न्यूक्लियर साइट पर हमले के बाद ईरान-अमेरिका वार्ता हुई “जटिल”, अराघची ने बताया आगे क्या


अब्बास अराघची, ईरान के विदेश मंत्री
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अब्बास अराघची, ईरान के विदेश मंत्री

दुबई: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद ईरान-अमेरिका न्यूक्लियर वार्ता अब बेहद जटिल हो गई है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हालिया हमलों से देश के परमाणु कार्यक्रम को “गंभीर क्षति” पहुंची है। उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद अमेरिका के साथ नए सिरे से बातचीत की संभावना बेहद जटिल और कठिन हो गई है।

ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता का अब क्या है भविष्य?

अराघची ने ईरानी सरकारी टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में बताया कि “फिलहाल किसी भी वार्ता को लेकर अमेरिका के साथ कोई सहमति नहीं बनी है। न कोई समय तय किया गया है, न कोई वादा किया गया है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सैन्य हस्तक्षेप ने वार्ता प्रक्रिया को और पेचीदा बना दिया है। 

अमेरिका ने वार्ता के दौरान ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर किया हमला

अमेरिका और ईरान के बीच 2 दौर की परमाणु वार्ता हो चुकी थी, लेकिन अमेरिका ने बी-2 बमवर्षकों से क्रूज मिसाइल और बंकर-बस्टर बमों के जरिये ईरान के न्यूक्लियर साइटों पर तीन बड़े हमले कर दिए। अमेरिका ने यह हमला तब किया, जब ईरान और इजरायल के बीच जंग घातक दौर में पहुंच गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया है। हालांकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि “कुछ खास हासिल नहीं हुआ।” अटकलें हैं कि ईरान ने हमलों से पहले यूरेनियम का बड़ा हिस्सा सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था।

आईएईए ने की ईरान को भारी नुकसान की पुष्टि

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पुष्टि की कि फोर्दो जैसे स्थानों को हुआ नुकसान “बहुत, बहुत, बहुत अधिक” है। अराघची ने भी माना कि नुकसान का स्तर बेहद गंभीर है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि IAEA निरीक्षकों को स्थल का आकलन करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं — “फिलहाल उन्हें बाहर ही रखा जाएगा।”

खामेनेई ने घोषित की इजरायल पर जीत

ईरान में शुक्रवार की जुमे की नमाज़ में इमामों ने खामेनेई के उस बयान को दोहराया, जिसमें उन्होंने इजरायल पर जीत की घोषणा की थी और कहा था कि अमेरिका के मुंह पर करारा तमाचा मारा है। नमाज के दौरान कहा गया कि “युद्ध भी ईरान की जीत है।” तेहरान में उप मुख्य न्यायाधीश हमज़ेह खलीली ने ऐलान किया कि इज़रायल के लिए जासूसी करने वालों पर “विशेष प्रक्रिया” से मुकदमा चलाया जाएगा। अब तक दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है और कई को फांसी दी जा चुकी है।

इजरायल ने 13 जून को ईरान पर किया था बड़ा हमला

इज़रायल और ईरान के बीच तेज जंग तब छिड़ी जब इजरायल ने 13 जून को ईरान पर 200 फाइटर जेट से हमला कर दिया। इजरायल ने दावा किया कि अब तक 30 ईरानी कमांडर, 8 परमाणु केंद्र और 720 से अधिक सैन्य ठिकाने नष्ट किए जा चुके हैं। जवाब में, ईरान ने 550 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कई को इज़रायली रक्षा प्रणाली ने रोक दिया, लेकिन कुछ ने अंदर घुसकर 28 लोगों की जान ले ली।

ईरान ने कतर में अमेरिकी बेस पर किया हमला

न्यूक्लियर साइट्स पर हमले के जवाब में ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला किया। अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की कि ईरानी जवाबी मिसाइल हमले में कतर स्थित अमेरिकी बेस पर कोई नुकसान नहीं हुआ। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और दोनों पक्ष सतर्क हैं। इज़रायली सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा, “हम भ्रम में नहीं हैं; दुश्मन ने अपने इरादे नहीं बदले हैं।”दक्षिण-पश्चिम एशिया में यह घटनाक्रम आने वाले समय में वैश्विक परमाणु नीति, क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। (एपी)

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