Varanasi- India TV Hindi

Image Source : SOCIAL MEDIA
महाश्मशान पर जलती चिताओं के बीच नाचती नगर वधुएं

वाराणसी: हमारा देश विविधताओं का देश है, यहां वो कहावत है न कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी। ऐसी ही कुछ अलग संस्कृति को संजोए हुए हमारा उत्तर प्रदेश है। यहां करीबन हर जिले में कोई न कोई प्राचीन मंदिर है और उससे जुड़ी संस्कृति और मान्यता। ऐसे ही एक अनूठी परंपरा है देवो के देव महादेव की नगरी काशी या कहें वाराणसी में भी, जिसमें महाश्मशान में जलती चिताओं के बीच नगर वधुएं नाचती हैं, जिन्हें देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। जिले में होने वाले चैत्र नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की इस अनूठी परंपरा की शुरुआत राजा मानसिंह के समय में हुई थी।

राजा के बुलाने पर नहीं आए थे नामचीन कलाकार

वो भी तब जब राजा ने मणिकर्णिका घाट पर महाश्मशान के मन्दिर मसाननाथ का जीर्णोद्धार कराया और उसी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए कई नामचीन कलाकारों को बुलाया लेकिन जब कोई नहीं आया तब तत्कालीन समय की वेश्याओं ने राजा मान सिंह के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए काशी के मणिकर्णिका महाश्मशान के सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन किया। तब से इनको नगर वधु के नाम से जाना जाने लगा।

सालों से हो रहा परंपरा का निर्वहन

तब से लेकर आज तक महाश्मशान के इस उत्सव में देश के कई हिस्सों से आने वाली नगर वधुएं अपनी स्वेच्छा आज भी इस परंपरा का निर्वहन करने के लिए निःशुल्क आ कर पहले महाश्मशान बाबा के सामने नृत्य करती है और फिर जलती चिताओं के बीच भी अपनी कला का प्रदर्शन करती है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी शामिल होते है। मिली जानकारी के मुताबिक, नगर वधु अपने नृत्य के जरिए महाश्मशान के मंदिर में मन्नत मांगते हैं कि अगले जन्म में हमें इस जिंदगी से छुटकारा मिले और पुण्य की प्राप्ति हो।

(इनपुट- अश्विनी त्रिपाठी)

ये भी पढ़ें:

यूपी: जौनपुर से बड़ी खबर, जेल में बंद धनंजय सिंह की पत्नी होंगी BSP की प्रत्याशी





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *