केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस सप्ताह ‘आप की अदालत’ शो में मेरे मेहमान थे। नितिन गडकरी एक ऐसे नेता हैं जो खूब बोलते हैं, खुलकर बोलते हैं, उनके बयानों पर विवाद भी होता है और सफाई भी देनी पड़ती है। ‘आप की अदालत’ में भी उन्होंने ऐसी कई बातें कही जिन्हें सुनकर आपको हैरानी होगी। मिसाल के तौर पर, उन्होंने कहा कि देश में 40 फीसदी ड्राइवर ऐसे हैं जिन्हें सही से दिखाई नहीं देता। वह ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव करने की योजना बना रहे हैं। गडकरी ने बताया कि कैसे डॉ मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त नरेंद्र मोदी को आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए अमित शाह पर दबाव डाला गया था। गडकरी ने राहुल गांधी को यह भी याद दिलाया कि कैसे उनकी दादी इंदिरा गांधी ने जनता पार्टी के शासन के दौरान लंदन में ब्रिटिश मीडिया से कहा था कि वह भारत के घरेलू मुद्दों पर सिर्फ अपने देश में बोलना पसंद करेंगी।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कैसे उन्होंने सड़कें बनाने के लिए अब तक 50 लाख करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं लेकिन कभी किसी ठेकेदार को उनके पास नहीं आना पड़ा, कभी किसी ने इल्जाम नहीं लगाया। नितिन गडकरी ने कहा कि वह दिल्ली के प्रदूषण को लेकर बहुत चिंतित हैं और वह इसे कम करने के लिए एक बहुत बड़े प्लान पर काम कर रहे हैं। कूड़े के पहाड़ों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कूड़े का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया जा रहा है। ‘
ममता को हावड़ा में हुई हिंसा पर जवाब देना ही होगा
हावड़ा में शुक्रवार को जारी हिंसा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से बात की और उनसे रामनवमी शोभायात्रा के दौरान हुए दंगों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी। इस मामले में अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। शुक्रवार को आई तस्वीरों में पुलिस पथराव करती दंगाइयों की भीड़ के आगे साफ तौर पर बेबस नजर आ रही है। ये तस्वीरें सरकार के खत्म होते इकबाल की गवाह हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इल्जाम लगाने की बजाय जवाब देना चाहिए। अगर इसी जगह पर पिछले साल भी दंगा हुआ था, शोभायात्रा पर हमला हुआ था तो इस साल वहां पहले से सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए। अगर सरकार को इस बात की जानकारी थी कि सांप्रदायिक तनाव हो सकता है, कुछ लोग साजिश रच रहे हैं तो सरकार ने साजिश रचने को मौका क्यों दिया? उन्हें पहले क्यों नहीं पकड़ा? ये सही है कि शोभायात्रा के दौरान कुछ लोगों के हाथ में तलवार और पिस्तौल थी, पुलिस ने इन लोगों को रोका क्यों नहीं, पकड़ा क्यों नहीं? सबसे बड़ी बात कि एक दिन पहले दंगा हुआ, और फिर उसी जगह पर कई घंटों तक दंगाइयों ने उपद्रव किया, यह पुलिस की नाकामी नहीं है तो और क्या है? तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि पत्थरबाजी कौन लोग कर रहे हैं, इसके बाद भी बंगाल की पुलिस दंगाइयों के सामने हाथ बांधकर क्यों खड़ी रही? सवाल बहुत सारे हैं। यह सही है कि बीजेपी इस मुद्दे पर सियासत कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि बीजेपी को यह मौका किसने दिया? क्या अभिषेक बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के नेता जो बयानवाजी कर रहे हैं, वो सियासत नहीं है? हो सकता है कि इस तरह के बयानों से बीजेपी को हिंदुओं के और TMC को मुसलमानों को थोड़े-बहुत वोट और मिल जाएं, लेकिन बीजेपी और ममता बनर्जी दोनों को सोचना होगा कि इससे बंगाल की छवि को, वहां की मिलजुलकर रहने की संस्कृति को कितना नुकसान हो रहा है।
गुजरात हाई कोर्ट ने केजरीवाल पर लगाया जुर्माना
गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ‘RTI ऐक्ट के प्रयोजन और उद्देश्य का मजाक बनाने के लिए’ 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। उन्हें 4 हफ्ते के भीतर जुर्माना जमा करने को कहा गया है। हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के 7 साल पुराने उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को RTI ऐक्ट के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की MA की डिग्री पर केजरीवाल द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। एक सत्तासीन मुख्यमंत्री पर हाई कोर्ट 25000 रुपये का जुर्माना लगाए और यह कहे कि आपने कोर्ट का वक्त खराब किया है, बेहद ही शर्म की बात है। मजे की बात यह है कि कोर्ट ने केजरीवाल से साफ-साफ कहा कि आपको पता था कि नरेंद्र मोदी के पास डिग्री है, और आपको यह भी पता था कि इस डिग्री को यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर कोई भी देख सकता है, फिर भी आपने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की कि यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री की डिग्री दिखाने का विरोध कर रही है। कोर्ट के इतना सब कहने के बावजूद, जुर्माना लगाने के बाद भी केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर ये दिखाने की कोशिश की कि उन पर जुर्माना मोदी की डिग्री दिखाने की मांग करने के कारण लगा है।
जिस प्रधानमंत्री के पास BA और MA की डिग्री है, उसे अनपढ़ कहना कैसे जस्टिफाई हो सकता है। केजरीवाल तो 2014 में मोदी के खिलाफ बनारस में चुनाव लड़कर हार चुके हैं, उस चुनाव के एफिडेविट में मोदी की डिग्री के बारे में लिखा हुआ है। गुजरात यूनिवर्सिटी ने मोदी की डिग्री 2016 में ही अपनी वेबसाइट पर पोस्ट कर दी थी। केजरीवाल को यह पता था। प्रधानमंत्री की डिग्री छिपाने वाली कोई बात ही नहीं है क्योंकि यह डिग्री 2 जगह उपलब्ध है, एक चुनाव आयोग में फाइल किए गए एफिडेविट में और दूसरा गुजरात यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर। फिर भी केजरीवाल पीएम मोदी को कम पढ़ा-लिखा कह रहे हैं। साफ है कि यह सब जानबूझकर, सोच-समझकर एक गलत छाप छोड़ने की नीयत से किया जा रहा है, और इसीलिए बात का बतंगड़ और राई का पहाड़ बनाया गया। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 31 मार्च, 2023 का पूरा एपिसोड