Year Ender 2025: ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल रहा सबसे विवादित, जानें ऐसे फैसले जिनका दुनिया पर हुआ बड़ा असर


डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति।

Year Ender 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल सबसे विवादित साबित हुआ है। जनवरी 2025 में दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने एक के बाद एक लिए अपने ताबड़तोड़ और हैरान कर देने वाले फैसलों से पूरी दुनिया में भूचाल मचा दिया। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले साल को अमेरिका के इतिहास में सबसे विवादास्पद वर्षों में से एक के रूप में याद किया जाएगा। आइये अब आपको बताते हैं कि ट्रंप ने टैरिफ से लेकर आव्रजन पॉलिसी समेत ऐसे कौन-कौन से बड़े विवादित फैसले लिए, जिनका दुनिया पर असर हुआ और उनके इन निर्णयों से भारत-अमेरिका के रिश्तों में सबसे ज्यादा तनाव आया?

2025 में ट्रंप द्वारा लिए गए विवादित फैसले

अपने कार्यकाल के पहले साल में ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ से लेकर आव्रजन नीतियों और विदेश नीति से जुड़े कई ताबड़तोड़ फैसले लिए, जिसने न केवल अमेरिका के आंतरिक राजनीतिक में उथल-पुथल मचाया, बल्कि दुनिया भर में आर्थिक और सामरिक असंतुलन पैदा किया। इन फैसलों का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सेक्टर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पड़ा, लेकिन सबसे अधिक तनाव भारत-अमेरिका के रिश्तों में आया। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति ने पुरानी साझेदारियों को चुनौती दी, जिससे कई देशों ने अपनी विदेश नीतियों में बदलाव किए। ट्रंप की नई इमिग्रेशन पॉलिसी ने दुनिया भर के लाखों अप्रवासियों को हथकड़ियां लगाकर जब डिपोर्ट करना शुरू किया तो पूरी दुनिया में खलबली मच गई। इसमें हजारों भारतीय भी शामिल थे। इसी दौरान ट्रंप ने अमेरिका में अप्रवासियों के बच्चों जन्मजात नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया। इतना ही नहीं, ट्रंप ने गोल्डन वीजा पॉलिसी की फीस 88 लाख रुपये तय करके दुनिया भर के नौकरीपेशा लोगों को जो अमेरिका में रहकर बड़े-बड़े सपने देख रहे थे, उन सभी को बड़ा झटका दिया। 

ट्रंप के टैरिफ ने पैदा किया वर्ल्ड ट्रेड वार

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत ही विवादों से भरी रही। जनवरी 2025 में ही उन्होंने कई एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी किए, जिनमें टैरिफ नीतियां प्रमुख थीं। इसने पूरी दुनिया में नया ट्रेड वार छेड़ दिया। अप्रैल 2025 में ट्रंप ने “रेसिप्रोकल टैरिफ” सिस्टम लागू किया, जिसके तहत अमेरिका ने सभी आयातों पर 10% यूनिवर्सल टैरिफ लगा दिया। यह फैसला उन देशों पर केंद्रित था जो अमेरिका के साथ व्यापार असंतुलन रखते थे। बाद में जून में स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने वाला कदम था। ट्रंप ने चीन पर 125 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया था। बाद में चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए। हालांकि बाद में दोनों देशों टैरिफ डील हो गई।  

भारत पर ट्रंप ने लगाया 50 फीसदी टैरिफ

ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में युद्ध को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाकर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इससे भारत पर कुल टैरिफ बढ़कर 25 से 50 फीसदी हो गया। ट्रंप के इन कदमों ने भारत-अमेरिका के संबंधों में न सिर्फ तनाव पैदा किया, बल्कि दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को भी प्रभावित कर दिया। विभिन्न देशों पर लगाए जाने वाले ट्रंप के इन टैरिफों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देना था, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई। चीन, यूरोपीय संघ और मेक्सिको जैसे देशों ने जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक जीडीपी में 0.5% की गिरावट का अनुमान लगाया गया। विशेष रूप से मेक्सिको पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, जिसका कारण मेक्सिको की “अपर्याप्त” आव्रजन नियंत्रण नीति बताई गई। इन फैसलों ने कॉर्पोरेट अमेरिका में अनिश्चितता पैदा की, क्योंकि ऊंचे टैरिफों से आयात लागत बढ़ी और निर्यात प्रभावित हुए। 


नई इमिग्रेशन पॉलिसी ने बढ़ाया तनाव

ट्रंप की आव्रजन नीतियां उनके दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष का एक और बड़ा विवादास्पद पहलू रहीं। फरवरी 2025 में ट्रंप ने “इनवेजन ऑफ एलियंस” घोषित करते हुए दक्षिणी बॉर्डर को सील कर दिया और अमेरिकी क्षेत्र में एसाइलम आवेदनों पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही बॉर्डर पर इमरजेंसी की घोषणा कर दी। जून में उन्होंने 19 देशों से आव्रजन को पूरी तरह रोक दिया, जिसमें कई लैटिन अमेरिकी और एशियाई देश शामिल थे।  


 H-1B वीजा पर सख्त प्रतिबंध 

 ट्रंप ने इसके साथ ही अप्रवासियों को एक और झटका दिया। ट्रंप ने H-1B वीजा पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए, जिससे आईटी और टेक सेक्टर में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों, खासकर भारतीयों पर व्यापक असर पड़ा। ट्रंप ने लीगल इमिग्रेशन को भी सीमित करने का प्रयास किया, जिसमें इमिग्रेंट वीजा जारी करने पर रोक लगा दी। ट्रंप प्रशासन की इन नीतियों का वैश्विक प्रभाव मानवीय संकट के रूप में सामने आया। लाखों प्रवासी प्रभावित हुए और संयुक्त राष्ट्र ने इसे “मानवाधिकार उल्लंघन” करार दिया। लैटिन अमेरिका से प्रवास पर फोकस करते हुए ट्रंप ने क्यूबा, हैती और वेनेजुएला से आव्रजन पर विशेष प्रतिबंध लगाए। 


वेनेजुएला के साथ अमेरिका संघर्ष के दौर में पहुंचा


ट्रंप की विदेश नीति में वेनेजुएला ब्लॉकेड सबसे विवादास्पद फैसला रहा। दिसंबर 2025 में ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल उद्योग पर “पूर्ण ब्लॉकेड” घोषित किया, जिसमें अमेरिकी नौसेना ने पूर्वी प्रशांत में ड्रग तस्करी के आरोपी जहाजों पर घातक हमले किए। इससे अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव सबसे ज्यादा बढ़ गया है। अमेरिका ने पूर्वी प्रशांत महासागर और कैरेबियन सागर में वेनेजुएला की तथाकथित ड्रग तस्करी वाली नावों पर दर्जनों हमले किए। इनमें अब तक 99 लोग मारे जा चुके हैं। अब ट्रंप ने वेनेजुएला पर अमेरिकी तेल “चोरी” करने का आरोप लगाया। यह फैसला ड्रग तस्करी रोकने के नाम पर था, लेकिन आलोचकों ने इसे शासन परिवर्तन की कोशिश बताया।

ट्रंप के फैसले से बढ़ गई तेल की कीमतें

रूस, ईरान और वेनेजुएला जैसे तेल उत्पादक देशों पर प्रतिबंध लगाने से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बड़ा उछाल आया। इससे दुनिया भर में महंगाई बढ़ गई। वैश्विक प्रभाव के रूप में तेल कीमतों में उछाल आया। इनमें नेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाला देश है। उसके सबसे बड़े खरीदार चीन ने अमेरिका के इस फैसला का विरोध किया। इस ब्लॉकेड ने लैटिन अमेरिका में अस्थिरता बढ़ाई और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।


भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव

ट्रंप के इन फैसलों का सबसे गहरा असर भारत-अमेरिका संबंधों पर सबसे ज्यादा पड़ा, जहां तनाव चरम पर पहुंच गया। 2025 की शुरुआत में दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की उम्मीद थी, लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने सब कुछ बदल दिया। ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया। रही-सही कसर ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम ने पूरा कर दिया। ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाकर भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को और अधिक खराब कर लिया। इतना ही नहीं ट्रंप ने भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को “डेड” कहा और उसके BRICS का सदस्य होने और रूस से गहरे संबंधों को लेकर भी आलोचना की।

अमेरिका में घटने लगी भारतीय पेशेवरों की संख्या

 H-1B वीजा प्रतिबंधों से भारतीय आईटी पेशेवरों की संख्या में 50% से अधिक गिरावट आई, जिससे अमेरिकी कंपनियों में कुशल श्रम की कमी हुई।  ट्रंप के सहयोगियों ने भारत पर “इमिग्रेशन में धोखाधड़ी” का आरोप लगाया, जो दोनों देशों के बीच विश्वास को तोड़ने वाला था।मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ट्रंप के “मध्यस्थता” के आधारहीन दावे ने भी तनाव बढ़ाया। भारत ने उनके दावे को बार-बार “पूरी तरह गलत” बताया और सिरे से खारिज किया। 


पाकिस्तान से ट्रंप की नजदीकी ने बिगाड़ा खेल

ट्रंप की पाकिस्तान से निकटता और चीन से डील ने भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों को और अधिक बिगाड़ दिया। क्योंकि ट्रंप के इन फैसलों से भारत की सामरिक चिंताएं बढ़ गई। नतीजतन, भारत ने ओमान जैसे देशों से मुक्त व्यापार समझौते पर फोकस किया, जो अमेरिकी टैरिफों से बचने की रणनीति का हिस्सा था। इन फैसलों से भारत-अमेरिका व्यापार में 20% गिरावट आई, और दोनों देशों के बीच रक्षा सौदों में देरी हुई। भारतीय कुलीन वर्ग में अमेरिका की विश्वसनीयता पर संदेह बढ़ा, और मोदी सरकार को घरेलू स्तर पर अमेरिका के साथ गहरे संबंधों के लिए सीमित राजनीतिक स्थान मिला। 


ट्रंप के फैसलों ने पैदा की दुनिया में अस्थिरता

इस तरह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले साल में लिए गए फैसले विवादों के पर्याय बन गए। उनके फैसलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अनिश्चितता में डाल दिया, आव्रजन संकट पैदा किया और विभिन्न देशों के साथ साझेदारियों को तोड़ने का काम किया या उसे तनावपूर्ण बना दिया। वेनेजुएला पर अमेरिकी ब्लॉकेड ने दुनिया के ऊर्जा बाजार को हिला दिया, जबकि ट्रंप के टैरिफों ने पहले ही व्यापार युद्ध छेड़ रखा था। भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव ने इंडो-पैसिफिक रणनीति को प्रभावित किया, जहां दोनों देश चीन के खिलाफ साझेदार थे।

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