
चैतन्य बघेल
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को शुक्रवार गिरफ्तार किया था। चैतन्य को स्पेशल कोर्ट (PMLA) रायपुर के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने 5 दिनों के लिए यानी मंगलवार तक ईडी की हिरासत प्रदान की है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
ईडी ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है। पुलिस जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
करोड़ों रुपये का घोटाला
लाभार्थियों की जेबें 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की भरी गईं। अनुसूचित अपराधों के माध्यम से अर्जित 2500 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी) जुटाई गई। ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की घूस मिली थी।
रियल एस्टेट फर्म में लगाया पैसा
उसने इन रुपयों को अपनी रियल एस्टेट फर्मों के माध्यम से आपस में मिलाया था। यह भी पता चला है कि उसने पीओसी की नकद राशि का उपयोग अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था। पीओसी का उपयोग उसकी परियोजनाओं के ठेकेदारों को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियाँ आदि के माध्यम से किया गया था।
कंपनियों के साथ सांठगांठ
उसने त्रिलोक सिंह ढिल्लों नाम के व्यक्ति के साथ भी सांठगांठ की और उसकी कंपनियों का उपयोग करके एक योजना तैयार की जिसके तहत उसने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने ‘विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट’ में फ्लैट खरीदने के नाम पर अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
शराब घोटाले से बनाए 1000 करोड़
बैंकिंग ट्रेल से पता चला कि संबंधित लेन-देन की अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों को अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त हुआ था। इसके अलावा उन पर शराब घोटाले से बनाए 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी (पोस्ट-ऑफिस ऑन-डिमांड) को संभालने का भी आरोप पाया गया है।
की जा रही है जांच
वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच की जा रही है। इससे पहले, अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (ITS) और कवासी लखमा (विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। आगे की जांच जारी है।