
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
ईरान ने अपने यहां फंसे तकरीबन एक हजार भारतीय छात्रों और नागरिकों के लिए अपना एयरस्पेस खोल दिया है। ईरान अपने माहन एयरलाइन्स के 3 विमानों के ज़रिए छात्रों को भारत पहुंचाएगा। पहला विमान शुक्रवार देर रात पहुंच भी गया। बाकी दो विमान शनिवार और रविवार को पहुंचेंगे। पहली चार्टर्ड फ्लाइट उत्तरी ईरान के मशाद शहर से दिल्ली पहुंची। इन तीन फ्लाइट्स से एक हज़ार से ज्यादा भारतीय भारत लौट सकेंगे। इनमें ज़्यादातर कश्मीरी छात्र हैं जो ईरान की उर्मिया यूनिवर्सिटी और तेहरान मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे।
ईरान में लगभग 6 हज़ार भारतीय नागरिक रहते हैं। इनमें से आधे के करीब छात्र हैं। इन सबको स्वदेश लाने के लिए सरकार ने ऑपरेशन सिंधु शुरू किया है। ईरान चलती जंग के बीच अपना एयरस्पेस भारत के लिए खोल दे, ये भारत की कूटनीति की ताकत का बड़ा सबूत है। युद्ध के मैदान से ये खबर किसी को भी हैरान करेगी कि ईरान ने न सिर्फ एयरस्पेस खोला, बल्कि भारतीय छात्रों को वापस पहुंचाने के लिए अपने विमान भी दिए। ईरान की ये पहल जवाब है उन लोगों को, जो कहते थे कि मोदी की नेतन्याहू से दोस्ती की वजह से ईरान नाराज़ है।
अब ये साबित हो गया कि ईरान न सिर्फ भारत का दोस्त है, बल्कि भारत के लिए असाधारण कदम उठाने को भी तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये बड़ी उपलब्धि है। ये भारत के तिरंगे का कमाल है। आपको याद होगा, कई साल पहले जब भारतीय छात्र यूक्रेन में फंस गए थे, तो मोदी ने जेलेंस्की और पुतिन दोनों से बात करके थोड़ी देर के लिए युद्ध रुकवाया था,और भारतीय छात्रों को सेफ पैसेज दिलवाया था। मुझे याद है उस समय पाकिस्तान के बहुत से छात्र भी भारतीय तिरंगे का सहारा लेकर यूक्रेन से बाहर निकले थे।
ईरान: ट्रम्प फूंक-फूंक कर कदम क्यों रखना चाहते हैं?
अमेरिका ने ऐलान किया है कि फिलहाल वह ईरान-इजरायल की जंग में नहीं कूदेगा। डॉनल्ड ट्रंप दो हफ्तों में ये तय करेंगे कि अमेरिका ईरान पर हमला करेगा या उससे पहले ईरान से बातचीत होगी, लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को फिर कहा कि वो ईरान को एटमी ताकत कभी नहीं बनने देंगे और उसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे। जंग के आठवें दिन ईरान और इजरायल के बीच हमले और जवाबी हमले जारी रहे। इज़राइल के 60 से ज़्यादा फाइटर विमानों ने तेहरान समेत कई इलाक़ो में बमबारी की। इज़राइली वायु सेना ने ईरान की 35 से ज़्यादा मिसाइल लॉन्च और स्टोरेज साइट्स तबाह कर दी। इज़राइल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के रिसर्च ऐंड डेवेलपमेंट से जुड़े ठिकानों पर भी बमबारी की।
इजराइल ने निशाना बनाकर ईरान के उन वैज्ञानिकों को मारा है जो एटम बम बना सकते थे। शुक्रवार को तेहरान में ऐसे एक और वैज्ञानिक को मार दिया गया। इजराइल की पहली प्राथमिकता ये है कि ईरान अपने ऐटमी प्रोग्राम से बहुत दूर चला जाए, कई साल पीछे हो जाए। इजराइल की दूसरी प्राथमिकता है, ईरानी फौज की टॉप लाइन को तबाह करना। इजराइल दो बार ऐसा कर चुका है। शुक्रवार को फिर इजराइल ने ईरानी फौज के कमांडर्स को टारगेट किया। दूसरी तरफ ईरान के मिसाइल हमले व्यापक तो हैं लेकिन खास लक्ष्यों को लेकर हमले नहीं हो रहे हैं।
मोटी बात ये है कि जब युद्ध खत्म होगा तो दोनों देशों को एहसास होगा कि उनका कितना नुकसान हुआ है। इजराइल के पास जिस तरह की ताकत है, उससे वो ईरान को हरा सकता है लेकिन इस युद्ध में इजराइल का इतना नुकसान हुआ है कि उसे समझने में कई साल लगेंगे। इसका अंदाज़ा सिर्फ एक बात से लगा सकते हैं कि इजरायल को हर रोज़ युद्ध की वजह से करीब 72.5 करोड़ डॉलर यानी छह हज़ार 300 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं और ये सिर्फ युद्ध का खर्च है। ये बात इस स्तर तक पहुंच जाएगी, इसका अंदाजा न नेतन्याहू को था, न डॉनल्ड ट्रंप को। इसीलिए ट्रंप अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। पिछले तीन दिन से ट्रंप के तेवर बदले हुए दिखाई दे रहे हैं। वो अपना नफा नुकसान समझते हैं। कहते हैं कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंककर पीता है।
ईरान: अमेरिका का हुक्म बजाने को तैयार हैं मुनीर, ISI
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर आजकल अमेरिका में हैं। व्हाइट हाउस में उन्होंने ट्रंप के साथ लंच किया। इस लंच के बाद से आसिम मुनीर अब बड़े-बड़े दावे करने लगे हैं। वॉशिंगटन में अमेरिकी थिंक टैंक से जुड़े लोगों से बातचीत के दौरान आसिम मुनीर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में पाकिस्तान फ्रंट लाइन पर रहा है। आसिम मुनीर ने अमेरिकी पूंजी निवेशकों से कहा कि वे पाकिस्तान में Rare Earth Minerals में निवेश करें। खास बात ये है कि आसिम मुनीर ने इज़रायल-ईरान जंग के बारे में एक शब्द नहीं बोला।
पाकिस्तान में जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष मौलाना फ़ज्लुर्रहमान ने कहा है कि इज़रायल अब तक फिलीस्तीन, लेबनान और ईरान पर हमला कर चुका है। इसके बाद पाकिस्तान के एटमी हथियारों को तबाह करना उसका एजेंडा हो सकता है। मौलाना फ़ज्लुर्रहमान ने ये भी कहा कि जिस तरह कोई भी इस्लामिक मुल्क ईरान की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा, वैसा ही पाकिस्तान के साथ भी हो सकता है। ट्रंप से मुलाकात के बाद आसिम मुनीर अपनी खुद की तारीफ करते नहीं थक रहे। मुनीर ने पाकिस्तानी दूतावास में जिन अमेरिकियों को बुलाया, उन सबको उन्होंने ये नहीं बताया कि ट्रंप से क्या बात हुई।
बस मुनीर इस बात की शेखी बघारते रहे कि कैसे इमरान खान ने अमेरिका के साथ रिश्तों का सत्यानाश कर दिया थ और कैसे मुनीर ने सिर्फ दो घंटे में सब कुछ ठीक कर दिया। मुनीर ये भी बता रहे थे कि उनकी ट्रम्प के साथ अभूतपूर्व one to one मीटिंग हुई, लेकिन मैं आपको बता सकरता हूं कि इस मीटिंग में मुनीर के साथ पाकिस्तान के ISI चीफ आसीम मलिक मौजूद थे। अमेरिका की तरफ से ट्रंप के साथ विदेश मंत्री मार्को रुबियो थे। लेकिन सबसे बड़ी बात इस मीटिंग में ट्रंप के मध्यपूर्व मामलों पर सबसे बड़े दूत Steve Witkoff भी थे। जाहिर है, ज्यादा बात विटकॉफ ने की। ज्यादा बात ईरान को लेकर हुई।
ईरान को लेकर पाकिस्तान के स्टैंड को लेकर हुई ट्रंप के वार्ताकार ने आसिम मुनीर को हिदायतें दी, मुनीर ने Yes Sir, Yes Sir कहा। अब अमेरिका ईरान को लेकर जो भी फैसला करेगा, जब भी करेगा, पाकिस्तान उसकी फौज और ISI को लाइन में खड़ा पाएगा। यही आसिम मुनीर के साथ मुलाकात का उद्देश्य था, जिसे ट्रंप ने बड़ी आसानी से हासिल कर लिया। (रजत शर्मा)
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