दिल्ली की जहरीली हवा को शुद्ध करेगी कानपुर IIT की आर्टिफिशियल रेन टेक्नोलॉजी, जानें इसके बारे में


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जहरीली हवा को शुद्ध करेगी आर्टिफिशियल रेन टेक्नोलॉजी

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर प्रदूषण के खतरनाक स्तर से जूझ रही है। आसमान धुंध से ढका है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। ऐसे में राहत की उम्मीद लेकर आई है आईआईटी कानपुर की रिसर्च टीम, जिसने आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) का फॉर्मूला तैयार किया है। इस तकनीक के जरिए अगले तीन दिनों में दिल्ली की हवा को प्रदूषण मुक्त करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।

मिशन को अंजाम देने में जुटी टीम

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की यह टीम दिल्ली सरकार और केंद्रीय उद्यान मंत्रालय के सहयोग से इस मिशन को अंजाम देने जा रही है। टीम ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषित हवा को साफ करने के लिए विशेष केमिकल स्प्रेड क्लाउड तकनीक अपनाई जाएगी। इसके तहत एक स्पेशल एयरक्राफ्ट में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम के मिश्रण वाले केमिकल को भरा गया है। यह एयरक्राफ्ट बादलों के बीच इन केमिकल्स को स्प्रे करेगा, जिससे नमी बढ़ेगी और कृत्रिम बारिश होगी।

आईआईटी कानपुर के निदेशक डॉक्टर मणिद्र अग्रवाल ने बताया कि इससे पहले भी आर्टिफिशियल रेन के प्रयास किए गए थे, लेकिन तब आवश्यक अनुमतियों की कमी के कारण यह संभव नहीं हो सका था। इस बार दिल्ली सरकार और पर्यावरण मंत्रालय दोनों से हरी झंडी मिल चुकी है, इसलिए इस प्रयोग के सफल होने की संभावना अधिक है।

उन्होंने बताया कि इस तकनीक से लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में बारिश कराई जा सकती है, जो वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम करने में सहायक सिद्ध होगी। आईआईटी की टीम ने सभी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली हैं और अभ्यास (प्रैक्टिस रिहर्सल) भी कर लिया गया है। अब केवल अनुकूल मौसम अर्थात बादलों के घिरने का इंतजार है। जैसे ही बादल दिल्ली के आसमान में बनेंगे, तुरंत केमिकल स्प्रे करके कृत्रिम बारिश कराई जाएगी।

विशेषज्ञों ने क्या बताया?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बारिश से वातावरण में मौजूद धूल, धुआं और प्रदूषक तत्व नीचे बैठ जाएंगे, जिससे हवा साफ होगी और लोगों को प्रदूषण से बड़ी राहत मिलेगी। राजधानी के लोगों को जल्द ही स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका मिलने की उम्मीद है।

इस प्रकार, आईआईटी कानपुर की यह पहल दिल्ली को प्रदूषण से निजात दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जो आने वाले समय में देश के अन्य प्रदूषित शहरों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है।

इस मामले में आईआईटी डायरेक्टर मणिद्र अग्रवाल का बयान भी सामने आया है। (इनपुट: कानपुर से ज्ञानेंद्र शुक्ला)

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