
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के बीच मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर टकराव बढ़ गया है। राज्य सरकार ने निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, पांच अधिकारियों को निलंबित करने के बजाय केवल दो अधिकारियों को सक्रिय चुनावी ड्यूटी से हटा दिया है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने सोमवार को ईसीआई को भेजे एक पत्र में कहा कि लगातार ईमानदारी और क्षमता वाले अधिकारियों को निलंबित करना बहुत अधिक कठोर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन अधिकारियों को निलंबित करने के बजाय उन्हें मतदाता पुनरीक्षण और चुनाव संबंधी अन्य ड्यूटी से हटा दिया है।
आयोग ने निलंबित करने का दिया था आदेश
चुनाव आयोग ने 5 अगस्त को पश्चिम बंगाल के दो ERO (निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी) और दो AERO (सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी) सहित कुल पांच अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था। इन अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करने में कथित अनियमितताओं का आरोप है। आयोग ने मुख्य सचिव को इन सभी पांचों के खिलाफ FIR दर्ज करने का भी निर्देश दिया था। आयोग ने 8 अगस्त को एक नया नोटिस जारी कर 11 अगस्त को दोपहर 3 बजे तक निलंबन की कार्रवाई और अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार का रुख
मुख्य सचिव मनोज पंत ने तय समय सीमा से दो घंटे पहले ही आयोग को जवाब भेज दिया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सरकार ने संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने के बजाय उन्हें चुनाव संबंधी ड्यूटी से हटा दिया है। सरकार ने इस मुद्दे की आंतरिक जांच शुरू कर दी है और मौजूदा प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रही है।
सीएम ने आयोग के अधिकार क्षेत्र पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले में आयोग के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया है और भाजपा पर आयोग का इस्तेमाल राज्य सरकार के अधिकारियों को डराने का आरोप लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह संबंधित अधिकारियों को निलंबित नहीं करेंगी। (इनपुट- भाषा)
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