मुक्काबाज’ जैसी फिल्मों के लिए खूब सराहना मिली है। अनुराग कश्यप ने बतौर लेखक फिल्मी दुनिया में कदम रखा था, जिसके बाद उन्होंने अभिनय में भी अपना हाथ आजमाया और छा गए। अब इंडिया टीवी के ‘द फिल्मी हसल’ पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान अनुराग कश्यप ने फिल्मों के स्पेशल इफेक्ट्स को बर्बाद करने पर अपनी भड़ास निकाली है।
खराब वीएफएक्स ने फिल्म को बनाया हिट
अनुराग कश्यप और राम गोपाल वर्मा कभी भी अपनी राय खुलकर व्यक्त करने से पीछे नहीं हटते हैं। अब, इन मशहूर फिल्म निर्माताओं ने कन्टेम्परेरी फिल्म निर्माताओं पर निशाना साधा है जो सिनेमा बनाने के लिए फॉर्मूला मेथड अपनाते हैं। यहां तक कि अनुराग ने ये भी खुलासा किया की कुछ फिल्म निर्माता अपनी ही फिल्म को बर्बाद कर देते हैं ताकि दर्शक उनकी गलतियों पर ध्यान न दे पाए। अक्षय राठी द्वारा आयोजित ‘द फिल्मी हसल’ में, सिनेमा की मशहूर जोड़ी पहली बार एक साथ नजर आई और उन्होंने फिल्मों के बारे में कई तरह की बातें कीं। बातचीत के दौरान अनुराग कश्यप ने बताया कि कैसे 2016 की मराठी फिल्म ‘सैराट’ एक बड़ी हिट बन गई और उन्हें लगा कि यह फिल्म एक बेंचमार्क बन सकती है। हालांकि, सभी ने इस तरह की फिल्में बनाना बंद कर दिया और एक फॉर्मूले को फॉलो करने लगे। निर्देशक अनुराग ने बिना नाम बताए खुलासा किया की एक फिल्म निर्माता ने जानबूझकर अपनी फिल्म में खराब वीएफएक्स डाला था ताकि सभी को पता चले कि उन्होंने अपनी फिल्म में स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया है और उनकी गलती पर किसी का ध्यान न जाए।
हिट फिल्मों को किया जाता है कॉपी
उन्होंने आगे कहा, ‘केजीएफ, सालार के बाद से जो हो रहा है, वह देख सभी हैरान हैं कि सभी फिल्मों का डीआई एक जैसा क्यों दिख रहा है? एनिमल (2023) में, खून-खराबा और हिंसा दिखाया गया। इसलिए, फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों में अधिक से अधिक खून-खराबा दिखा रहे हैं, इसलिए फिल्में कभी-कभी बिना किसी कारण भी चर्चा में आ जाती है।’ उन्होंने आगे बताया कि कैसे फिल्म निर्माता सिनेमैटिक तौर पर फिल्मों को अच्छा बनाने में लगे हुए हैं वह कहानी पर कम ध्यान दे रहे हैं। दूसरी ओर, इस बात पर भी चर्चा की कि वे जिस फॉर्मूले को फॉलो करते हैं, वह किसी हिट फिल्म पर बेस्ड होता है, जबकि हमें कहानी के अनुसार काम करना चाहिए।
फिल्म की कहानी से ज्यादा बजट पर ध्यान
दूसरी ओर, राम गोपाल वर्मा ने फिल्म निर्माता की बात पर सहमति जताते हुए कहा, ‘मैंने कभी जानबूझकर सत्या (1998) को कम लागत पर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। मैं उतना ही खर्च कर रहा था जितना जरूरी था और इससे लोगों के समाने पेश किया था। अगर मैंने 5 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए होते, तो सत्या की गुणवत्ता पांच गुना कम होती।’ ‘शिवा’ निर्देशक ने आगे बताया कि ‘बाहुबली’ के सुपरहिट होते ही कई लोगों ने यह मानसिकता अपना ली है कि लोगों को प्रभावित करने के लिए प्रोडक्शन वैल्यू और वीएफएक्स पर ज्यादा खर्च करना चाहिए। निर्देशक ने कहा कि उनका मुद्दा यह नहीं है कि कोई कम लागत में फिल्म बनाकर पैसे बचा सकता है, बल्कि यह है कि फिल्म निर्माता बहुत ज्यादा खर्च करके फिल्म की कहानी को बर्बाद कर देते हैं। वह स्टोरी और कास्ट की वैल्यू कम कर रहे हैं।