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विशेषज्ञों ने बजट से पहले स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर छूट सीमा बढ़ाने तथा नई कर व्यवस्था में भी इसका लाभ देने का सुझाव दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को 2024-25 का बजट पेश करेंगी। यह नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला प्रमुख नीतिगत दस्तावेज होगा। बीमा कंपनी फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अनूप राऊ ने कहा कि देशभर में स्वास्थ्य देखभाल की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा पिछले नौ साल से अपरिवर्तित बनी हुई है।

महंगाई से जुड़ी हो हेल्थ इंश्योरेंस की लिमिट

उन्होंने कहा, ‘‘यह सबसे अच्छा होगा यदि चिकित्सा बीमा की सीमा मुद्रास्फीति से जुड़ी हो और प्रत्येक एक-दो साल में खुद-ब-खुद इसमें संशोधन हो। साथ ही, नई कर व्यवस्था में भी स्वास्थ्य बीमा का लाभ बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि इसकी पहुंच बढ़ाना महत्वपूर्ण है। इसीलिए, हमें उम्मीद है कि आगामी बजट में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर छूट सीमा में कुछ बढ़ोतरी की घोषणा की जाएगी।’’ बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी तपन सिंघल ने कहा कि कर्मचारियों को कम दरों पर स्वास्थ्य बीमा की पेशकश, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में कमी और 80डी के तहत छूट सीमा में वृद्धि जैसे कर लाभ जैसे सुधार स्वास्थ्य बीमा को अधिक किफायती और सुलभ बनाएंगे।

5 लाख तक की लिमिट कैंसर जैसी बीमारियों के लिये पर्याप्त नहीं

सिंघल ने कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए कटौती की सीमा हटाने से उनका वित्तीय बोझ काफी कम हो जाएगा।’’ राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डीएस नेगी ने कहा कि देश में कैंसर देखभाल में सुधार पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी मरीजों की इन अत्याधुनिक उपचारों तक पहुंच हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आयुष्मान भारत को 70 वर्ष से अधिक आयु वालों तक विस्तारित करना वरिष्ठ नागरिकों के लिए अत्यधिक फायदेमंद होगा। साथ ही इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि पांच लाख रुपये की वर्तमान सीमा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए पर्याप्त नहीं है। इस बीमारी के उपचार की लागत 15-20 लाख रुपये तक हो सकती है।

भारत में चिकित्सा उपकरणों पर सीमा शुल्क सबसे ज्यादा

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एम-ताई) के अध्यक्ष पवन चौधरी ने कहा कि भारत में चिकित्सा उपकरणों पर लगाए गए सीमा शुल्क और कर दुनिया में सबसे ज्यादा हैं और यह सीधे मरीजों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर, सिंगापुर, हांगकांग, इटली और नॉर्वे जैसे देश इस तरह का कोई शुल्क नहीं लगाते हैं। ऑस्ट्रेलिया और जापान केवल न्यूनतम 0.5 प्रतिशत शुल्क लगाते हैं। जबकि अमेरिका में यह दो प्रतिशत और चीन में तीन प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में भारत में चिकित्सा उपकरणों के अवैध आयात का जोखिम है। इस तरह के व्यापार से देश के राजस्व में कमी आएगी।’’

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