जयपुर: राजस्थान चुनावों को लेकर इंडिया टीवी के स्पेशल शो ‘चुनाव मंच’ में भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कई मुद्दों पर खुलकर बात की। ‘चुनाव मंच’ में जब शेखावत से ‘लाल डायरी’ और इसको बीजेपी द्वारा बड़ा मुद्दा बनाए जाने पर सवाल किया गया तो उन्होंने खुलकर जवाब दिया। ‘लाल डायरी’ पर बोलते हुए शेखावत ने कहा कि 2020 में एक IT रेड के समय में इस बारे में खबर आई थी, और बाद में इस बात को ही नकार दिया गया कि ऐसी कोई डायरी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाद में राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से हटाया गया और फिर विधानसभा में जो ‘रग्बी मैच’ हुआ उसके बाद जनता को ‘लाल डायरी’ के काले राज के बारे में पता चल गया।
‘डायरी के 2 पन्ने आए और सरकार मौन हो गई’
गजेंद्र सिंह शेखावत ने डायरी पर बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘बाद में महिलाओं के सम्मान के लिए आवाज उठाने के अपराध में जब राजेंद्र गुढ़ा को मंत्रिमंडल से निष्कासित कर दिया गया और जब वह डायरी का एक डेमो लेकर के विधानसभा में पहुंचे, और वहां उनके साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, उस दिन राजस्थान की जनता के मन में यह स्थापित हो गया कि कहीं न कहीं इस डायरी में काले राज छिपे हैं। हालांकि राज्य में सरकार की पार्टी के मुखिया और सरकार के मुखिया दोनों ने एक बार फिर पूरी धृष्टता के साथ नकार दिया कि इस तरह की कोई डायरी अस्तित्व में नहीं है। लेकिन जब अबसे कुछ महीने पहले डायरी के 2 पन्ने सामने आए, तो सरकार मौन होती दिखाई दी।’
सनातन पर दिए अपने बयान पर ये बोले शेखावत
सनातन पर अपने बयान को लेकर हुए बवाल के बारे में पूछे गए सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा,’मेरे बयान को शायद तोड़-मरोड़कर लेने की कोशिश की गई है। जिस सनातन संस्कृति ने सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया का मंत्र दिया। जिस सनातन संस्कृति के पुरोधाओं ने विश्व बंधुत्व का नारा दिया। जिस सनातन संस्कृति के पुजारियों, ऋषियों और मनीषियों ने पूरे विश्व को एक कुटुंग की तरह स्वीकार किया, उस सनातन की तुलना डेंगू, कोरोना और एड्स से की, ये उसकी प्रतिक्रिया थी। सनातन की रक्षा के लिए राजस्थान के वीरों ने अपनी कई पीढ़ियां कुर्बान की हैं।’ गजेंद्र सिंह शेखावत ने दावा किया कि राजस्थान में अगली सरकार भारतीय जनता पार्टी ही बनाएगी।
2018 में बहुमत से एक सीट पीछे रह गई थी कांग्रेस
2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को मात देकर एक बार फिर सत्ता में वापसी की थी। 2013 के चुनावों में मात्र 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने 2018 में 200 सदस्यीय विधानसभा में 100 सीटें जीती थीं। बहुमत से एक सीट पीछे रही कांग्रेस ने निर्दलीयों एवं अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। वहीं, बीजेपी को 2018 के मुकाबले 90 सीटों का घाटा हुआ था और वह मात्र 73 सीटों पर सिमट गई थी। ‘अन्य’ के खाते में 27 सीटें गई थीं और उन्होंने पिछले चुनावों में बड़ा अंतर पैदा किया था। मौजूदा चुनावों में भी मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस में मानी जा रही है और दोनों ही दलों के नेता जनता को अपने पक्ष में लुभाने के लिए वादों की फेहरिस्त लेकर चुनावी मैदान में उतरे हैं।