आप की अदालतः क्या राहुल गांधी पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं? प्रशांत किशोर ने दिया जवाब


आप की अदालत में प्रशांत किशोर- India TV Hindi

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आप की अदालत में प्रशांत किशोर

नई दिल्लीः चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आप की अदालत में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों का खुलकर जवाब दिया। इस साल हुए लोकसभा नतीजों को अच्छा बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि ये सबसे अच्छा नतीजा है। जनता में संदेश गया है कि आप भगवान नहीं हैं लेकिन सरकार इत्मीनान से चलाओ। जनता ने राहुल गांधी को सरकार चलाने के लिए नहीं कहा। मोदी से कहा कि आप चलाएं लेकिन तानाशाह की तरह न चलाएं, लोकतांत्रिक नेता के तौर पर चलाएं। यह संदेश जनता ने दिया है कि थोड़ा संभलकर चलिए। 

राहुल गांधी को लेकर प्रशांत किशोर ने कही ये बात

नरेंद्र मोदी के एक सशक्त विकल्प के तौर पर राहुल गांधी के उभरने की संभावनाओं पर प्रशांत किशोर ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में 99 सीट जीतना दिखाता है कि एक नेता के रूप में राहुल गांधी को उस स्तर तक पहुंचने से पहले मीलों चलना होगा जहां हम कह सकते हैं कि वह वास्तव में आ गए हैं। लेकिन हां, एक पार्टी के रूप में कांग्रेस ने ज्यादातर लोगों की अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसमें मैं भी शामिल हूं और इस हद तक हमें राहुल गांधी को श्रेय देना चाहिए।

राहुल गांधी ने खुद को स्थापित किया हैः पीके

एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि इस चुनाव में राहुल गांधी ने खुद को कांग्रेस के नेता के रूप में स्थापित किया है। अगले पांच से दस वर्षों तक पार्टी में कोई भी अन्य व्यक्ति उस कद का दावा नहीं कर सकता है। लेकिन देश के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए, उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है। 99 सीट आना एक बात है और 250 से 260 सीट आना दूसरी बात है।

प्रशांत किशोर ने इंदिरा गांधी का दिया उदाहरण

प्रशांत किशोर ने 1977 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लोकसभा चुनाव हार गई थीं और कांग्रेस ने 154 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि इस बार राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का श्रेय राहुल गांधी को मिलना चाहिए। 

विपक्ष को लेकर क्या बोले पीके

चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि विपक्ष अब अधिक एकजुट दिखाई दे रहा है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है। कम से कम संसद में अच्छी बहस हो रही है। हमें इसकी सराहना करनी चाहिए कि वे समन्वित तरीके से अपने नैरेटिव सेट करने का प्रयास कर रहे हैं। 

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