
दिल्ली एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बुधवार (2 जुलाई) को दावा किया कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने के लिए कोविड वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। इसके अगले दिन एम्स के डॉक्टरों ने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी। डॉक्टरों ने बताया कि इस विषय पर एक स्टडी की गई थी, जिसमें कोविड वैक्सीन और जानलेवा हार्ट अटैक के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं मिला। ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा कि कोविड वैक्सीन लगवाने वाले युवाओं को अचानक हार्ट अटैक आ रहे हैं और इससे उनकी मौत हो रही है।
दिल्ली एम्स के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान ने बताया कि, अब तक COVID-19 के जितने भी वैक्सीन इस्तेमाल किए गए हैं, उनकी समीक्षा के लिए अचानक आने वाले कार्डियक अरेस्ट पर एक स्टडी की गई थी। इस स्टडी में हार्ट अटैक के चलते अचानक होने वाली मौतों और कोविड वैक्सीन के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया।
वैक्सीन ने लोगों की जान बचाई
डॉ. मदन ने बताया कि कोविड वैक्सीन प्रभावी हैं और इन वैक्सीन ने कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि किसी भी महामारी के दौरान, वैक्सीन ही जीवन बचाने का एकमात्र संभव उपाय हैं और उनसे कई तरह के फायदे मिलते हैं। डॉ. करण मदान ने कहा, “कोविड वैक्सीन प्रभावी थे और उन्होंने मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के दौरान, जीवन बचाने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र संभव उपाय हैं। बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन दी गई और उन्होंने अत्यधिक मृत्यु दर को रोकने में अहम योगदान दिया। वैक्सीन के कई फायदे हैं।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 12 वैक्सीन को मंजूरी दी
सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा, “कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 62.1 थी। अब तक 37 वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग 12 वैक्सीन को मंजूरी दी है, और इनमें से अधिकांश वैक्सीन अलग-अलग तकनीकों पर आधारित हैं। अगर आप कोवैक्सिन को देखें, तो यह एक पुरानी तकनीक है। कोविशील्ड एक वेक्टर का उपयोग करता है जो एडेनोवायरस है। दूसरी वैक्सीन, स्पुतनिक, लगभग उसी सिद्धांत पर आधारित है। दुनिया भर में 13 बिलियन से अधिक खुराक पहले ही दी जा चुकी हैं। अमेरिका जैसे देश हैं, उन्होंने अभी-अभी चौथी खुराक पूरी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी सिफारिश कर रहा है कि छह महीने और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को नए वैरिएंट के साथ टीका लगवाना चाहिए।” (इनपुट- एएनआई)