कांवड़ यात्रा QR कोड मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, यूपी सरकार का आदेश बरकरार


Kanwar Yatra QR code, Supreme Court QR code decision
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कांवड़ यात्रा क्यूआर कोड मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों और ढाबों में क्यूआर कोड लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को बरकरार रखा है। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी और कहा कि सभी होटल और ढाबा मालिकों को वैधानिक नियमों के तहत लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करना होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस समय अन्य विवादित मुद्दों पर विचार नहीं कर रहा है।

QR कोड पर क्या था सरकार का तर्क?

कोर्ट ने कहा, ‘हमें बताया गया है कि आज कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है। निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है। इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश देते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करें।’ हर साल सावन के महीने में लाखों शिव भक्तों द्वारा की जाने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों, ढाबों और दुकानों को QR कोड लगाने का आदेश दिया था। इन QR कोड को स्कैन करने पर दुकान मालिकों के नाम, धर्म और अन्य जानकारी का पता चलता था। सरकार का तर्क था कि यह कदम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और तीर्थयात्रियों को दुकानों की स्वच्छता के बारे में जानकारी देने के लिए उठाया गया था।

क्या थी याचिकाकर्ताओं की दलील?

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा, सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि क्यूआर कोड लगाने का आदेश न केवल निजता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है। याचिकाकर्ताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट के 2024 के आदेश की अवमानना बताया, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि यह आदेश सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है और कुछ समुदायों को निशाना बनाने का कारण बन सकता है।

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