Bhumihar Vs Yadav, Bhumihar Vs Yadav Bihar, Bhumihar Vs Yadav Katihar- India TV Hindi

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।

कटिहार: बिहार के कटिहार जिले के मोहन चांदपुर गांव में 2 दिसंबर को गैंगवार में 4 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इंडिया टीवी की ग्राउंड रिपोर्ट में इस हत्याकांड से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो सूबे में नीतीश कुमार के ‘सुशासन’ की पोल खोलकर रख देते हैं। जिले के जिस मोहन चांदपुर गांव में 4 लोगों की हत्या हुई है, वहां पिछले एक दशक से मवेशी चराने के लिए लोग मोहन ठाकुर और अवधेश यादव के गैंग को प्रति मवेशी 2000 रुपया सालाना की रंगदारी देते हैं।

वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है हत्याएं


मोहन ठाकुर और अवधेश यादव का गैंग दियारा के 5 हजार एकड़ में फैले इस इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है, और ये हत्याएं इसी का नतीजा हैं। मोहन चांदपुर गांव से बाहर निकलते ही मोहन ठाकुर और अवधेश यादव के गैंग के लोग गांव वालों का आधार कार्ड चेक करके उनकी जाति पूछते हैं। पुलिस ने बताया कि मोहन ठाकुर और सुनील यादव गिरोह की अदावत इस इलाके में रही है। इसके में सक्रिय तीसरा गिरोह अवधेश यादव का था।

दुश्मन का दुश्मन बना दोस्त, और फिर…

पुलिस ने बताया कि अवधेश और सुनील के बीच वर्चस्व की लड़ाई के बाद दुश्मन का दुश्मन दोस्त बन गया और अवधेश ने मोहन ठाकुर से हाथ मिला लिया। सुनील यादव के कमजोर पड़ते ही इलाके में मोहन और अवधेश का आतंक कायम हो गया। बताया जा रहा है कि आतंक के राज को और पुख्ता करने के मकसद से ही कटिहार में नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया। अवधेश, मोहन और सुनील यादव और उनके गैंग के तमाम लोगों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

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मोहन ठाकुर (बाएं) और सुनील यादव।

मामाला भूमिहार Vs यादव नहीं, कुछ और है

यादव जाति के 4 लोगों की हत्या के बाद इसे सोशल मीडिया पर भूमिहार और यादव जाति के अपराधियों के बीच जातीय संघर्ष का नतीजा बताया गया, लेकिन इंडिया टीवी की टीम जब गांव गयी तो पता चला कि भूमिहार जाति से आने वाले मोहन ठाकुर के गैंग में भूमिहार और यादव जाति के अलावा तमाम दूसरी जातियों के अपराधी भी  हैं। यही वजह है कि इलाके में जातीय तनाव जैसी कोई स्थिति नहीं है। यह घटना सीधे तौर पर एक आपराधिक गिरोह के द्वारा दहशत फैलाकर अपना वर्चस्व स्थापित करने का नतीजा है।

मोहन, अवधेश समेत अन्य पर दर्ज हैं मुकदमे

मोहन ठाकुर के खिलाफ हत्या के 3, रंगदारी के 6 और आर्म्स ऐक्ट के 13 मामलों के अलावा कई दूसरे मामले दर्ज हैं जबकि उसके सहयोगी अवधेश यादव के खिलाफ हत्या और अपहरण का एक-एक मामला दर्ज है। पुलिस का कहना है कि मारे गए लोगों का भी आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। मृतक अरविंद यादव के खिलाफ हत्या के 3, आर्म्स ऐक्ट के 4 और फिरौती के लिए अपहरण का 1 मामला दर्ज है। मृतक राहुल यादव और सोनू यादव के खिलाफ भी हत्या का एक-एक मामला दर्ज है, जबकि चौथे मृतक लालू यादव के खिलाफ कोई मामला नहीं है।





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