holi 2023 why holi is famous in braj near mathura vrindavan braj ki holi know here from pundrik goswami ji maharaj in hindi – Holi 2023: पूरी दुनिया में मशहूर है ब्रज की होली, जानिए कैसे हुई थी रंगों


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Holi 2023

Holi 2023:  जहां होली भारत के लगभग हर हिस्से में मनाई जाती है, वहीं ब्रज की होली विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ब्रज एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जो मथुरा, वृंदावन और आसपास के कुछ क्षेत्रों को कवर करता है। यहां की होली अपने अनोखे रीति-रिवाजों और परंपराओं के कारण दुनियाभर के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मथुरा भगवान कृष्ण का जन्म स्थान है, और वृंदावन वह स्थान है जहां वे बचपन में बड़े हुए थे। आइए प्रसिद्ध आचार्य पुंडरीक गोस्वामी से जानते हैं श्री राधारमण मंदिर (Shri Radha Raman Temple, Vrindavan) के रंगारंग उत्सव के बारे में।

कैसे हुई थी होली की शुरुआत?

जब श्री कृष्ण छोटे थे, तो उन्होंने माता यशोदा को राधा रानी के गोरा होने के बारे में बताया, जबकि श्री कृष्ण स्वयं सांवरे थे। यशोदा माता ने उन्हें राधा रानी को रंगों से रंगने का सुझाव दिया जिससे वे दोनों एक समान लगें। और इसी तरह बरसों तक श्री कृष्ण, मित्रों सहित, अपने गाँव- नंदगाँव से बरसाना में, राधा रानी और अन्य गोपियों को रंग लगाने जाते थे, और इसलिए परंपरा विकसित हुई। वृंदावन वह स्थान है जहां उत्सव सबसे पहले शुरू होता है, आमतौर पर होली के दिन से एक सप्ताह पहले। परंपरा के अनुसार, नंदगाँव के पुरुष बरसाना में महिलाओं पर रंग लगाने आते हैं, जो हसी ठिठोली में, बदले में उन्हें लाठी से मारती हैं। इसे बरसाना की प्रसिद्ध लठमार होली के नाम से जाना जाता है। 

होलिका दहन पर फूल वाली होली खेली जाती है

होली का त्योहार केवल रंगों का ही नहीं, अपितु बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रमाण है।  भगवान विष्णु के प्रिय भक्त- श्री प्रह्लाद जी, भक्ति की ताकत का प्रमाण देते हैं। पुंडरीक गोस्वामी जी बताते हैं कि कैसे भक्त प्रह्लाद का, भगवान श्री विष्णु के लिए समर्पण, भगवान को स्वयं बाध्य कर बैठा। होलिका दहन का त्योहर हमें भक्ति की शक्ति का स्मरण भी करता है, जब हम एक बार फिर भक्त प्रहलाद और उनकी बुआ होलिका को याद करते हैं। कैसे होलिका अग्नि प्रज्ज्वलित कर भक्त प्रह्लाद को अपनी गोदी में बिठा कर, मारने की तैयारी में बैठी थी, और कैसे भक्त प्रह्लाद केवल भगवान को सब अर्पण करके केवल नाम जाप करते रहे। अन्त: होलिका का दहन हुआ और भक्त प्रहलाद की भक्ति की विजय हुई।

होलिका दहन के दिन, वृंदावन में फूल वाली होली मनाई जाती है। जुलूस के बाद शाम को होलिका दहन का समय आता है। पंचांग के अनुसार, लकड़ी के तख्तों और पेड़ की शाखाओं के विशाल ढेर बनाए जाते हैं और फिर उपयुक्त समय पर आग लगा दी जाती है।

एक सप्ताह तक चलता है आयोजन

वृंदावन में श्री राधारमण मंदिर, उत्सव का आनंद लेने के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है क्योंकि यहां एक सप्ताह होली उत्सव का आयोजन होता है। इन दिनों होली खेलने के लिए  की मूश्री राधा रमण लाल जू को सफेद रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। वृंदावन की होली रंगीन पानी और गुलाल से खेली जाती है, जो फूलों और केसर जैसे जैविक पदार्थों का उपयोग करके बनाया जाता है। गोस्वामी जन- फूल, बाल्टी, रंगों के थाल, पानी की पिचकारियां, आदि का उपयोग करके, ठाकुर जी की तरफ से सभी भक्तों पर रंग छिड़कते हैं। मंदिर में भजन- कीर्तन के साथ पूरे वातावरण को और भी जीवंत बना दिया जाता है और लोग रंगों का आनंद लेते हुए धुनों पर नृत्य करते हैं।

आचार्य पुंडरिक गोस्वामी बताते हैं कि कैसे भगवान कृष्ण समाज को एक साथ लाये, सीमाओं को हटा दिया और हमें हर रंग का आनंद लेना सिखाया। रंग जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, और कृष्ण हमें जीवन की हर अवस्था में आनंद लेना सिखाते हैं। इसके अलावा, होली जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को एक छत के नीचे मनाने के लिए एक साथ लाने का एक तरीका है।

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