Aap ki Adalat: ‘द बंगाल फाइल्स’ में महात्मा गांधी के रोल में अनुपम खेर, ‘आप की अदालत’ में सामने आया फर्स्ट लुक


Aap ki Adalat, Anupam kher
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‘आप की अदालत’ में अनुपम खेर

Aap Ki Adlalat:  विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ में महात्मा गांधी की भूमिका निभा रहे फिल्म स्टार अनुपम खेर का फर्स्ट लुक रजत शर्मा के शो ‘आप की अदालत’ में सामने आया है। अनुपम खेर ने कहा, “महात्मा गांधी की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिए एक सपना होता है। मुझे इस भूमिका के लिए एक साल तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी। अपना वजन कम करने के अलावा, इस फिल्म के लिए गांधी की भूमिका को आत्मसात करने के लिए मैंने पिछले एक साल से, अगस्त से, नॉन वेज भोजन और शराब पीना बंद कर दिया है।”

‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लिव’ 1946 के कलकत्ता नरसंहार और नोआखाली दंगों पर आधारित है। यह फिल्म इस साल 5 सितंबर को रिलीज़ होगी। इसमें फिल्म में अनुपम खेर महात्मा गांधी की भूमिका में  हैं। उनके अलावा मिथुन चक्रवर्ती, पुनीत इस्सर और वत्सल सेठ भी हैं। वत्सल सेठ इस फिल्म में मुहम्मद अली जिन्ना की भूमिका निभा रहे हैं।

अनुपम खेर ने “द कश्मीर फाइल्स” को प्रोपेगेंडा फिल्म बताने वालों पर निशाना साधा

उन्होंने कहा, “अगर आप मेरी असली भावना जानना चाहते हैं, तो द कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगैंडा फिल्म बताने वालों से ज़्यादा घटिया लोग नहीं हो सकते। उस फिल्म में जो दिखाया गया था, वह सिर्फ़ 10 प्रतिशत था और असल में लोगों (कश्मीरी पंडितों) के साथ जो हुआ, वह उससे कहीं ज़्यादा ख़तरनाक था। विवेक अग्निहोत्री, पल्लवी जोशी और अन्य लोगों की बदौलत 32 सालों से छिपा हुआ सच दुनिया के सामने आ गया। जिन लोगों ने उस फिल्म की आलोचना की, वे धोखेबाज़ थे।”

तन्वी द ग्रेट

अनुपम खेर ने अपनी नई फिल्म “तन्वी द ग्रेट” के बारे में भी बताया जो 18 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। इसमें ऑटिज़्म से पीड़ित 21 वर्षीय तन्वी की कहानी है, जो सेना में भर्ती होने का सपना देखती है। अनुपम खेर इस फिल्म में उस लड़की के पिता कर्नल प्रताप रैना की भूमिका निभा रहे हैं। खेर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, सेना प्रमुख और एनडीए कैडेट्स के लिए इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराई है।

‘तन्वी द ग्रेट’ के बारे में अनुपम खेर ने कहा, “एक ऑटिस्टिक आर्मी परिवार की लड़की अपने दादाजी से कहती है कि वह सेना में भर्ती होना चाहती है। इस प्रेरणादायक फिल्म में, तन्वी बहुत मज़ेदार और शरारती है, और वह एक गायिका भी है। यह फिल्म कान्स, लंदन और न्यूयॉर्क फिल्म समारोहों में दिखाई गई और हर जगह फिल्म को स्टैंडिंग ओवैशंस मिला। प्रसिद्ध अभिनेता रॉबर्ट डी नीरो न्यूयॉर्क में यह फिल्म देखने आए थे। हमने एनडीए के 2,500 कैडेटों के लिए यह फिल्म दिखाई, वहां भी इसे स्टैंडिंग ओवैशंस मिला। सेना के टॉप जनरलों ने फिल्म देखकर आंसू बहाए, इसलिए नहीं कि यह एक अच्छी फिल्म है, बल्कि इसलिए कि यह आपके अंदर की अच्छाई को बाहर लाती है। यह दिल से उन लोगों के लिए बनाई गई फिल्म है जिनके पास दिल है।”

ऊंट के पेशाब से गंजापन ठीक करें?

‘आप की अदालत’ शो में इस बहुमुखी अभिनेता ने अपने जीवन के कई दिलचस्प किस्से सुनाए। खेर ने बताया कि कैसे एक बार उन्हें गंजेपन के इलाज के लिए ऊंट के पेशाब का इस्तेमाल करने को कहा गया था।अनुपम खेर ने कहा: “बॉलीवुड में, मैं काम मांगने के लिए फिल्म निर्माताओं के पास जाता था। मैं उन्हें अभिनय में अपना गोल्ड मेडल दिखाता था, और वे मुझसे कहते थे, आपके बाल ही नहीं हैं…मैंने बहुत कोशिश की बाल उगाने की। मुझे किसी ने कहा कि ऊंट का सुसू लगाओ। तो मैं जुहू बीच पर चला जाता था। मुझे क्या पता ऊंट को पेशाब करने में 3-4 दिन लगते हैं। यह एक फैक्ट है, कोई exaggeration (अतिशयोक्ति) नहीं। इसलिए, हर बार, मैं प्लास्टिक की थैली लेकर ऊंट का पीछा करता था। मुझे नहीं पता था कि ऊंट जब करता है तो बरसात होती है।  मगर कुछ नहीं हुआ। फिर मैंने तिब्बती (दवा) आजमाई। मगर मेरे बाल न होने की वजह से ही महेश भट्ट साहब ने मुझे ‘सारांश’ के लिए लिया। जो नहीं होता है, वो होता है।

अनुपम के चाचा

जब रजत शर्मा ने अनुपम खेर को बताया कि वह ऑडिशन के लिए जाते थे हमेशा अपने चाचा (चाचा जी) की नकल करते थे, तो अभिनेता ने जवाब दिया: “मेरे चाचा द्वारिका नाथ जी आठवीं क्लास में सात बार फेल हुए। फिर प्रिंसिपल ने उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौवीं कक्षा में प्रमोट कर दिया क्योंकि आठवीं क्लास के बाकी बच्चे उन्हें अंकल बुलाते थे। इनफैक्ट यह किस्सा  ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ में एक सीन है जब शाहरूख खान को मैं बोलता हूं कि बेटा हम तो इंडिया में फेल हुए थे तूने तो लंदन में फेल होकर दिखा दिया। सेट पर जब  मैंने यश चोपड़ा जी से पूछा, क्या मैं अपने उन रिश्तेदारों की तस्वीरें दीवार पर लगा सकता हूं जो अपनी क्लास में फेल हो गए थे। यश जी ने कहा, ‘मैनू की फ़र्क़ पैंदा’ लगा दो।”

“जब सीन शुरू हुआ, तो मैंने कहा, ये द्वारका नाथ जी हैं, जो आठवीं कक्षा में सात बार फेल हुए थे। ये बृज नाथ जी हैं, जो नौवीं कक्षा में आठ बार फेल हुए थे, ये मोहन लाल जी हैं, जो कई बार फेल हुए थे। जब फिल्म रिलीज़ होने को आई तो मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने सभी चाचा जी का कितना अपमान किया है। मैंने अपने सभी चाचाओं को चिट्ठी लिखकर फिल्म में उनका नाम लेने के लिए माफ़ी मांगी।” जब फिल्म रिलीज हुई तो सभी चाचा जी ने मुझे चिट्ठी लिखा, ‘थैंक यू बेटा, तुमने हमें फेमस कर दिया।’

अपने पिता के आखिरी शब्दों पर आंसू

जब रजत शर्मा ने पूछा कि क्या उनके पिता उनकी फ़िल्में देखते थे, तो अनुपम खेर ने जवाब दिया: “मेरे पिता मेरे सबसे बड़े फ़ैन थे… वे मेरी सबसे बुरी फ़िल्मों की भी तारीफ़ करते थे। उन्हें हवाई जहाज़ पसंद नहीं में सफर करना पसंद नहीं था, वे ट्रेन में सफ़र करते थे। सफर में जब वे आसपास बैठे लोगों से कहते थे कि अनुपम खेर मेरा बेटा है लोग उनकी बात पर यकीन नहीं करते थे। लोगों में एक साइकोलॉजिकल फीलिंग होती है लोग सोचते हैं कि इतने मशहूर अभिनेता का पिता है तो ट्रेन में क्यों सफर कर रहा है। एक बार रात के 2.30 बजे पिताजी ने मुझे फ़ोन किया और कहा, ‘बिट्टू, ये मल्होत्रा साहब तुमसे बात करना चाहते हैं, इन्हें यकीन नहीं हो रहा कि तू मेरा बेटा हूं। तू बात कर।’ मैंने कहा हां जी मैं इनका बेटा हूं। इस पर उन्होंने कहा ‘हमें कैसे पता चलेगा कि तुम अनुपम खेर हो? डायलॉग सुनाओ।’ अब रात 2.30 बजे मैं डायलॉग सुना रहा हूं, ‘राणा विश्व प्रताप सिंह, डॉक्टर डैंग को आज पहली बार किसने थप्पड़ मारा है। इस थप्पड़ की गूंज जब तक तुम ज़िंदा रहोगे, सुनाई देगी।’ फिर उस आदमी ने कहा, ‘हां जी, पता लग गया, आप अनुपम खेर हो।’

अनुपम खेर ने बताया, “मेरे पिता जी एक संदूक रखते थे। किसी को भी उस संदूक को खोलने की इजाज़त नहीं थी। जब 10 फ़रवरी, 2012 को मेरे पिता का निधन हुआ, तो हमने संदूक को खोला और देखा कि उसमें हमारे सारे प्रेस कटिंग, अख़बारों और मैग्जीन की मेरी सारी प्रेस क्लिपिंग, मेरे कार्ड, मेरी ट्रॉफ़ियां थीं। वह मेरे बारे में सबसे बुरे से बुरे रिव्यू को भी को भी अंडरलाइन कर देते थे। यह था मेरे फ़ादर की मोहब्बत मेरे लिए।”

अपने पिता के अंतिम दिनों के बारे में पूछे जाने पर, अनुपम खेर ने खुलासा किया: “मेरे पिता को अजीब सी बीमारी हुई। वो भूखे चले गए। उनके लिए, भोजन रेत की तरह था और पानी तेजाब की तरह। वह बहुत कमजोर हो गए थे। डॉक्टरों ने हमें उन्हें घर ले जाने की सलाह दी। मैं डेविड धवन के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए गोवा पहुंचा तब मेरे भाई ने मुझे फोन किया और मुझे तुरंत आने के लिए कहा। मैंने तुरंत फ्लाइट पकड़ी, और जब मैं घर पहुंचा, तो मैंने अपने पिता को बिस्तर पर लेटे हुए देखा। वे कलम और कागज को अपनी छाती पर रखे हुए। बहुत कमजोर हो गए थे। वह बोल नहीं पा रहे थे। वह मुझे घूरते रहे, और फिर कुछ लिखने लगे। करीब 10-15 मिनट तक लिखने लगे। जब मैंने कागज देखा, तो उसमें केवल लाइनें थीं। उनके पास शब्द लिखने की कोई ताकत नहीं बची थी। मैंने उन्हें यह कहकर शांत करने की कोशिश की, ‘पापा, आप सही कह रहे हैं’। वो थोड़े निराश थे। उन्होंने मुझे पास बुलाया, मैंने अपने कान उनके मुंह के पास रखा। वह इंसान जो 20 मिनट बाद मरने वाला था,  मेरे लिए उनके आखिरी दो शब्द थे: ‘Live Life’ (अनुपम खेर AKA शो में रोने लगे)। एक पिता अपने बेटे को और क्या Lesson दे सकता है? इसीलिए मैं हर क्षण, हर पल, जी के दिखता हूं। मेरे पिता एक साधारण इंसान थे, वे वन विभाग में क्लर्क के पद पर थे। मेरे दादा एक असाधारण व्यक्ति थे, वे एक विद्वान और योग शिक्षक थे।

दुलारी रॉक्स!

रजत शर्मा: मुझे लगता है कि आपकी मां आजकल स्टार बन गई हैं?

अनुपम खेर: हां, वो मुझसे भी ज़्यादा लोकप्रिय हो गई हैं। दुलारी रॉक्स! (इंस्टाग्राम पर)। मेरे माता-पिता की शादी को 59 साल हो गए थे। जब कोई अपने साथी को खोता है तो एक दोस्त, एक साथी, एक आदत को खो देता है।  मैंने सोचा, मेरी मां मेरे पापा के बिना कैसे रहेंगी। फिर मैंने अपनी माता जी के साथ वीडियो बनाने शुरू किए। एक दिन मैंने कहा कि चलो माता जी कुछ बोलो तो उन्होंने मुझसे कहा, “बकवास मत कर, एक थप्पड़ पड़ेगा।” तो लोगों को ये बहुत पसंद आया। लोग उनके वीडियो में अपनी मां को देखने लगे। अब वो मुझसे कहती हैं, जब मैं सब्ज़ी खरीदने जाती हूं या मंदिर जाती हूं तो लोग मुझे पहचान लेते हैं। तुम मेरे वीडियो क्यों बना रहे हो? एक फ़र्क़ तो पड़ा है। मां बाप घर के फ़र्नीचर का हिस्सा नहीं हैं। अब ज़्यादा से ज्यादा लोग अपनी मां की रील बना रहे हैं। अच्छी बात है।”

फिल्म इंडस्ट्री

जब उनसे पूछा गया कि वे ज़्यादातर फिल्मों में हिरोईनों के पिता का रोल ही क्यों करते हैं, तो अनुपम खेर ने मज़ाक में कहा: “मेरी जवानी किसी ने नहीं देखी। अगर महेश भट्ट साहब ने 28 साल के युवक को 65 साल के बुज़ुर्ग का रोल न दिया होता, तो मैं यहां (आप की अदालत में) नहीं बैठा होता। मेरी कामयाबी में इसका सबसे बड़ा हाथ था। मेरे पास और चारा भी नहीं था। मैं चबूतरे पर, समुद्र तट पर सोता था, मेरे पास पैसे नहीं थे। फिर मुझे यह फिल्म मिली तो कैसे मना करता। फिर यश चोपड़ा जी ने मुझे फिल्म विजय में हेमा मालिनी के पिता का रोल दिया। मैंने राजेश खन्ना के ससुर का रोल किया, मैंने ऋषि कपूर के पिता का रोल किया, जो मुझसे उम्र में बड़े थे। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा।”

रजत शर्मा: आपने माधुरी दीक्षित और काजोल के पिता का किरदार निभाया?

अनुपम खेर: देखिए जी, आदमी आशिक को छोड़ देता है, पति को छोड़ देता है, बाप को कभी नहीं छोड़ता। मैं जो रोल करता था (They were the pillars of the film ) वो फिल्म की रीढ़ थीं। तेज़ाब और राम लखन, दोनों में मैंने माधुरी दीक्षित के पिता का किरदार निभाया था, लेकिन भूमिकाएं अलग-अलग थीं। आपको इतनी विविधता कहाँ से मिलती है? मैं अपनी तारीफ़ नहीं कर रहा, लेकिन मैं इसमें ज़्यादा कुछ छिपाना नहीं चाहता। मेरे जैसे एक्टर हिंदी फिल्मों में बहुत कम आते हैं। आपको यह बात माननी पड़ेगी। मैं यह बात घमंड से नहीं कह रहा। मैंने पहले फिल्मों में जो किया, बहुत कम लोग कर सकते थे। मैं ऐसा इसलिए कर पाया कि मेरे एक्टिंग टीचर कमाल के थे। मेरी ताकत मेरे दर्शक हैं। इसीलिए मैं पिछले 40 सालों से फिल्मों में हूं। दर्शकों को मेरा किरदार पर्दे पर और पर्दे के बाहर, दोनों जगह पसंद आता है।”

दिलीप कुमार के साथ

अनुपम खेर ने दिलीप कुमार के साथ अपनी तीन फ़िल्मों के बारे में बताया। “कर्मा में पहली बार मैंने उनके साथ काम किया। उससे पहले मैं उनसे मिला नहीं था। मैं डॉक्टर गैंग बना हुआ था दाढ़ी-वाढ़ी लगाकर शूटिंग के लिए तैयार था, तभी सफ़ेद पोशाक में दिलीप साहब अपनी सफ़ेद मर्सिडीज़ से उतरे। मैं दिलीप साहब को देखता रह गया। मैंने कहा कि वाह यही तो वो इंसान है जिसकी वजह से मैं एक्टर बना। मधुमती, देवदास, गोपी जैसी फ़िल्में याद आ गईं। गोपी का टिकट खरीदने के दौरान मेरी नाक लगभग टूट ही गई थी। मैं उनको देखता जा रहा था। सुभाष घई मुझे एक कोने में ले गए और दिलीप साहब को इतने प्यार से देखने के लिए डांटा। उन्होंने कहा, ‘तू मुझे मरवा देगा, तू विलेन है, उन्हें ऐसे प्यार से मत देख।’ मैंने सुभाष घई से कहा, ‘अनुपम खेर दिलीप कुमार से प्यार करता है, डॉक्टर डैंग राणा विश्व प्रताप सिंह से प्यार नहीं करता है।’

रजत शर्मा: और थप्पड़ वाला सीन?

अनुपम खेर: “दिलीप साहब को इम्प्रेस करने की कोशिश करते हुए, मैंने उनसे कहा, ‘सर आप मुझे असली में थप्पड़ मार देना।’ उन्होंने कहा, ‘बेटा, पठान का हाथ है, बेहोश हो जाएगा।’ बाद में जब उन्होंने मेरा सीन देखा तो उन्होंने सुभाष घई से कहा, ‘ये डेंजरस एक्टर आया है, बहुत दूर तक जाएगा।’ मुझे लगा, दिलीप जी ने मुझे एंडोर्स कर दिया, अब दुनिया की कोई ताक़त मुझे नहीं रोक सकती।”

अनुपम खेर ने एक घटना का जिक्र किया। मुझे भूख बड़ी भूख लगती थी। 1.30 बजे मुझे लंच चाहिए लेकिन 2.30 बज गए थे।  खाना नहीं आया था और दिलीप कुमार को यह पता लग गया मुझे भूख लग गई है। उन्होंने मुझे चिढ़ाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि आपको पता है कि मेरे पिता फल बेचते थे और उन्होंने उसका वर्णन करना शुरू किया कि लाल सेब का स्वाद कितना मीठा होता है। उनके हाथ में सेब नहीं था लेकिन उन्होंने पूरी कहानी बतानी शुरू की और मेरी भूख भी बढ़ती जा रही थी। मैंने कहा कि अब बस भी करो प्लीज। I am a rich man because I worked with one of the finest people in the world”

बिग बी के साथ

अनुपम खेर ने कहा: अमिताभ बच्चन के साथ अपनी पहली फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ के सेट पर मैं चेन्नई गया था और प्रोडक्शन के सदस्यों से पूछा कि मेकअप रूम का एसी क्यों काम नहीं कर रहा है। मैंने पूछा सीन किसके साथ है। उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन के साथ।  मैंने अमिताभ जी को दाढ़ी और विग के साथ, एक कंबल ओढ़े बैठे देखा। मैंने उनसे पूछा, ‘सर, क्या आपको इस कंबल, विग, दाढ़ी, कमीज़ और पतलून में गर्मी नहीं लग रही?’ अमिताभ जी ने जवाब दिया: “अनुपम, गर्मी के बारे में सोचता हूं, तो लगती है, नहीं सोचता हूं, तो नहीं लगती।” उस दिन के बाद से, मैंने कभी एसी या पंखे को लेकर हंगामा नहीं किया।  If you keep your eyes open, there is a lesson you can learn from every body।”

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