पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति चुने गए आसिफ अली जरदारी, देश में अब तक नहीं हुआ ऐसा; हासिल की उपलब्धि


पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति चुने गए आसिफ अली जरदारी।- India TV Hindi

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पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति चुने गए आसिफ अली जरदारी।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी शनिवार को देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए। तख्तापलट के जोखिम का सामना करने वाले देश में दूसरी बार इस पद पर पहुंचने वाले आसिफ अली जरदारी पहले असैन्य व्यक्ति हैं। उनके रविवार को शपथ लेने की उम्मीद है। इससे पहले वह 2008 से 2013 तक इस पद रहे थे। जरदारी (68) पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के संयुक्त उम्मीदवार थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी महमूद खान अचकज़ई (75) सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के प्रत्याशी थे। 

कहां मिले कितने वोट

पाकिस्तान निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव नतीजे घोषित किये जाने के तुरंत बाद पीपीपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि ‘‘आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के इतिहास में पहले असैन्य राष्ट्रपति हैं जो दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं।’’ संसद में जरदारी को 255 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 119 मत प्राप्त हुए। संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभाओं के नवनिर्वाचित सदस्यों के निर्वाचक मंडल द्वारा चुना गया। सिंध विधानसभा में, जहां जरदारी की पार्टी (पीपीपी) सत्ता में है, उन्हें सबसे अधिक वोट मिले। वहीं, उन्होंने बलूचिस्तान विधानसभा में डाले गए सभी वोट प्राप्त किए। उन्होंने अचकज़ई को पंजाब विधानसभा में भी हराया। खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में, जहां सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल/पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सरकार है, अचकज़ई को जरदारी के खिलाफ सबसे ज्यादा वोट मिले। 

निर्वाचन आयोग ने दी जानकारी

पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने कहा कि ‘‘निर्वाचक मंडल में कुल सीट की संख्या 1,185 है जिनमें से 92 रिक्त हैं। शेष 1,093 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।’’ आयोग ने बताया कि 1,044 वोट पड़े, जिनमें से नौ अवैध घोषित किए गए। आगे बताया कि ‘‘इस प्रकार, डाले गए वैध मतों की कुल संख्या 1,035 है।’’ कारोबारी से नेता बने जरदारी पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति हैं। जरदारी, मौजूदा राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी की जगह लेंगे, जिनका पांच साल का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया था। हालांकि, नये निर्वाचक मंडल का गठन नहीं होने के कारण वह इस पद पर बने रहे।

(इनपुट- भाषा)

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