
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
दो दुखभरी घटनाओं के साथ ये साल 2025 खत्म हो रहा है। देहरादून में कुछ युवकों ने त्रिपुरा के एक छात्र एंजेल चकमा की हत्या कर दी। शराब के नशे में धुत युवकों ने एंजेल चकमा को इसलिए मार डाला, क्योंकि वह दिखने में अलग था। वह बार-बार कहता रहा, मैं भारतीय हूं, I am Indian, लेकिन गुंडों ने उसकी बात नहीं सुनी। उस पर चाकुओं से हमला कर दिया।
एंजेल चकमा और उसका भाई बुरी तरह जख्मी हो गए। एंजेल 17 दिन मौत से लड़ा लेकिन हार गया। उत्तराखंड पुलिस ने पांच लड़कों को गिरफ्तार किया, इनमें से दो नाबालिग हैं। छठवां आरोपी नेपाल भाग गया है। उसे पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम नेपाल भेजी गई है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एंजेल चकमा के पिता तरुण चकमा से बात की, अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का वादा किया लेकिन इस मामले में उत्तराखंड की पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। एंजेल चकमा के पिता का आरोप है कि पुलिस ने FIR दर्ज करने में तीन दिन लगाये। उन्होंने बताया कि बेटे पर हमले की खबर मिलने के बाद वह देहरादून पहुंचे। उस वक्त बेटे की हालत गंभीर थी, लेकिन उस वक्त तक पुलिस ने FIR भी दर्ज नहीं की थी।
तरुण चकमा ने बताया कि उन्होंने खुद वारदात वाली जगह पर जाकर CCTV फुटेज खोजा, पुलिस को सबूत दिखाए, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज करने से इंकार कर दिया। तरुण चकमा ने BSF के अफसरों से बात की, नॉर्थ ईस्ट के नेताओं से फोन करवाया, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री से बात हुई, तब जाकर हमले के तीन दिन के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया। तरुण चकमा ने कहा कि जिसका बेटा अस्पताल में मौत से लड़ रहा हो, वह पुलिस के चक्कर काटता रहे, इससे ज्यादा दुख की बात और क्या हो सकती है।
उधर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सैकड़ों नौजवानों ने प्रोटेस्ट किया, एंजेल चकमा के हत्यारों को फांसी पर लटकाने की मांग की। इसी तरह के कैंडल मार्च देहरादून में भी निकाले गये। देहरादून के नौजवान भी अपने साथी की हत्या पर गुस्से में हैं। एंजेल चकमा कोई अपराधी नहीं था। उसकी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। वह देहरादून में MBA की पढ़ाई कर रहा था। 9 दिंसबर को एंजेल अपने भाई माइकल के साथ मार्केट गया था। वहां कुछ गुंडों ने उन्हें घेर लिया, दोनों भाइयों पर रेसियल कमेंट करने लगे। माइकल ने विरोध किया तो गुंडों ने एंजेल को चाकू मार दिया और वहां से भाग गए।
जिस एंजेल चकमा को ‘चिंकी’ और ‘मोमोज़’ कहकर चिढ़ाया गया, जिसे विदेशी बताकर मारा गया, उसके पिता तरुण चकमा BSF में हैं, सीमा पर देश की रक्षा करते हैं। देहरादून के एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि ये मामला racial कमेंट का नहीं, बल्कि दो गुटों में झगड़े का है। अब हत्या क्यों हुई, ये तो जांच के बाद साफ होगा लेकिन एंजेल की हत्या से त्रिपुरा के लोगों में बेहद नाराजगी है। इस घटना के बाद देहरादून में पढ़ने वाले नॉर्थ ईस्ट के छात्र परेशान हैं। छात्रों ने कहा कि देहरादून ही नहीं, देश के दूसरे हिस्सों में भी नॉर्थ ईस्ट के छात्रों को इस तरह का नस्ल के आधार पर नफरती कमेंट्स झेलने पड़ते हैं, सरकार को इसके खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए।
इसी तरह की एक दूसरी घटना तमिलनाडु में हुई। एक प्रवासी मजदूर पर नशे में धुत चार लड़कों ने हंसिए से हमला कर दिया। सिराज नामक यह मजदूर चेन्नई से पैसेंजर ट्रेन पर सवार हुआ, ट्रेन में कुछ लड़कों ने सिराज की गर्दन पर धारदार हंसिया रख दिया और रील बनाने लगे। जब सिराज ने विरोध किया तो चारों आरोपी उसे तिरुत्तानी रेलवे स्टेशन के पास एक सुनसान जगह पर ले गए और उस पर हंसिये से कई वार किए। हैरान करने वाली बात ये है कि इस घटना का वीडियो इन्हीं लड़को में से एक ने बनाया और वीडियो के अंत में आरोपियों ने विक्ट्री साइन भी दिखाया। पता चला है कि चारों आरोपी किशोर हैं। घायल सिराज को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उत्तराखंड में 24 साल के छात्र की निर्मम हत्या, तमिलनाडु में 34 साल के प्रवासी मजदूर के गर्दन पर वार, समाज के चेहरे पर ऐसे बदनुमा दाग हैं जिन्हें धुलने में कई बरस लग जाएंगे। ये साल इतने शर्मनाक तरीके से विदा होगा, ये कभी सोचा नहीं था। साल के आखिरी महीने में चार ऐसे मामले हुए जो निहायत ही शर्मनाक हैं। देहरादून और तिरुवल्लुर में हत्या करने वाले नशे में धुत थे। इसी महीने ओडिशा में दो प्रवासी मजदूरों की पीट-पीटकर हत्या हुई। केरल में 31 साल के युवक को बांग्लादेशी कहकर मार दिया गया।
इन सारे मामलों में सोशल मीडिया पर रील पोस्ट की गई। अपराध करने वालों के दिलोदिमाग में नफ़रत का ज़हर भरा था। इसे तूल देने वाले सोशल मीडिया के घातक प्रचार को अनदेखा नहीं किया जा सकता। नफरती जुर्म की इन घटनाओं को छिटपुट घटना बता कर अनदेखा नहीं किया जा सकता। अगर राज्य सरकारों ने राजनीति से ऊपर उठकर ऐसी घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया, अपने राज्यों में आए लोगों को सुरक्षा नहीं दी, तो ये घाव और गहरा हो जाएगा। (रजत शर्मा)
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