
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
बिहार में आजकल अपराधों की भरमार है। सोमवार को हत्या और लूटपाट की कम से कम एक दर्जन वारदात हुईं। पिछले 48 घंटों में नौ लोगों की हत्या हुई। दो लोगों पर हत्या के इरादे से फायरिंग हुई। पटना में तीन जगह फायरिंग हुई। छपरा में दो हत्याएं हुईं। बेगूसराय, समस्तीपुर और मधुबनी से भी हत्या की खबरें आईं और बिहार की पुलिस का एक ही रटा-रटाया जवाब है, जांच हो रही है, अपराधियों को छोड़ा नहीं जाएगा। हालांकि नीतीश कुमार की पुलिस अब भी अपराधियों को सख्त संदेश देना चाहती है, उन्होंने योगी आदित्यनाथ का तरीका अपनाया है, एक अपराधी का हाफ एनकांउटर किया है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार अपराध और अपराधियों पर किसी भी कीमत पर लगाम लगाएगी, एनकाउंटर करना पड़े तो एनकाउंटर होगा, बुलडोजर चलाना पड़े तो बुलडोजर चलेगा। लेकिन जन सुराज पार्टी के नेता प्रशान्त किशोर ने कहा कि अपराधियों के एनकाउंटर पिछले बीस साल में क्यों नहीं हुए, अब चुनाव को सामने देखकर सरकार दो चार छोटे मोटे अपराधियों को पकड़ कर मार देगी, इससे कुछ नहीं होगा। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार सिर्फ बयानबाजी कर रही हैं। बिहार में कानून और व्यवस्था अब एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है। इसका नीतीश कुमार के पास कोई जवाब नहीं।
बिहार के दूर दराज के इलाकों को तो छोड़िए, राजधानी पटना में पिछले चौबीस घंटों में तीन जगह गोलियां चलीं। पटना के सुल्तान गंज में दिनदहाड़े जितेंद्र कुमार नाम के एक वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटनास्थल से सुल्तानगंज थाना सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर है। पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में अपराधियों ने एक छात्र को गोली मार दी और भाग गए। पटना के गौरीचक इलाके में बाइक मैकेनिक आलोक को अपराधियों ने गोली मार दी, गोली उसके पैर में लगी, इसलिए जान बच गई।
बेगूसराय में दिनदहाड़े तीन लोगों को गोली मारी गई, जिसमें एक युवक की मौत हो गई है जबकि दो युवक गंभीर रूप से घायल हैं। छपरा में भी थाने से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर एक कारोबारी राजू राय को गोली मार दी गई। मधुबनी में एक युवक सलमान की घर में घुसकर हत्या कर दी गई। हत्यारे अशफाक को आसपास के लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले किया। समस्तीपुर में क्रिकेट मैच देखने गए 14 साल के प्रिंस की गला रेतकर हत्या की गई। मुज़फ्फरपुर में एक कारोबारी रौशन कुमार को उसके घर के पास ही गोली मारी दी गई।
बिहार में पिछले 13 दिन में 50 हत्याएं हुई है। यह एक चिंताजनक स्थिति है। इसे ठीक करने के लिए राज्य सरकार के पास न तो ज्यादा समय है, न ज्यादा विकल्प। अपराध के इस दौर को रोकने के अलावा और कोई चारा नहीं है। अब बयानबाजी से काम नहीं चलेगा।
आज के हालात को लालू की सरकार के जंगल राज से तुलना करने से काम नहीं चलेगा। अपराधियों पर नकेल कसी जानी चाहिए। अपराधियों के दिलो दिमाग में पुलिस का डर होना चाहिए। इसके लिए चाहें encounter हों या bulldozer चलाना पड़े, हर पैंतरे का इस्तेमाल करना होगा। पुलिस चाहे तो ये कर सकती है लेकिन इसके लिए उसे सरकार की backing की जरूरत होगी। सरकार की दृढ़-इच्छाशक्ति की जरूरत होगी। ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिम्मेदारी है। अगर वो चूक गए तो जनता कभी माफ नहीं करेगी।
अहमदाबाद विमान हादसा: कब आएगी अंतिम जांच रिपोर्ट
एयरलाइंस की रेग्यूलेटरी अथॉरिटी Directorate General of Civil Aviation ने सभी एयरलाइंस से कहा है कि वो अपनी fleet में शामिल सारे बोइंग विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच करें। इसके बाद अब देश की सभी एयरलाइंस के 209 बोइंग सिविल एयरक्राफ्ट के फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच की जाएगी। एयरलाइंस को इस जांच की रिपोर्ट एक हफ़्ते में DGCA को देनी होगी। DGCA का ये निर्देश पिछले महीने अहमदाबाद में हुए बोइंग विमान हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद आई है। शनिवार को आधी रात के बाद एयर एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने उस हादसे की शुरुआती रिपोर्ट जारी की थी।
AAIB की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अहमदाबाद में जो बोइंग विमान क्रैश हुआ, उसकी फ्यूल कंट्रोल स्विच, टेक-ऑफ के तुरंत बाद off हो गए थे, यानी इंजन को fuel supply बंद हो गई थी जिसके बाद, एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या उन्होंने स्विच ऑफ की है और जवाब में दूसरे पायलट ने कहा था कि उसने फ्यूल कंट्रोल स्विच ऑफ नहीं किया।
इस बातचीत की रिकॉर्डिंग के आधार पर ये आशंका जताई गई कि अहमदाबाद में प्लेन क्रैश पायलट्स की गलती से हुआ। हैरानी की बात ये है कि AAIB की रिपोर्ट औपचारिक रूप से जारी होने से पहले ही दो दिन पहले “वॉल स्ट्रीट जर्नल” ने इसे छाप दिया था। रविवार को पश्चिमी देशों के मीडिया ने इसे प्रमुखता से प्रसारित किया। रायटर, स्काई न्यूज, BBC और CNN जैसे मीडिया संगठनों ने इस report के आधार पर प्लेन हादसे के लिए विमान के पायलटों को जिम्मेदार ठहरा दिया।
पायलटों की एसोसिएशन ने इस का विरोध किया। पायलट एसोसिएशन ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट बिना तथ्यों की जांच किए, पायलटों को कटघरे में खड़ा करने की नीयत से बनाई गई है। नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा कि ये शुरुआती रिपोर्ट हैं, अभी जांच चल रही है, इसलिए शुरूआती report के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं, पायलटों पर उंगली उठाना गलत होगा, सबको फाइनल रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
मुद्दे की बात: सब जानना चाहते हैं कि Air India का plane crash क्यों हुआ? कहां गलती थी? इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? दोनों Engine एक साथ फेल कैसे हो गए? तीस सेकेंड के अंदर विमान नीचे कैसे गिर गया?
पर जो रिपोर्ट आई है, वो ऐसे किसी सवाल का जवाब नहीं देती। बल्कि crash की रिपोर्ट से तो नए सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या ये रिपोर्ट Boeing को बचाने के लिए जारी की गई? क्या ये रिपोर्ट सारा दोष पायलट पर डालने के लिए जारी की गई? ये रिपोर्ट आधी रात को क्यों जारी की गई? अन्तरराष्ट्रीय मीडिया ने इसकी एकतरफा विवेचना क्यों कर ली?
इन सवालों के जवाब मिलना जरूरी है। Air India विमान हादसे की जांच इसीलिए नहीं की जानी चाहिए कि किसी को दोषी ठहराया जाए या किसी को बचाया जाए। ये जांच तो ये पता लगाने के लिए है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण हादसा क्यों हुआ ताकि आने वाले समय में इस तरह के किसी खतरे से बचा जा सके। ये सवाल सिर्फ एक उड़ान का नहीं है। दुनियाभर में उड़ रही Boeing की सभी उड़ानों के लिए जोखिम का है। इसीलिए इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट जल्दी आनी चाहिए। इसमें इंतजार की गुंजाइश कम होना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला चुने हुए CM हैं, सम्मान दो
जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पुलिस के हाथापाई हुई। श्रीनगर में ज़बरदस्त सियासी ड्रामा हुआ। उमर अब्दुल्ला पुलिस से बचने के लिए बिना बताए चुपचाप घर से निकले, श्रीनगर के बाज़ारों से पैदल होते हुए अपने समर्थकों के साथ दीवार फांदकर मज़ार-ए-शुहदा पर जाकर फ़ातेहा पढ़ा।
असल में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता रविवार से ही मजार-ए-शुहदा पर जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। चूंकि जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई 1931 को श्रीनगर जेल के बाहर प्रोटेस्ट कर रहे 22 कश्मीरी डोगरा राजा हरि सिंह की सेना की गोलियों के शिकार हुए थे, उसके बाद से जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता था। 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद सरकार ने 13 जुलाई की सरकारी छुट्टी खत्म कर दी। इस दिन कश्मीर घाटी के तमाम नेता हर सला मज़ार-ए-शुहदा पर जाकर फ़ातेहा पढ़ते हैं। इसलिए प्रशासन ने एहतिहाती कदम उठाते हुए महबूबा मुफ़्ती, फ़ारुक़ अब्दुल्ला, अल्ताफ़ बुख़ारी और सज्जाद लोन समेत तमाम नेताओं को रविवार को घर में नज़रबंद कर दिया था।
सोमवार को उमर अब्दुल्ला अपने घर से निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका, धक्का मुक्की हुई, उसके बाद उमर अब्दुल्ला लौट गए। लेकिन थोड़ी देर के बाद वो चुपके से कुछ लोगों के साथ घर से निकले, मज़ार से कुछ दूर पहले गाड़ी रुकवाई और समर्थकों के साथ पैदल ही मज़ार पहुंच गए। गेट बंद होने की वजह से उमर और उनके समर्थक दीवार फांदकर अंदर दाखिल हुए। फिर उमर के पिता फारुक अब्दुल्ला पहुंचे और मजार पर फ़ातेहा पढ़ा।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर जम्मू-कश्मीर की गैरनिर्वाचित सरकार उनके जैसे चुने हुए प्रतिनिधियों को रोकने की कोशिश कर रही है, शहीदों को श्रद्धांजलि देने से रोक रही है, ये ठीक नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा कि आखिर शहीदों के नाम पर फ़ातिहा पढ़ने से सरकार को क्या दिक्कत है, एक चुने हुए मुख्यमंत्री से पुलिस का ऐसा सलूक शर्मनाक है। लेकिन बीजेपी ने कहा कि उमर अब्दुल्ला सिर्फ राजनीतिक स्टंट कर रहे हैं।
श्रीनगर में पुलिस ने उमर अब्दुल्ला के साथ जो सलूक किया, वह गलत है। एक चुने हुए मुख्यमंत्री के साथ इस तरह के सलूक को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। उमर अब्दुल्ला दीवार फांद कर, सारी सुरक्षा को पीछे छोड़कर जाएं, यह भी खतरनाक है। इसमें कोई शक नहीं कि मजार-ए-शहुदा में जाना उमर अब्दुल्ला की सियासी मजबूरी थी। वो जानते हैं कि कश्मीरी पंडित 13 जुलाई को काला दिवस मनाते हैं। वो ये भी जानते हैं कि इससे कश्मीरी पंडितों की भावनाएं आहत होंगी लेकिन इसके लिए उन्हें घर में नजरबंद करना, मजार पर जाने से रोकना, ठीक नहीं है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद से उमर अब्दुल्ला का व्यवहार बहुत शालीन रहा है। उनके साथ भी शालीनता और सम्मान के साथ सलूक होना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 जुलाई, 2025 का पूरा एपिसोड