UK wants to include India in AUKUS agreement- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV
भारत को AUKUS समझौते में शामिल करना चाहता है ब्रिटेन

एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव और आक्रामकता को देखते हुए ब्रिटेन ने भारत और जापान को ऑकस (AUKUS) समझौते में शामिल करने की मांग उठाई है। ब्रिटेन रक्षा चयन समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि एशिया महाद्वीप में चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। इस लिहाज से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नाटो जैसा सैन्य गठबंधन बनाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे में भारत और जापान को ऑकस में शामिल करना चाहिए। 

साल 2021 में हुआ था ऑकस समझौता 

हालांकि जब साल 2021 में इस समझौते की घोषणा की गई थी तब से ही अमेरिका और ब्रिटेन भारत को सुरक्षा समझौते में शामिल करना चाहते थे, लेकिन दोनों पक्षों द्वारा कभी भी आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा या पेशकश नहीं की गई। अब जब स्थितियां बदल रही हैं तो भारत और जापान को इस समझौते में शामिल करने की बात की जा रही है। 

क्या है ऑकस समझौता ?

बता दें कि ऑकस (AUKUS) ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है। अगर भारत और जापान इस समझौते में शामिल होते हैं तो सदस्य देशों की संख्या पांच हो जाएगी। ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, यूके, यूएस) संधि की घोषणा 15 सितंबर 2021 को इंडो-पैसिफिक पर ध्यान देने के मकसद से की गई थी। इस सौदे में अमेरिका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बियां हासिल करने में मदद करने की बात कही गई है।

भारत को  AUKUS समझौते में क्यों शामिल करना चाहते हैं ब्रिटेन और अमेरिका ?

भारत की ज्यादातर सीमाएं पाकिस्तान और चीन से लगी हुई हैं। इन दोनों देशों से देश के हालात मैत्रीपूर्ण नहीं हैं। किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के लिए भारत अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। इसके साथ ही भारतीय नौसेना का लक्ष्य प्रोजेक्ट-75 अल्फा के तहत नई परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSN) की खरीद करना है, जिसकी लागत लगभग $15 बिलियन-$20 बिलियन है। कई अवसरों पर, फ्रांस ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत मेगा परियोजना के विकास में सहायता करने की पेशकश की है।

भारत रूस से खरीदता है सबसे ज्यादा हथियार 

हालांकि अभी तक रक्षा उपकरण खरीदने के मामले में रूस भारत की पहली पसंद बना हुआ है। लेकिन, यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में रूसी हथियारों के खराब प्रदर्शन के बाद संभावना है कि भारत अपने वैकल्पिक विकल्पों की तलाश में है। इसके अलावा, रूस वर्तमान में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जो अंततः रूस के लिए भारत की आकांक्षाओं को समय पर पूरा करना कठिन बना देता है।

फ़्रांस है भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर

फ्रांस, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है, नई दिल्ली से हथियारों का बड़ा सौदा करने के अवसर को हड़पना चाहता है। विशेष रूप से, इसने पहले ही भारत सरकार के साथ कई अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। राफेल लड़ाकू जेट अनुबंध पेरिस के वर्तमान में सबसे बड़े हथियारों के सौदों में से एक है। इसके साथ ही फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों आने वाले दिनों में भारत को कुछ बड़े सौदों की पेशकश करने के लिए नई दिल्ली का दौरा कर सकते हैं।

अमेरिका लेना चाहता है रूस और फ़्रांस की जगह 

वहीं दूसरी ओर, अमेरिका अपने सबसे बड़े हथियार प्रतिद्वंद्वियों – मास्को और फ्रांस को दरकिनार करना चाहता है और भारत के साथ बहु-अरब के सौदे को अंतिम रूप देना चाहता है। इसलिए, वह चाहता है कि भारत भी AUKUS समझौते में शामिल हो।

 

ये भी पढ़ें – 

मोरबी पुल हादसा: ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल ने कोर्ट में किया सरेंडर

‘बीजेपी खत्म करना चाहती है आरक्षण, देश में होनी चाहिए जातिगत जनगणना’, जानिए और क्या बोले स्वामी प्रसाद मौर्य

Latest World News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version