
बिहार के सीएम नीतीश
बिहार में विधानसभा की सभी 243 सीटों के लिए मतदान दो चरणों में, 6 और 11 नवंबर को संपन्न हो गया है और अब कल यानी 14 नवंबर का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। इस दिन सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती होगी, जानकारी के मुताबिक दोपहर तक रुझान आने लगेंगे और शाम तक साफ हो जाएगा कि किस गठबंधन को जीत मिल रही है। मतदान के बाद एग्जिट पोल में एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करती दिखाई दे रही है तो वहीं महागठबंधन का आंकड़ा कहीं कम तो कहीं ज्यादा है लेकिन एग्जिट पोल में महागठबंधन जादुई आंकड़ा छूता नहीं दिख रहा है। इन सबके बीच सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा से ज्यादा सीटें नीतीश कुमार की जदयू को मिलती दिखाई दे रही है और सीएम एक बार फिर से नीतीश कुमार ही बन सकते हैं।
नीतीश की हरकतें कैमरे में होती रहीं कैद
नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं चलीं, लेकिन इसके पीछे की वजहें भी काफी अलग थीं। हालांकि उनकी हरकतें और कैमरे पर उसका वीडियो उनकी छवि को नुकसान पहुंचाता रहा। उम्र का हवाला और स्वास्थ्य को लेकर चर्चा हुई लेकिन जैसे ही चुनाव के लिए सीट बंटवारे का ऐलान हुआ वैसे ही नीतीश ने गठबंधन से अलग राह पकड़ ली। उन्हें गठबंधन ने सीएम फेस घोषित नहीं किया और कहा जा रहा है कि इसी वजह से नीतीश कुमार पीएम मोदी की सभाओं से दूर रहे। नीतीश की एक ही धुन थी कि जदयू को सीटें भाजपा से ज्यादा मिल जाएं और वे शायद इसमें सफल भी होते दिख रहे हैं।
नीतीश के पेट मे दांत है…लालू ने कहा था
नीतीश कुमार ने सीएम पद पर काबिज रहने का रिकॉर्ड बना दिया है और इस बार अगर फिर से वो सीएम बनते हैं तो ये भी बड़ी बात होगी। हालांकि नीतीश की जदयू को कभी बिहार की जनता ने बहुमत नहीं दिया लेकिन कभी महागठबंधन तो कभी एनडीए की मदद से वे सरकार बनाते रहे और सीएम की कुर्सी पर बैठे रहे। लालू ने कहा था कि नीतीश कुमार कब क्या करेंगे, कोई नहीं जानता। उनके पेट में दांत है। लालू और नीतीश की सियासी दोस्ती भी काफी चर्चा में रही है। दोनों ही जेपी आंदोलन से निकले हैं, लेकिन कहते हैं ना सियासत में कोई दोस्त और दुश्मन नहीं होता। आज भी अगर लालू आवाज दें तो शायद नीतीश रूक नहीं पाएंगे।
महिलाओं को दिया आरक्षण
बिहार में साफ सुथरी छवि वाले नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। उन्होंने बिहार के विकास के लिए जो भी कार्य किए, जनता ने उनकी सराहना की और विकास पुरुष की उपाधि दी। राजद सुप्रीमो चार घोटाला मामले के उजागर होने के बाद जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को भले ही बिहार की पहली मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं को उस जगह पहुंचाया जहां उनके ख्वाबों को पर लगे।

बिहार के सीएम नीतीश
नीतीश कुमार का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक रहा, महिलाओं को आरक्षण और आज बिहार देश का पहला राज्य है जिसने स्थानीय निकायों और पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया और एक मिसाल कायम की। 2005 से पहले, बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए कोई आरक्षण नहीं था। इसके बाद राज्य की सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं के लिए 35% आरक्षण कोटा लागू है।
शराबबंदी और बालिका पोशाक योजना
नीतीश कुमार ने शराबबंदी का फैसला जीविका दीदी समूह के एक कार्यक्रम में यं ही एक दीदी की बात मानकर किया था। शराबबंदी ही नहीं की, इसके लिए सख्त कानून बनाए। महिलाओं ने उनके इस फैसले को सर माथे पर बैठाया। इसके साथ ही बालिका पोशाक और साइकिल योजना लागू करने के बाद बिहार में बच्चियों के शिक्षा के नए द्वार खुले। गांव के कोने कोने से बच्चियां जब नीली पोशाक में साइकिल की घंटी बजाकर चलतीं तो ये देखकर मां बाप के चेहरे पर मुस्कान खिल जाती थी।
इस बार भी नीतीश ने खेला बड़ा सियासी दांव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सधे हुए राजनेता की तरह विधानसभा चुनाव से पहले सियासी चाल चली और कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना की राशि बढ़ाना, 125 यूनिट तक बिजली फ्री करना और बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी व रोजगार का वादा किया। इन सबमें फिर से महिलाओं के लिए 10,000 लोन की राशि उनके एकाउंट में ट्रांसफर करना, सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है, यही वजह है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी महिलाओं ने भर भरकर वोट दिया। यही वजह है कि जीत किसी भी गठबंधन को मिले, सीएम नीतीश कुमार ही बनेंगे।
