शहद की स्टैंडर्ड...- India TV Paisa
Photo:FREEPIK शहद की स्टैंडर्ड प्राइस

मधुमक्खी पालक किसानों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ एपीकल्चर इंडस्ट्री (CAI) ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड से मधुमक्खी पालक किसानों के शहद के लिए एक स्टैंडर्ड प्राइस तय करने की मांग की है। उनका कहना है कि मानक मूल्य नहीं होने से किसानों को अपने उत्पाद सस्ते में बेचने को विवश होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में वे मधुमक्खीपालन करने से कतराने लगते हैं। सीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) के कार्यकारी निदेशक को लिखे अपने इस ताजा पत्र में मधुमक्खी पालक किसानों के हित में शहद का मानकीकृत मूल्य निर्धारित करने की मांग दोहराई है।

लागत से कम पर बेचने को मजबूर

उन्होंने लिखा, ‘देशभर में बड़ी संख्या में मधुमक्खी पालक अपना शहद पैकर्स, व्यापारियों और निर्यातकों को वास्तविक उत्पादन लागत से काफी कम दरों पर बेचने के लिए मजबूर हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति न केवल मधुमक्खी पालकों को वित्तीय नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि समग्र मधुमक्खी पालन उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।’

किसानों को मिलता है कम पैसा

उन्होंने कहा, ‘इससे लोग इस क्षेत्र में काम करने से हतोत्साहित हो रहे हैं।’ देवव्रत शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है, ‘हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि सरसों शहद (देश से सबसे अधिक निर्यात होने वाला शहद) की वास्तविक उत्पादन लागत लगभग 100 रुपये प्रति किलो है। जबकि अन्य किस्मों जैसे मल्टी-फ्लोरा, लीची, जामुन और अन्य की उत्पादन लागत लगभग 150 रुपये प्रति किलो है। दुर्भाग्य से, नेशनल बी बोर्ड जैसे शीर्ष निकाय से मूल्य निर्धारण दिशानिर्देशों के अभाव में खरीदारों को बेजा लाभ होता है। वे किसानों से कम भाव पर शहद खरीद करते हैं।’

सरसों शहद के लिए हों स्टैंडर्ड खरीद दर

सीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष शर्मा ने एनबीबी के कार्यकारी निदेशक से इस गंभीर मुद्दे के समाधान के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। उन्होंने सरसों शहद का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के लिए मानकीकृत खरीद दरों को निर्दिष्ट करने की मांग की है।

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