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‘आप की अदालत’ में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री।

नई दिल्ली:  विवादित कथावाचक और बागेश्वर धाम मंदिर के मुख्य पुजारी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने की अपनी मांग दोहराई है और कहा है कि, ‘एक बार हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाने के बाद हम अखंड भारत मांग लेंगे।’ जब उनसे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की इजाजत नहीं है, शास्त्री ने जवाब दिया, ‘सुप्रीम कोर्ट के प्रति हमारा आदर है, लेकिन भारत हिंदू राष्ट्र था, और है। अब बस घोषणा कीजिए।’

रजत शर्मा: क्या चाहते हैं आप हनुमान जी से?

धीरेंद्र शास्त्री: ‘हम सनातन धर्म पर आधारित हिंदू राष्ट्र चाहते हैं। अगर वे हिंदू राष्ट्र घोषित कर देंगे, तो हम अखंड भारत मांग लेंगे।’

रजत शर्मा: देश संविधान से चलता है, जिसे बाबा साहब अंबेडकर ने बनाया था?

धीरेंद्र शास्त्री: ‘हम अपने पूर्वजों द्वारा स्वीकारे गए संविधान का आदर करते हैं।’

रजत शर्मा: ‘संविधान कहता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, किसी धर्म पर आधारित देश नहीं?’

धीरेंद्र शास्त्री: ‘संविधान का पहला पत्र ही भगवान राम के चित्र से शुरू होता है। अगर देश के संविधान का का पहला पत्र ही भगवान राम के चित्र से शुरू हो, तो क्या वह हिंदू राष्ट्र और रामराज्य नहीं हो सकता? हमने सिर्फ सुना है, पढ़ा नहीं है कि पंथ धर्म निरपेक्ष है। धर्म तो सिर्फ सनातन है, बाकी सब पंथ हैं।’

बागेश्वर धाम के पुजारी, जिन्हें हाल ही में जान से मारने की धमकी मिली है, ने लोगों से आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने का आह्वान किया ।

शास्त्री ने कहा, ‘लोग माला और भाला रखें। वह तो हमारे देवी-देवताओं के पास भी है, प्रत्येक भगवान के हाथ में है। किसी के हाथ में त्रिशूल भी है। अगर किसी को दिक्कत है, तो आत्मरक्षा के लिए हथियार का जो लाइसेंस दिया जाता है, उसको भी बंद कीजिए। हम भी तो आत्मरक्षा के लिए ही भाला रखवा रहे हैं। हम गरीब लोग हैं, हमारी क्षमता बंदूक रखने की नहीं है।’

जब रजत शर्मा ने याद दिलाया कि उनके समर्थकों ने हाल ही में दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था और लोगों से चाकू छोड़कर तलवारें रखने को कहा था, तो धीरेंद्र शास्त्री ने कहा: ‘हमें यह बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसकी छूट हमने कदापि किसी को नहीं दी। याद रहे, सिर्फ सनातन ही वह धर्म है जो अहिंसा का पुजारी है। हम हिंसा के पक्ष में नहीं हैं। हिंदू का अर्थ ही यही है जो हिंसा का दमन करे।’

शास्त्री ने आगे कहा, ‘लेकिन हम कब तक धैर्य, कब तक संयम? राम की यात्रा पर पत्थर कब तक सहेंगे? पालघर में संतों को बर्बरता से मारा जाता है, रामचरितमानस को जलाया जात है, कब तक सहेंगे? इस देश में संतों को पाखंडी कहा जाना, कब तक सहेंगे? एक दिन भगवान राम का भी संयम खो गया था। उन्होंने भी बाण मारकर समुद्र को सुखा दिया था, और रावण का दमन कर दिया था। भोले-भाले सनातनी ये कब तक सहेंगे? एक बात मैं साफ-साफ कहता हूं, हम सनातन के लिए प्राण भी देने को तैयार हैं, और अगर लोगों की दृष्टि में हम असंयमित हैं, तो हमें बने रहने दीजिए।’

जब रजत शर्मा ने कहा कि ऐसे भड़काऊ बयान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को यह कहने का मौका दे देते हैं कि हिंदू नेता नफरत फैला रहे हैं और समाज में नफरत पैदा कर रहे हैं, शास्त्री ने जवाब दिया: ‘हम करें तो चोरी, वे करें तो सीना जोरी। उनके मंचों से मारने-काटने की बात होती है तब कुछ नहीं। अक्षरधाम में 40 हिंदुओं को मार दिया गया। उन्होंने हमारे संतों को गालियां दीं। हमें आज भी रोज 500 गालियां बकी जाती हैं। क्या यह सही है?’

शास्त्री ने आगे कहा, ‘हमें नहीं लगता कि हिंदू समाज धमकियां देता है। वह सिर्फ जवाब देता है। हम किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं। हम कट्टर सनातनी हैं। हमें मुस्लिमों का डर नहीं है, ईसाई पादरियों का डर नहीं है, न तो सनातनियों का विरोध करने वाले जयचंदों का। मैंने मसलने वाला विषय किसी मुसलमान के लिए नहीं बोला। यह एक हिंदू व्यक्ति के लिए ही बोला था, जिसने हमारे संतों पर अंगुली उठाई थी। बोलना हमारा मौलिक अधिकार है, हम भी भारतीय नागरिक हैं। ‘

जब रजत शर्मा ने बुलडोज़र रखने के उनके विवादित बयान के बारे में पूछा, तो कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया , ‘ हमने कभी बंदूक की बात नहीं की। हमने बुलडोजर की बात की। हमें लगता है कि वर्तमान समय में आत्मरक्षा के लिए सब कुछ जरूरी है। बुलडोजर पूरी तरह अहिंसक होते हैं।’

रजत शर्मा: ‘बुलडोजर कब से अहिंसक हो गए?’

शास्त्री: ‘वह कुआं खोदने के भी तो काम आता है। हमने कहा था कि अगर कोई भगवान राम की यात्रा पर पत्थर फेंकेगा, तो बचाने के लिए बुलडोजर खरीदो। किसी को अगर अपने शरीर की दिक्कत है या पंथ की दिक्कत है, तो वह क्रेन खरीद ले, हमें क्या। हम किसी को रोक नहीं रहे। लेकिन अभी हमारे पास इतना रुपया नहीं आया कि हम बुलडोजर खरीद लें।’

रजत शर्मा: ‘ये कैसे गुरु हैं जिनकी परंपरा में कभी भाला और कभी बुलडोजर आता है, और फिर भी आप कहते हैं कि मैं अहिंसा की बात करता हूं।’


शास्त्री: ‘यह हमारी परंपरा है, भगवान राम की परंपरा है।’

रजत शर्मा: ‘भगवान राम के समय में भी बुलडोजर थे?’

शास्त्री: ‘भगवान राम के समय धनुष बाण हुआ करते थे। अब टेक्नॉलजी बढ़ गई है तो बुलडोजर आने लगे हैं। टेक्नॉलजी के हिसाब से हमें भी बदलना चाहिए। परिवर्तन प्रकृति का नियम है।’

रजत शर्मा: ‘आप क्या करेंगे बुलडोजर का? ’

शास्त्री: ‘आत्मरक्षा। घर के बाहर रखेंगे और लोगों से कहेंगे कि देखो भाई यहां मत आना, वरना ये भी है। सिपाही जो बंदूकें रखे होते हैं उन्हें चलाते थोड़े ही हैं। ये तो दिखाने के लिए होती हैं कि कुछ करना मत।’

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