Rajat Sharma’s Blog | संसद की सुरक्षा में सेंध : अभी सच सामने आना बाकी है


Rajat Sharma, India TV- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में पिछले चौबीस घंटों में कई खुलासे  हुए। इस कांड का मास्टरमाइंड ललित झा पुलिस की गिरफ्त में है। ललित झा ने इस मामले में चौंकाने वाली बातें बताईं, एक तो ये कि उसने इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों के फोन जला दिए हैं यानी अब पुलिस को कोई डिजिटल सबूत मिलना मुश्किल होगा। ये लोग और किस किस के संपर्क में थे, इसकी जानकारी हासिल करने में और मुश्किलें पेश आएंगी। हालांकि पुलिस फिलहाल ललित झा की बातों पर यकीन नहीं कर रही है, वो इस बात की पुष्टि करेगी कि उसने फोन वाकई में जलाए हैं या फिर वो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। दूसरा बड़ा खुलासा ये हुआ कि इस मामले में छह लोग नहीं, कुल आठ लोग शामिल थे। अब महेश और कैलाश, ये दो और नाम  सामने आए हैं। ये दोनों भी पुलिस हिरासत में हैं। महेश ललित का दोस्त है, राजस्थान के नागौर का रहने वाला है। जब ललित दिल्ली से भागकर नागौर गया था तो महेश ने अपनी ID पर ललित के लिए होटल में कमरे का इंतजाम किया था। ये खुलासा भी हुआ कि संसद में बड़े कांड की प्लानिंग कई महीनों से चल रही थी। कई तरह के प्लान बनाए गए थे। प्लान A  था कि शरीर पर fire retardant gel लगाकर संसद के अंदर या बाहर खुद को आग लगाना, लेकिन gel न मिलने के कारण ये प्लान छोड़ना पड़ा। प्लान B  तैयार था, इसमें सदन के अंदर जाकर कलर स्मोक स्प्रे करना था, जो कि किया गया। सबकी अलग अलग ड्यूटी बांट दी गई थी, कौन संसद  के भीतर जाएगा, कौन बाहर रहेगा, अगर कोई पकड़ा गया तो दूसरी तरफ कौन रहेगा। हंगामे के बाद कहां भागना है,कहां ठहरना है, ठहरने का इंतजाम कौन कराएगा, सबूत कैसे नष्ट करने हैं। पूरी प्लानिंग  प्रोफेशनल और ट्रेन्ड शातिर अपराधियों की तरह की गई। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों के पीछे कौन है,इनको फंडिंग कहां से हुई, संसद की सुरक्षा में सेंध का आइडिया किसने दिया और ऐसा करने के पीछे मकसद क्या था। पुलिस इन सवालों के जवाब खोज रही है लेकिन इस खोज में जो सबूत और जानकारियां मिल रही हैं। उससे मामला सुलझने के बजाए उलझता जा रहा है। 

लखनऊ में सागर शर्मा के घर से डायरी मिली है। उसमें सागर ने लिखा है कि पांच साल के बाद अब घर से विदा लेने का वक्त आ गया है, अब कुछ बड़ा करने का वक्त है। इसका क्या मतलब है? गुरुवार की रात को ललित मोहन झा कर्तव्य पथ थाने में पहुंचा और  वहां मौजूद पुलिस वालों को अपना परिचय दिया। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर SIT के हवाले कर दिया। ललित के साथ महेश नाम का व्यक्ति भी था। उसने बताया कि वो भी संसद में घुसना चाहता था, पुलिस ने उसे भी हिरासत में लेकर SIT के हवाले कर दिया। ललित को कोर्ट ने 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। कोर्ट में पेश पुलिस के रिमांड आवेदन में फिर से कहा गया कि  संसद के हमलावरों का मक़सद सांसदों को डराना और देश में अराजकता पैदा करना था, उनका इरादा, संसद पर हमला करके अपनी मांगें मनवाने का था।  पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने जो कलर स्मोक छोड़ा उनके कैनिस्टर्स पर साफ साफ लिखा था कि इसे पब्लिक प्लेस पर छोड़ना ख़तरनाक है लेकिन वॉर्निंग के बावजूद उन्होंने ये जोखिम लेकर संसद के अंदर और बाहर स्मोक स्प्रे किया। पुलिस का दावा है कि ललित ने अब तक की पूछताछ में बताया कि संसद में हंगामे की प्लानिंग के सिलसिले में सारे आरोपी कई बार मिले थे, और उनकी असल योजना 14 दिसंबर को संसद पर हमले की थी,  लेकिन सागर को जब एक दिन पहले पास मिल गया  तो हमले को उसी दिन अंजाम देने का फ़ैसला किया गया। ललित के साथ हिरासत में लिये गये  महेश और कैलाश   दोनों राजस्थान के नागौर के रहने वाले हैं और मौसेरे भाई हैं। महेश भी ललित के संपर्क में था और वह भगत सिंह फैन्स क्लब पेज के ज़रिए ललित के कॉन्टैक्ट में आया था। फिर दोनों में दोस्ती हो गई थी। हमले वाले दिन महेश भी संसद में एंट्री करना चाहता था लेकिन, उसको पास नहीं मिल पाया था। संसद पर हमले के बाद ललित नागौर चला गया था जहां महेश ने उसे अपनी ID पर कमरा दिलाया। ललित ने नागौर में ही सारे आरोपियों के फोन जला दिए जिससे, संसद पर हमले की साज़िश का कोई सबूत जांच एजेंसियो के हाथ न लग सके। पुलिस को पता चला है कि पिछले पंद्रह दिनों के दौरान ललित ने कई लोगों से फ़ोन पर बात की थी, इनमें से कुछ लोग विदेश में भी हो सकते हैं। 

अब तक की जांच से ऐसा लग रहा है कि इस केस में ललित के बाद दूसरा सबसे अहम किरदार  मैसूर का मनोरंजन गौड़ा ही था। IT इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद  मनोरंजन ने कुछ दिन नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़ दी। वो अपने माता-पिता से ही ख़र्च के पैसे लेता था। इंडिया टीवी  संवाददाता टी राघवन ने बताया कि कर्नाटक के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने मनोरंजन गौड़ा के बारे में कई जानकारियां जुटाई हैं।  पता ये चला है कि मनोरंजन अक्सर किसी काम का बहाना करके मैसूरुसे बैंगलुरु जाता था । बैंगलुरु  में ही उसकी मुलाकात सागर शर्मा से होती थी। मनोरंजन इससे पहले भी कई बार दिल्ली आ चुका था।  मनोरंजन ने बैंगलुरु जाने के लिए घरवालों से केवल तीन हज़ार रुपए लिए थे, हालांकि वो फ्लाइट से दिल्ली आया था। बैंगलुरु से दिल्ली का फ्लाइट का टिकट सात हज़ार रुपए का है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक़, मनोरंजन गौड़ा कई बार विदेश भी जा चुका है। उसनें कंबोडिया, सिंगापुर और थाईलैंड की यात्रा  की थी। अब सवाल ये है कि मनोरंजन को इन विदेश यात्राओं के पैसे कौन दे रहा था।  जांच एजेंसियों को शक है कि आरोपियों को विदेश से फंडिंग मिल रही थी। उधर, ललित झा की तृणमूल कांग्रेस के विधायक तापस रॉय  के साथ तस्वीरों के कारण बंगाल में राजनीति गर्म हो गई है।  बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने एक फोटो दिखाई जिसमें ललित झा तृणमूल पार्षद तापस राय के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं।  शुक्रवार को तापस राय ने कहा कि ये फोटो 4 साल पुराना है और उन्हें नहीं पता कि इस तस्वीर में खड़े दूसरे लोग कौन थे। 

मुझे इस बात में तो कोई दम नहीं लगता कि संसद में आतंक मचाने वाले आरोपी बेरोजगार थे , इसलिए आवाज़ उठाना चाहते थे, ना ही दिल ये मानता है कि ये सब भगत सिंह फैन्स क्लब के जरिए मिले और इतने खतरनाक कारनामे को अंजाम दे दिया। अब तक इन लोगों ने पुलिस को बताया कम और छुपाया ज्यादा। अगर बात इतनी सीधी थी तो मास्टरमाइंड ललित झा 48 घंटे गायब क्यों रहा? उसने इस दौरान कौन-कौन से सबूत मिटाए? अगर वाकई में इन लोगों के पीछे कोई नहीं है तो ललित झा ने पहले पकड़े गए चार आरोपियों के मोबाइल फोन क्यों जलाए? वो किस बात पर पर्दा डालना चाहता था? फोन पुलिस को मिल जाते तो ये पता चलता कि ये लोग वारदात को अंजाम देने से पहले किस-किस से मिले, किस-किस से बात की, किसने इनको फंड दिया या फिर पुलिस को गुमराह करने के लिए मोबाइल जलाने की बात कही।  अभी सच सामने आना बाकी है। अभी भी इन लोगों के कनेक्शन के राज़ खुलना बाकी है। ये लोग एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने में जुटे हैं। बीजेपी के नेताओं ने ललित झा की फोटो टीएमसी के एक नेता के साथ दिखाई। दूसरे साथी के वकील की फोटो तीस्ता सीतलवाड़ के साथ दिखाई। हालांकि किसी के साथ तस्वीर होना षड़यंत्र का सबूत नहीं हो सकता। लेकिन शक की दीवार जरूर खड़ी हो जाती है। कांग्रेस के नेता इस बात के पीछे पड़े हैं कि इन आरोपियों के पास बीजेपी के मैसुरु सांसद ने बनवाए। किसी ने ये भी कहा कि इन लोगों को एक साल पहले ही इस काम के लिए चुना गया। वो जिन राज्यों से आते हैं, उनमें यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की सरकारें है। जब प्लान बना तब कर्नाटक में भी बीजेपी की सरकार थी । पार्लियामेंट का पास भी बीजेपी सांसद से बनवाया। ये संयोग है या प्रयोग? इसका जवाब मिलता पाता उससे पहले ही पार्लियामेंट का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया, न बहस का मौका मिला, ना बात करने का । विपक्ष की मांग है कि गृह मंत्री अमित शाह संसद में आकर बयान दें और इस पूरी घटना पर बहस करायी जाय। मैं ये देखकर हैरान हूं कि गृह मंत्री  का संसद में आकर बयान देना इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना। स्पीकर ने जिम्मेदारी ली, संसद को बताया कि जांच हो रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जानकारी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सुरक्षा को चाक-चौबंद बनाने के उपाय होंगे। इसके बाद, विरोधी दलों को इस बात से संतुष्ट हो जाना चाहिए था लेकिन अगर वो नहीं माने तो अमित शाह सदन में आकर वही बातें कह सकते थे, जो उन्होंने मीडिया से कही। गृह मंत्री सदन में आकर वही आश्वासन दे सकते थे, जो स्पीकर और रक्षा मंत्री ने दिए, तो शायद ये मुद्दा इतना बड़ा न बनता। इसके बाद भी अगर विरोधी दलों के नेता हंगामा करते तो सारा दोष उनके सिर पर ही जाता। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 दिसंबर, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *