
विद्यु विनोद चोपड़ा
बॉलीवुड प्रोड्यूसर और डायरेक्टर विद्यु विनोद चोपड़ा आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। विद्यु विनोद बॉलीवुड के उन प्रोड्यूसर्स में से एक जिन्होंने अपने कहानी कहने के जुनून से सिनेमा का चेहरा बदला और अपने जहीन दिमाग से ऐसी कहानियां लोगों को दीं जो आज भी जहन में बसी हुई हैं। विद्यु विनोद चोपड़ा ने ही बॉलीवुड में गैंगस्टर फिल्मों की शुरुआत की थी और सबसे पहले 1989 में आई फिल्म परिंदा में पर्दे पर अपराध की दुनिया की झलकियां दिखाई थीं।
कश्मीर की वादियों से मुंबई तक का सफर
निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा का जन्म 5 सितंबर, 1952 को श्रीनगर, कश्मीर में हुआ था। पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1976 में लघु फिल्म मर्डर एट मंकी हिल से निर्देशन में कदम रखा। इसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दो साल बाद 1978 में उन्होंने एन एनकाउंटर विद फेसेस नामक एक शॉर्ट फिल्म बनाई, जिसे 1979 के अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया।
फिल्म ने जीता था अवॉर्ड
भारत के बेसहारा बच्चों की दुर्दशा को उजागर करने वाली इस मार्मिक फिल्म ने टैम्पियर अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव (1980) में ग्रांड प्रिक्स भी जीता। इसके बाद चोपड़ा ने 1981 में अपनी पहली मुख्यधारा की हिंदी फिल्म सजाए मौत (डेथ रो) बनाई । बाद में उनके द्वारा निर्देशित खामोश, परिंदा, 1942: अ लव स्टोरी, करीब और मिशन कश्मीर जैसी फिल्मों को समीक्षकों और दर्शकों दोनों ने सराहा। 2003 में निर्देशन से हटकर, उन्होंने अपनी पहली पटकथा लिखी और अपनी कंपनी, विनोद चोपड़ा फिल्म्स के तहत मुन्ना भाई एमबीबीएस के साथ अपना पहला एकल निर्माण भी किया।
मुन्ना भाई जैसी फिल्मों में किया कमाल
राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे लोकप्रिय और सफल फिल्मों में से एक बन गई। मुन्ना भाई श्रृंखला की दूसरी फिल्म, लगे रहो मुन्ना भाई (2006) ने महात्मा गांधी के अहिंसा सिद्धांतों का प्रचार किया और उन्हें एक नए प्रकाश में चित्रित किया। फिल्म की रिलीज के बाद पूरे भारत में फैली ‘गांधीवाद’ की लहर अभूतपूर्व थी। चोपड़ा ने एक और निर्देशक प्रदीप सरकार के साथ फिल्म परिणीता (2005) का लेखन और निर्माण भी किया। इसे आलोचनात्मक और लोकप्रिय प्रशंसा मिली। सात साल के अंतराल के बाद, चोपड़ा ने नाटकीय एक्शन-थ्रिलर एकलव्य: द रॉयल गार्ड (2007) के साथ एक बार फिर निर्देशन की बागडोर संभाली। राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित विनोद चोपड़ा फिल्म्स की एक और फिल्म 3 इडियट्स (2009) 2017 तक भारत की सबसे बड़ी सुपरहिट रही थी।
आज भी दिलों में बसी हैं इनकी कहानियां
फिल्म ने कई पुरस्कार जीते जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी शामिल है। इसे ताइवान और कोरिया जैसे बाजारों में भी लोकप्रियता मिली। 3 इडियट्स की सफलता के बाद, विनोद चोपड़ा ने एक और नए निर्देशक, राजेश मापुस्कर के साथ काम किया और फिल्म फेरारी की सवारी (2012) का सह-लेखन किया। फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर सफल रही और दर्शकों ने इसके खूबसूरत संदेश के लिए इसकी सराहना की। 2014 में, उन्होंने अपने लंबे समय के सहयोगी राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित एक और फिल्म पीके का निर्माण किया। विनोद चोपड़ा ने 2015 में अपनी फिल्म ब्रोकन हॉर्सेज के साथ हॉलीवुड निर्देशन में पदार्पण किया। इस फिल्म का सह-निर्माण अमेरिकी कंपनी मैंडविल फिल्म्स ने किया था। उन्होंने कई अन्य फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें वजीर (2016), संजू (2018), और एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा (2018) शामिल हैं।
