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आदि शंकराचार्य की प्रतिमा

भोपाल: मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण करेंगे। करीब 2100 करोड़ की लागत से बने इस प्रोजेक्ट में ‘एकात्म धाम’ के अंतर्गत अष्टधातु से तैयार आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची ‘एकात्मता की प्रतिमा’ स्थापित की गई है। इसके साथ ही ‘अद्वैत लोक’ नाम से एक संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान भी बनाया गया है। आज शिवराज मूर्ति का अनावरण करेंगे तो अद्वैत धाम का शिलान्यास और भूमिपूजन भी करेंगे।

CM शिवराज का कार्यक्रम-

  • सुबह – 10.30 से 11.00 बजे-साधु संतों के साथ कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे शिवराज
  • 11 से लेकर 12:00 तक- केरल की पारंपरिक पद्धति से सीएम और संतों का स्वागत
  • दोपहर 12 बजे- शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण, अद्वैत लोक का भूमि पूजन
  • 12.15 से 12.30- 101 बटुकों द्वारा वेदोच्चार और शंखनाद
  • 3.25 से 3.50- शारदा पीठ शृंगेरी,शारदा पीठ द्वारिका और काशी पीठ के शंकराचार्य शुभकामना देंगे
  • 3.40 बजे- सीएम शिवराज का संबोधन

देखें वीडियो-

हाईटेक होगा ‘एकात्म धाम’


ओंकारेश्वर आदि शंकराचार्य की ज्ञान स्थली है इसलिए यहां उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित कराई गई है। खंडवा जिले में नर्मदा नदी किनारे स्थित ओंकारेश्वर मंदिरों का शहर है। भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर में स्थित है। आठवीं शताब्दी के दार्शनिक व हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का नाम एकात्मता की प्रतिमा रखा गया है। यह विशाल प्रतिमा नर्मदा नदी के किनारे सुरम्य मांधाता पहाड़ी के ऊपर स्थित है। सीएम को 18 सितंबर को भव्य प्रतिमा का अनावरण करना था, लेकिन क्षेत्र में भारी बारिश के कारण कार्यक्रम को 21 सितंबर को पुनर्निर्धारित किया गया।

एकात्म धाम में प्रतिमा के साथ एक संग्रहालय भी बनाया जा रहा है, जो पुराने मंदिरों की स्थापत्य शैली की तर्ज पर होगा। इसमें 3D होलोग्राम प्रोजेक्शन गैलरी के साथ ही प्रशिक्षण केंद्र आचार्य के सिध्दांत को समझाने और साझा करने के केंद्र के तौर पर काम करेगा।

बाल्यावस्था में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे शंकराचार्य

मूर्ति का अनावरण राज्य में विधानसभा चुनावों से करीब 2 महीने पहले किया जा रहा है। माना जाता है कि केरल में जन्मे शंकराचार्य बाल्यावस्था में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे जहां उन्हें उनके गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले थे और उन्होंने इस धार्मिक नगरी में चार वर्ष रहकर विद्या प्राप्त की थी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ओंकारेश्वर से 12 वर्ष की आयु में देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रस्थान किया था। सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि ओंकारेश्वर में ‘‘अद्वैत लोक’’ नाम के संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान की स्थापना के साथ ही 36 हेक्टेयर पर ‘‘अद्वैत वन’’ भी विकसित किया जा रहा है।

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आदि शंकराचार्य की प्रतिमा

‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ के साथ एकात्म धाम का निर्माण 

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एमपीएसटीडीसी) के मार्गदर्शन में प्रतिमा को तैयार किया गया है और एकात्मता की प्रतिमा आदि शंकराचार्य की विरासत और उनकी गहन शिक्षाओं को प्रदर्शित करती है। यह सांस्कृतिक परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुप्रतीक्षित दृष्टिकोण- ‘वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) को पूरा करेगी। इस 108 फुट ऊंची प्रतिमा के साथ, मध्य प्रदेश सभी धर्मों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने पहले 2,141.85 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसके तहत ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय के साथ आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनाई जानी थी।

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