
एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कुआलालंपुर में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय विकास और वैश्विक चुनौतियों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।
क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हुई चर्चा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की गई एक पोस्ट में जयशंकर ने कहा, ‘आज सुबह कुआलालंपुर में मार्को रुबियो से मिलकर खुशी हुई। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हुई चर्चा की सराहना की।’
इस बातचीत का मिलेगा कूटनितिक महत्व
दोनों नेताओं के बीच उच्च स्तरीय बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील चल रही है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक बातचीत को कूटनीतिक महत्व मिलेगा।
भारत ‘जल्दबाजी’ में नहीं करेगा व्यापार समझौता- पीयूष गोयल
पिछले हफ्ते, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जोर देकर कहा था कि भारत ‘जल्दबाजी’ में कोई भी व्यापार समझौता नहीं करेगा और न ही साझेदार देशों की ऐसी शर्तें स्वीकार करेगा जो उसके व्यापारिक विकल्पों को सीमित कर सकती हैं। उनकी इन टिप्पणियों से नई दिल्ली के सतर्क रुख का पता चलता है, जबकि वाशिंगटन के साथ बातचीत आगे बढ़ रही है।
विश्वास, दीर्घकालिक संबंध और वैश्विक व्यापार सहयोग
जयशंकर ने कहा कि व्यापार समझौते ‘शुल्क या बाजार पहुंच’ से कहीं आगे तक फैले होते हैं और विश्वास, दीर्घकालिक संबंध और वैश्विक व्यापार सहयोग के लिए स्थायी ढाँचे बनाने पर केंद्रित होते हैं। यह दृष्टिकोण भारत की इस मंशा को रेखांकित करता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अमेरिका के साथ भविष्य का कोई भी समझौता उसके दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप हो।
सतर्क और संतुलित रुख अपनाता रहेगा भारत
गोयल ने जोर देकर कहा कि भारत सतर्क और संतुलित रुख अपनाता रहेगा। वाशिंगटन के साथ बातचीत का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘बहुत ही अल्पकालिक संदर्भ में बात यह नहीं है कि अगले छह महीनों में क्या होने वाला है। बात सिर्फ अमेरिका को स्टील बेचने की नहीं है।’
लंबी अवधि के लिए होते हैं व्यापार समझौते
उन्होंने आगे कहा कि भारत की व्यापार रणनीति अल्पकालिक लक्ष्यों के बजाय दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से निर्देशित होती है। उन्होंने कहा, ‘व्यापार समझौते लंबी अवधि के लिए होते हैं। यह केवल टैरिफ के बारे में नहीं है, यह विश्वास और रिश्ते के बारे में भी है। व्यापार समझौते व्यवसायों के बारे में भी होते हैं।’ (इनपुट- एएनआई)
