सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बढ़ती संख्या के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंत्रालय ने ध्वनिक वाहन अलर्टिंग सिस्टम यानी AVAS को अनिवार्य करने का मसौदा अधिसूचना जारी किया है, जिसका मुख्य लक्ष्य पैदल यात्रियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्ट अधिसूचना के मुताबिक, इस नियम को दो चरणों में लागू किया जाएगा।
दोनों चरण को समझ लें
पहले चरण में 1 अक्टूबर 2026 से बाजार में लॉन्च होने वाले सभी नए इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मॉडलों में AVAS लगाना अनिवार्य होगा, जबकि दूसरे चरण में 1 अक्टूबर 2027 से यह नियम मौजूदा मॉडलों पर भी लागू कर दिया जाएगा। खबर के मुताबिक, अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि कैटेगरी M और N के इलेक्ट्रिक गाड़ियों में AVAS लगा होना आवश्यक होगा, जो AIS-173 मानक के मुताबिक, श्रव्यता (ऑडिबिलिटी) से संबंधित सभी शर्तों को पूरा करता हो।
क्या है AVAS और इसकी ज़रूरत क्यों?
अकूस्टिक व्हीकल अलर्टिंग सिस्टम (AVAS) एक ऐसा उपकरण है जो इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों के बेहद कम या शून्य शोर उत्पन्न करने पर एक कृत्रिम ध्वनि पैदा करता है। पारंपरिक ईंधन वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन चलते समय अत्यधिक शांत होते हैं। यह चुप्पी उन्हें सड़क पर एक तरह का “अदृश्य खतरा” बना देती है। AVAS का मुख्य उद्देश्य पैदल यात्रियों, विशेषकर नेत्रहीन और बुजुर्ग लोगों को, वाहन की उपस्थिति के बारे में सचेत करना है, ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
किन गाड़ियों पर लागू होगा यह?
यह नियम मुख्य रूप से दो कैटेगरी के इलेक्ट्रिक वाहनों पर लागू होगा। कैटेगरी M, यात्री परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहन, जैसे कि कारें और बसों पर लागू होगा। इसके अलावा, कैटेगरी N, माल परिवहन के लिए उपयोग होने वाले वाणिज्यिक वाहन, जैसे कि इलेक्ट्रिक ट्रक पर लागू होगा।
भारत वैश्विक सुरक्षा मानकों की ओर
इस कदम से भारत, इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा के मानकों को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में अग्रसर है। बता दें कि अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के कई देशों में AVAS सिस्टम को पहले ही कानूनी रूप से अनिवार्य किया जा चुका है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का यह प्रस्ताव सड़क सुरक्षा को बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण पहल है।