
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में अमेरिका का पासपोर्ट पहली बार टॉप 10 में जगह नहीं बना पाया है।
लंदन: अमेरिकी पासपोर्ट, जो कभी दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट माना जाता था, पहली बार हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की टॉप 10 लिस्ट से बाहर हो गया है। 20 साल पहले शुरू हुई इस रैंकिंग में अमेरिका अब 12वें स्थान पर खिसक गया है, और मलेशिया के साथ इस स्थान को साझा कर रहा है। यह गिरावट वैश्विक कूटनीति और वीजा नीतियों में बदलाव का नतीजा है, जिसने अमेरिकी पासपोर्ट की ताकत को कम कर दिया है।
आखिर क्यों गिरी अमेरिका की रैंकिंग?
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटा पर आधारित हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के मुताबिक अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को अब 227 में से सिर्फ 180 देशों में बिना वीजा यात्रा की सुविधा है। यह संख्या एक दशक पहले के टॉप रैंक की तुलना में काफी कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्राजील जैसे देशों ने अमेरिका के साथ वीजा-मुक्त यात्रा का समझौता खत्म कर दिया, क्योंकि अमेरिका ने बदले में ऐसी सुविधा नहीं दी। इसके अलावा, चीन और वियतनाम ने भी अपनी वीजा-मुक्त सूची में अमेरिका को शामिल नहीं किया। पापुआ न्यू गिनी, म्यांमार और सोमालिया के नए eVisa सिस्टम ने भी अमेरिकी पासपोर्ट की पहुंच को और सीमित कर दिया।
अमेरिका की वीजा पॉलिसी भी है वजह
अमेरिका की वीजा नीतियां भी इस गिरावट की एक बड़ी वजह हैं। जहां अमेरिकी नागरिक 180 देशों में बिना वीजा जा सकते हैं, वहीं अमेरिका सिर्फ 46 देशों के नागरिकों को अपने यहां बिना वीजा आने की इजाजत देता है। हेनली ओपननेस इंडेक्स में अमेरिका 77वें स्थान पर है, जो दर्शाता है कि अमेरिका ‘मेहमाननवाजी’ के मामले में काफी पीछे है। ऑस्ट्रेलिया के बाद अमेरिका में यह अंतर सबसे बड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की सख्त नीतियों का जवाब दुनिया के देश भी उसी तरह दे रहे हैं।
सिंगापुर नंबर वन, चीन की रैंकिंग भी सुधरी
सिंगापुर 193 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा के साथ पहले स्थान पर है, जबकि दक्षिण कोरिया (190) और जापान (189) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। चीन ने पिछले एक दशक में अपनी पासपोर्ट ताकत में जबरदस्त इजाफा किया है। 2015 में 94वें स्थान पर रहा चीन अब 64वें स्थान पर पहुंच गया है, जिसमें 37 और देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा शामिल हुई है और कुल संख्या 82 पर पहुंच गई है। इसके उलट, चीन 76 देशों के लोगों बिना वीजा अपने यहां आने की इजाजत देता है, जो अमेरिका से 30 ज्यादा है। हाल ही में चीन ने रूस को भी अपनी वीजा-मुक्त लिस्ट में शामिल किया है। भारत इस लिस्ट में 85वें नंबर पर है और यहां के नागरिक 57 देशों में वीजा फ्री यात्रा का आनंद लेते हैं।
अमेरिकियों में दूसरी नागरिकता की होड़
अमेरिकी पासपोर्ट की घटती ताकत और वैश्विक अनिश्चितता ने अमेरिकियों को दूसरी नागरिकता या निवास की तलाश में धकेल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका अपनी वीजा नीतियों को और खुला नहीं करता, तो उसका पासपोर्ट और कमजोर हो सकता है। दूसरी ओर, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देश अपनी कूटनीतिक ताकत और खुली नीतियों के दम पर वैश्विक यात्रा की दुनिया में और आगे निकल सकते हैं।