
लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ
Lieutenant Colonel Sushil Bisht: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नायक पहली बार इंडिया टीवी के कार्यक्रम में आए। इस कार्यक्रम में कर्नल कोशांक लांबा, लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ, नायब सूबेदार सतीश कुमार, नायब सूबेदार रत्नेश घोष और मेजर जैरी ब्लेज मौजूद थे। इनमें से लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ की बात की जाए तो वे वीर चक्र से सम्मानित हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैटेलाइट इमेज का अध्यन कर आतंकी अड्डे उड़ाए थे।
लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ को पाकिस्तान की होने वाली गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी दी गई। उनको निर्देश दिया गया कि वे सैटेलाइट इमेजेज का अध्ययन करें और पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को तबाह करें। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के जवाब के बाद भी लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ ने बेहद बहादूरी का परिचय देते हुए रात के अंधेरे में अदम्य साहस का परिचय दिया। लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ ने आतंकी और उनके सरपरस्तों के ठिकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इसके लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम में बताया कि मेरे टारगेट्स भी आतंकी कैंप्स ही थे। 6-7 मई की रात कुछ जो क्रिटिकल टेटरिस्ट कैंप थे उस रात इंगेज हुए थे। पश्चिमी सीमा के पूरे क्षेत्र में उसमें से मेरे भी कुछ टारगेट्स थे। जो 9 क्रिटिकल टारगेट इंगेज हुए थे उनमें से कुछ क्रिटिकल टारगेट्स हमारे भी थे।
“अब 2-3 मिनट में फायर करने के लिए तैयार”
उन्होंने बताया कि नॉर्थ से लेकर साउथ तक हर जगह इंगेज हुआ है। मैं भी आर्टिलरी से हूं। आर्टिलरी और इंडियन आर्मी एक मॉर्डनाइजेशन की दौर से गुजर रहा है। उसमें लेटेस्ट टेक्निक्स और इक्विपमेंट्स हैं जो आर्टिलरी में आ रहा है। पहले आर्टिलरी में एक गन को रेडी करने में काफी समय लगता था, 20-30 मिनट लग जाते थे। अभी लेटेस्ट गन ऐसी आ गई है कि अब आप 2-3 मिनट में फायर करने के लिए तैयार हो जाते हैं। जिस जगह को आपने मार्क कर रखा है वहां 2-3 मिनट में रेडी कर राउंड लॉन्च कर सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उन्होंने बताया कि हमने अपने टारगेट्स की डिटेल स्टडीज की थी। आर्टिलरी गन को लेकर लेफ्टीनेंट कर्नल सुशील बिष्ठ ने कहा कि हम सामान्य इलाके में आ गए थे। उसी इलाके में जाकर तैनात नहीं कर सकते थे। हमारा जो भी मूवमेंट होता था वो हम रात के समय करते थे। रात के समय ही हमारी ट्रेनिंग, हमारी प्लानिंग, हमारी तैयारी, हमारा रिहर्सल सब रात के समय में ही होता था। हमने उस एरिया का इतनी डिटेल स्टडी की थी कि हमें पूरे रास्ते पता थे कि किस रास्ते से हमें जाना है। रास्ते में जितने टर्न आएंगे उसे कैसे नैविगेट करना है, सब एनालाइज किया गया था, जिसका इफेक्ट आप लोगों ने देखा भी। हमने रेकी ठीक तरीके से की, ई-मार्क कर रखा था।
फायरिंग को लेकर क्या थी प्लानिंग? बताया
फायर करेंगे तो फायर पलट कर जरूर आएगा, इस पर उन्होंने कहा कि ये भी हमने अपनी प्लानिंग और तैयारी में शामिल किया था। आर्मी में इसे कंटीजेंसी प्लानिंग बोलते हैं। ये आपको पता होता है, आपके दिमाग में ये फ्लेक्जिबिलिटी होनी चाहिए कि ये चीज ठीक नहीं हुआ तो ये काम करना पड़ेगा और ये कि दुश्मन का जवाबी हमला आएगा तो आप क्या करेंगे। तो हमारा प्लान ये था कि हम एक जगह फायर करेंगे। जैसे ही एक जगह फायर खत्म होगा उस एरिया से क्लोज करेंगे और अपने सारे गन को सेफ लोकेशन में ले जाएंगे।
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