
वक्फ बिल पर होगी चर्चा
लोकसभा में आज यानी बुधवार (2 अप्रैल 2025) को वक्फ बिल नए स्वरूप में पेश होगा। अगर यह विधेयक संसद से पास हो गया तो यह कानून बन जाएगा। नए बिल के कानून बन जाने के बाद वक्फ की संपत्ति का विवाद सुलझाने में अब राज्य सरकारों को पहले से अधिक शक्तियां हासिल होंगी। हालांकि प्रस्तावित कानून का असर पुरानी मस्जिदों, दरगाहों या मुसलमानों के धार्मिक संस्थानों पर नहीं पड़ेगा लेकिन बिल में किए गए परिवर्तनों में वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्यों के अलावे अब बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति भी अनिवार्य होगी।
नए वक्फ बिल में क्या है?
मौजूदा सरकार अपने सहयोगी दलों की मांग को स्वीकार करते हुए नए बिल में कई परिवर्तन किए हैं, जैसे पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी संपत्ति दान कर सकेगा। दान की जाने वाली संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला होगा। इसके साथ ही पुराने कानून की धारा 11 में संशोधन को भी स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम, उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ यह कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है।

वक्फ बिल में क्या हुआ संशोधन
वक्फ का मतलब क्या होता है?
सबसे पहले ये जानते हैं कि आखिर वक्फ कहते किसे हैं। दरअसल, ‘वक्फ’ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- ठहरना या रोकना। कानूनी शब्दों में समझने की कोशिश करें तो वक्फ उसे कहते हैं, ‘इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी को वक्फ कर देना यानी रोक देना कहते हैं।’ फिर वो चाहे कुछ रुपये हों प्रॉपर्टी हो, बहुमूल्य धातु हो या घर मकान या जमीन। दान की गई इस प्रॉपर्टी को ‘अल्लाह की संपत्ति’ कहा जाता है और अपनी प्रॉपर्टी वक्फ को देने वाला इंसान ‘वकिफा’ कहलाता है।

वक्फ का मतलब क्या है
वकिफा द्वारा दान की गई या वक्फ की गई इन संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकता, इसका उपयोग धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए नहीं किया जा सकता। कहा जाता है कि मुस्लिम धर्मगुरु पैगंबर मोहम्मद के समय 600 खजूर के पेड़ों का एक बाग सबसे पहले वक्फ किया गया था और इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की मदद की जाती थी।
भारत में कब बना था वक्फ एक्ट
अब जानते हैं कि भारत में वक्फ की परंपरा कब शुरू हुई तो बता दें कि इसका इतिहास 12वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के समय से जुड़ा है और भारत में आजादी के बाद 1954 में पहली बार वक्फ एक्ट बना था और फिर साल 1995 में इस एक्ट में कुछ संशोधन किए गए थे। फिर नया वक्फ एक्ट बना और इसमें साल 2013 में भी कई बदलाव किए गए।
साल 2013 के बाद 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ एक्ट में संशोधन कर नया वक्फ बिल पेश किया गया, जिसके खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए। विरोध के बाद बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया और इसे संसद की जेपीसी को भेज दिया गया, जिस पर चर्चा हुई और 27 जनवरी 2025 को जेपीसी ने बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी देकर सुझाए गए 14 संशोधनों को स्वीकार किया। इसके बाद 13 फरवरी 2025 को जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश की गई। 19 फरवरी 2025 को कैबिनेट की बैठक में वक्फ के संशोधित बिल को मंजूरी मिल गई और अब आज यानी दो फरवरी को यह बिल संसद में पेश होगा, जिसपर 8 घंटे की बहस होगी और फिर इस पर वोटिंग होगी।

कब बना था वक्फ एक्ट
वक्फ एक्ट में संशोधन क्यों किया गया?
2022 से अब तक देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर की गईं थीं जिसमें मौजूदा वक्फ कानून में कई खामियां बताई गईं। इनमें से करीब 15 याचिकाएं मुस्लिमों की तरफ से हैं, जिसमें सबसे बड़ा तर्क यह था कि एक्ट के सेक्शन 40 के मुताबिक, वक्फ किसी भी प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर सकता है। इसके खिलाफ कोई शिकायत भी वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है और इस पर अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल का ही होता है। आम लोगों के लिए वक्फ जैसी ताकतवर संस्था के फैसले के कोर्ट में चैलेंज करना आसान नहीं है।

वक्फ बिल में क्या हुआ संशोधन
याचिकाओं में पांच बड़ी मांगे
- भारत में मुस्लिम, जैन, सिख जैसे सभी अल्पसंख्यकों के धर्मार्थ ट्रस्टों और ट्रस्टियों के लिए एक कानून होना चाहिए।
- धार्मिक आधार पर कोई ट्रिब्यूनल नहीं होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों पर फैसला सिविल कानून से हो, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल से।
- अवैध तरीके से वक्फ की जमीन बेचने वाले वक्फ बोर्ड के मेंबर्स को सजा हो।
- सरकार को मस्जिदों से कोई कमाई नहीं होती, जबकि सरकार वक्फ के अधिकारियों को वेतन देती है। इसलिए वक्फ के आर्थिक मामलों पर नियंत्रण लाया जाए।
- मुस्लिम समाज के अलग-अलग सेक्शन यानी शिया, बोहरा मुस्लिम और मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल किया जाए।
केंद्र सरकार ने कही ये बात
केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। 8 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश करते हुए संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, ‘इस बिल का मकसद धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है। बिल मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में हिस्सेदारी देने के लिए लाया गया है। इसमें वक्फ प्रॉपर्टीज के विवाद 6 महीने के भीतर निपटाने का प्रावधान है। इनसे वक्फ में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हल निकलेगा।’
लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग, क्या है नंबर गेम
संसद में वक्फ बिल को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के जरिए बहुमत की जरूरत है। इसमें सरकार को इस बिल को पास कराने के लिए लोकसभा के 543 में से 272 और राज्यसभा के 245 में से 123 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बता दें कि लोकसभा में बीजेपी के 240 सांसद हैं लेकिन सरकार को अपने सहयोगी पार्टियों- टीडीपी के 16, जदयू के 12, शिवसेना (शिंदे) के 7 और लोजपा (रामविलास) के 5 सांसदों की भी जरूरत होगी। एनडीए के छोटे सहयोगी दल जैसे- रालोद के पास 2, जेडीएस के पास 2 और अपना दल (सोनेलाल) का एक सांसद हैं।
राज्यसभा के संख्या की बात करें तो राज्यसभा में अभी 9 सीटें खाली हैं तो ऐसे में मौजूदा 236 में से 119 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बीजेपी के पास 96 सांसद हैं। वहीं एनडीए की सहयोगी पार्टियों के पास 19 सांसद हैं। ऐसे में सरकार को 6 नॉमिनेट सांसदों के समर्थन की दरकार होगी।
