जयपुर: छात्रा के सुसाइड मामले में CBSE ने लिया बड़ा एक्शन, नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द


छात्रा की आत्महत्या के बाद नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द।- India TV Hindi
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छात्रा की आत्महत्या के बाद नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द।

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां बीते दिनों नीरजा मोदी स्कूल में एक छात्रा की मौत के बाद नियमों के उल्लंघन और लापरवाही के चलते सीबीएसई ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है। सीबीएसई का कहना है कि छात्र सुरक्षा नियमों के घोर उल्लंघन के लिए स्कूल पर कड़ी से कड़ी सजा लागू होगी। सीबीएसई ने नीरजा मोदी स्कूल, जयपुर की सीनियर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा स्तर तक की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। सीबीएसई के अनुसार, 1 नवंबर, 2025 को नीरजा मोदी स्कूल में कक्षा 4 की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद जांच में स्कूल की लापरवाही पाई गई और अब कार्रवाई की गई है।

जांच में मिली थी लापरवाही

बता दें कि नीरजा मोदी स्कूल की एक छात्रा ने 1 नवंबर को स्कूल के अंदर ही सुसाइड कर लिया था। छात्रा ने स्कूल में ही छठी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। मामले की जांच की गई तो रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि छात्रा को 18 महीनों तक लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें यौन संदर्भों के साथ मौखिक दुर्व्यवहार भी शामिल था। कथित तौर पर अपनी मौत के दिन, छात्रा ने अपनी क्लास टीचर पुनीता शर्मा से 45 मिनट में कई बार मदद मांगी। उसकी बार-बार की गई अपीलों के बावजूद, शिक्षिका ने कथित तौर पर उसकी चिंताओं को अनसुना कर दिया और क्लास में उस पर चिल्लाईं, जिससे छात्रा खुद को परेशान महसूस कर रही थी। उसे दिन में पहले खुश देखा गया था, लेकिन सुबह 11 बजे के बाद, वह सहपाठियों द्वारा डिजिटल स्लेट पर दिखाई गई सामग्री से परेशान और शर्मिंदा दिखाई दी, जिसे उसने मिटाने की कोशिश की। छात्रा को काउंसलर के पास नहीं भेजा गया।

CBSE ने लापरवाही को ठहराया जिम्मेदार

रिपोर्ट में छात्रा की मौत का कारण “शिक्षक की लापरवाही, सुनने की क्षमता की कमी और समस्याओं के प्रति सहानुभूति या संवेदनशीलता का अभाव” बताया गया। सीबीएसई ने जोर देकर कहा कि समय पर हस्तक्षेप से इस घटना को रोका जा सकता था। सीबीएसई की रिपोर्ट भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त बाल संरक्षण नीतियों, प्रताड़ित करने पर प्रभावी निगरानी और स्कूलों में एक मजबूत सहायता प्रणाली की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया।

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