
नुसरत भरुचा।
बॉलीवुड एक्ट्रेस नुसरत भरुचा हाल ही में उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची थीं, जहां उन्होंने महाकाल के दर्शन किए और आशीर्वाद लिया। एक्ट्रेस ने पारंपरिक भस्म आरती में भी हिस्सा लिया और मंदिर के पुजारियों ने उन्हें एक शॉल के साथ सम्मानित भी किया, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाए रहे। लेकिन, उनका ये कदम अब मुस्लिम धर्म और धार्मिक सहिष्णुता के कारण चर्चा का विषय बन गया है। अब अपनी इसी यात्रा और महाकाल के दर्शन करने को लेकर अभिनेत्री सुर्खियों में हैं। ऑल इंडिया जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने नुसरत भरुचा के महाकाल मंदिर दर्शन को लेकर नाराजगी जाहिर की है और अभिनेत्री के खिलाफ फतवा जारी कर दिया है।
नुसरत भरुचा के खिलाफ जारी किया फतवा
मौलाना शहाबुद्दीन का कहना है कि नुसरत भरुचा ने महाकाल मंदिर में जिन धार्मिक परंपराओँ का पालन किया तमाम चीजें इस्लाम के खिलाफ हैं और इसके चलते वह शरीयत की नजर मे गुनहगार हैं। मौलाना ने कहा कि नुसरत को ऐसानहीं करना चाहिए और उनको कलमा भी पढ़ना चाहिए। महाकालेश्वर मंदिर में पूजा दर्शन करने के चलते नुसरत भरुचा के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने इसे “गंभीर पाप” बताया है। मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने अभिनेत्री को नसीहत देते हुए कहा कि ‘इस्लाम मंदिर में जाकर चल चढ़ाने र पूजा करने की इजाजत नहीं देता, उन्हें अल्लाह से माफी मांगना चाहिए।’
30 दिसंबर को महाकाल के दर्शन के लिए पहुंची थीं नुसरत
बता दें, नुसरत भरुचा मंगलवार, 30 दिसंबर को महाकाल मंदिर पहुंची थीं। जहां उन्होंने भस्म आरती में भी हिस्सा लिया और महाकालेश्वर के दर्शन करके आशीर्वाद लिया। ऐसे में मंदिर समिति की तरफ से शिवकांत पांडे ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने महाकाल पर अपनी आस्था के बारे में बात करते हुए कहा था कि वह हर साल बाबा के दर्शन के लिए आना चाहती हैं। उन्होंने ये भी बताया कि वह दूसरी बार महाकाल के दर्शन के लिए आई हैं।
हर धर्म को मानती हैं नुसरत भरुचा
बता दें, नुसरत भरुचा ने शुभांकर मिश्रा के साथ बातचीत में धर्म को लेकर अपने विचारों पर बात की थी। उन्होंने इस दौरान कहा था- ‘मेरे लिए, मेरा विश्वास सच्चा है। इसीलिए मैं अब भी इससे जुड़ी हुई हूं, अब भी मजबूत हूं, और मुझे पता है कि मुझे इसी मार्ग पर चलना है। आपको जहां भी शांति मिले, चाहे वह मंदिर हो, गुरुद्वारा हो या चर्च, आपकोजाना चाहिए। मैं तो यह बात खुलकर कहता हूं, मैं नमाज़ पढ़ती हूं। अगर समय मिले तो दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ती हूं। ट्रैवलिंग के दौरान भी नमाज़ की चटाई साथ रखती हूं। मेरा हमेशा से यही मानना रहा है कि ईश्वर एक ही है और उससे जुड़ने के अनेक मार्ग हैं। और मैं उन सभी मार्गों को खोजना चाहती हूं।’
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