गाजा को लेकर इजरायल के खिलाफ हुए ब्रिटेन और कनाडा, लड़ाई को लेकर दिया ये बड़ा बयान


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गाजा की लड़ाई में अब तक हजारों जानें जा चुकी हैं।

लंदन: ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 28 देशों ने मिलकर एक बयान जारी किया है जिसमें गाजा में चल रही जंग को फौरन खत्म करने की मांग की गई है। इन देशों का कहना है कि गाजा में इंसानी हालात बद से बदतर हो चुके हैं। वहां के लोगों को खाना, पानी और बुनियादी जरूरतों के लिए तरसना पड़ रहा है। इन मुल्कों के विदेश मंत्रियों ने अपने बयान में कहा, ‘गाजा में आम लोगों की तकलीफें हद से ज्यादा बढ़ गई हैं। इजरायल की तरफ से इंसानी मदद की सप्लाई में रुकावट और आम लोगों, खासकर बच्चों, पर हमले बर्दाश्त के लायक नहीं हैं।’

इजरायल ने 28 देशों के बयान को ठुकराया

बयान में हाल ही में 800 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत को ‘भयानक’ बताया गया, जो गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मदद की तलाश में मारे गए। 28 देशों ने इजरायल पर आरोप लगाया कि उसका इंसानी मदद पहुंचाने का तरीका खतरनाक है और गाजा में अस्थिरता बढ़ा रहा है। बयान में कहा गया, ‘इजरायल का आम लोगों को बुनियादी मदद से वंचित रखना गैरकानूनी है। उसे अंतरराष्ट्रीय इंसानी कानून का पालन करना होगा।’ इजरायल ने इस बयान को ठुकराते हुए कहा कि यह ‘हकीकत से दूर’ है और हमास को गलत संदेश देता है।

अमेरिका ने दिया इजरायल का साथ

इजरायल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता औरेन मर्मोरस्टीन ने एक्स पर लिखा, ‘हमास ही जंग को लंबा खींच रहा है और दोनों पक्षों की तकलीफों का जिम्मेदार है।’ उन्होंने हमास पर इजरायल के सीजफायर और बंधक रिहाई के प्रस्ताव को ठुकराने का इल्जाम लगाया। अमेरिका ने भी बयान को खारिज किया। अमेरिकी राजदूत माइक हकबी ने इसे ‘घिनौना’ कहा और एक्स पर लिखा कि इन देशों को ‘हमास के आतंकियों’ पर दबाव डालना चाहिए। जर्मनी इस बयान में शामिल नहीं था, लेकिन जर्मन विदेश मंत्री योहान वादेपुल ने इजरायली समकक्ष गिदोन सार से बात की और गाजा के इंसानी हालात पर चिंता जताई।

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लड़ाई की शुरुआत इजरायल पर हमास के हमले से हुई थी।

बेघर हुई गाजा की 90 फीसदी आबादी

गाजा की 20 लाख से ज्यादा आबादी भयानक संकट से गुजर रही है। इजरायल की सैन्य कार्रवाई ने 90 फीसदी आबादी को बेघर कर दिया है, और ज्यादातर लोग कई बार पलायन करने को मजबूर हुए। इजरायल ने जो खाद्य सामग्री गाजा में जाने दी, वह ज्यादातर गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन को दी गई, जो एक अमेरिकी संगठन है और इजरायल का समर्थन करता है। मई से अब तक सैकड़ों फिलिस्तीनी इन मदद के ठिकानों पर इजरायली सैनिकों की गोलीबारी में मारे गए। इजरायली सेना का कहना है कि उसने सिर्फ चेतावनी के लिए गोलियां चलाईं।

28 देशों ने की तुरंत सीजफायर की मांग

7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें करीब 1200 लोग मारे गए और 251 को बंधक बनाया गया। अभी 50 बंधक गाजा में हैं, जिनमें से आधे से कम के जिंदा होने की उम्मीद है। गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, इजरायल की कार्रवाई में 59,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें आधे से ज्यादा औरतें और बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र इस आंकड़े को विश्वसनीय मानता है। 28 देशों ने तुरंत सीजफायर की मांग की और शांति के लिए राजनीतिक रास्ता तलाशने की बात कही। ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने संसद में कहा, ‘इस जंग का कोई सैन्य हल नहीं है। अगला सीजफायर आखिरी होना चाहिए।’

सीजफायर की सारी कोशिशें हुईं नाकाम

अमेरिका, कतर और मिस्र सीजफायर के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी कोई कामयाबी नहीं मिली है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जंग तब तक जारी रखने की बात कही है, जब तक सभी बंधक रिहा नहीं हो जाते और हमास खत्म या निहत्था नहीं हो जाता। बता दें कि इससे पहले मई में ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने इजरायल से सैन्य कार्रवाई रोकने को कहा था, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इजरायल का कहना है कि वह कानून के दायरे में काम कर रहा है और आम लोगों की मौतों का जिम्मेदार हमास है, जो आबादी वाले इलाकों में सक्रिय है। (AP)

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