Morbi bridge accident to state government and municipality Gujarat High Court reprimanded said Don’t show too much cleverness मोरबी पुल हादसे पर गुजरात सरकार को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार


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मोरबी पुल हादसा

गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे पर हाईकोर्ट ने कदा रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान ली गई जाहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार और मोरबी नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि टेंडर जारी करने के दौरान कई खामियां पाई गईं। इसमें नगर पालिका और सरकार को होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं है। 

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने सवाल किया कि, “15 जून 2016 को कॉन्ट्रैक्टर का टर्म समाप्त हो जाने के बाद भी नया टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया? बिना टेंडर के एक व्यक्ति के प्रति राज्य की ओर से कितनी उदारता दिखाई गई?” साथ ही बेंच ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि, बगर निकाय के मुख्य अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं की गई?

मृतकों के परिवार को दी जाये नौकरी 

याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने राज्य सरकार से सवाल किया कि, “इस हादसे में जिन लोगों ने मौत हुई और वो अपने परिवार में कमाने वाले अकेले थे, उनके परिवार के सदस्य को सहायता के तौर पर नौकरी दी जा सकती है?” वहीं इस जनहित याचिका में एक मानवाधिकार आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया अभी इस बात भी पुष्टि की जा रही है कि मृतकों के परिवारों को सरकार की तरफ से मुआवजा दिया भी गया है या नहीं। 

24 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

हाई कोर्ट में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। बेंच ने पूछा कि पहला एग्रीमेंट समाप्त हो जाने के बाद किस आधार पर ठेकेदार को पुल को तीन सालों तक ऑपरेट करने की इजाजत दी गई? अदालत ने कहा कि इन सवालों का जवाब हलफनामे में अगली सुनवाई के दौरान देना चाहिए, जो कि दो हफ्तों के बाद होगी।

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