उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना न तो सांप्रदायिक है, न ये भड़काऊ है। किसी जगह पर भगवा झंडा लगाना भी कोई गुनाह नहीं हैं। योगी ने कहा कि अगर मुहर्रम का जुलूस कहीं से भी निकल सकता है, तो रामनवमी की शोभायात्रा, हनुमान जयंती की शोभायात्रा या मूर्ति विसर्जन का जुलूस भी कहीं से गुजर सकता है। ये कहना गलत है कि मस्जिद के सामने से जुलूस क्यों निकाला गया। योगी ने कहा कि बिना जाति या मजहब देखे सभी नागरिकों को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन अगर कोई किसी धार्मिक यात्रा पर पत्थर फेंकता है तो एक-एक पत्थरबाज को पकड़ना, उसे सजा दिलवाना भी सरकार का काम है और उनकी सरकार ये काम पूरी प्रतिबद्धता के साथ करेगी।
योगी ने कहा कि ये देश बाबर या ओरंगजेब के रास्ते पर नहीं, राम, कृष्ण और बुद्ध के आदर्शों पर ही चलेगा। योगी ने कहा संभल का सच अब धीरे-धीरे बाहर आ रहा है। संभल में 46 साल से बंद पड़ा मंदिर खुल गया है। प्राचीन कुंए अब सामने आ गए हैं। अब संभल में दंगा करने वाले एक भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा। असल में संभल के बहाने योगी ने विधानसभा में उन सारे सवालों के जबाव दे दिए, जो कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा के बाद तथाकथित सेक्युलरवादियों की तरफ से उठाए जाते हैं। बहराइच में दंगा हुआ, रामगोपाल मिश्र की मौत हुई, तो कहा गया कि हिन्दू जुलूस लेकर मस्जिद के सामने से क्यों गुजरे? मुस्लिम बहुल इलाके में क्यों गए? मस्जिद के सामने डीजे क्यों बजाया? मस्जिद के सामने जयश्रीराम के नारे क्यों लगाए? मस्जिद के सामने भगवा झंडा क्यों लहराया? ये सवाल संभल में हुई हिंसा के बाद भी पूछे गए।
सोमवार को योगी ने सारे सवालों के साफ-साफ जबाव दिए। लेकिन सवाल ये है कि योगी को इतनी साफ और स्पष्ट बात क्यों कहनी पड़ीं? क्या संभल और बहराइच की हिंसा ने योगी को बोलने पर मजबूर किया? समाजवादी पार्टी के नेताओं ने ऐसा क्या कहा जिसके कारण योगी ने कह दिया कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द बाबा साहब अंबेडकर के बनाये संविधान में नहीं था। योगी ने करीब एक घंटे तक सदन में विपक्ष को करारे जवाब दिए। बिना लाग लपेट के साफ-साफ बात की। योगी ने कहा कि ये देश श्रीराम, कृष्ण और भगवान बुद्ध का देश है, उन्हीं के रास्ते पर चलेगा। योगी ने पूछा कि ‘जय श्रीराम’ का नारा सांप्रदायिक कब से हो गया? हिन्दू तो जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रभु राम का नाम लेते हैं, सुबह से लेकर शाम तक राम-राम करते हैं इसलिए अगर कोई जय श्रीराम के नारे को सुनकर भड़कता है, इसका मतलब है उसकी नीयत खराब है।
योगी ने कहा कि मुसलमानों के मजहबी जुलूस भी मंदिरों के सामने से गुजरते हैं, उनमें मजहबी नारे भी लगते हैं लेकिन तब तो हिंसा नहीं होती। योगी ने कहा कि मंदिरों के सामने से मुसलमानों के मजहबी जुलूस शान्ति से गुजरें और मस्जिद के सामने से कोई यात्रा निकले तो हिंसा हो, इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है? योगी ने कहा कि संभल की हकीकत तो अब खुद-ब-खुद सामने आ रही है, मंदिर भी मिल गया है, पुराने कुंए भी मिल रहे हैं, कुंओं से मूर्तियां भी निकल रही हैं। योगी ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलमान भी अपनी जड़ों की तरफ लौट रहे हैं और संभल में जो हुआ, उसके पीछे यही वजह है। योगी ने कहा कि संभल में तुर्क बनाम पठान का खेल चल रहा है।
आम तौर पर हमारे देश के नेता जो कहते हैं, वो करते नहीं हैं। कथनी और करनी में फर्क होता है, लेकिन योगी आदित्यनाथ जो कहते हैं, वो करते हैं, और जो करते हैं, उसे डंके की चोट पर कहते भी हैं। यही बात योगी आदित्यनाथ को दूसरे नेताओं से अलग बनाती है। इसीलिए आज योगी ने उन सारे सवालों के जवाब दिए, जो उनसे बार-बार पूछे जाते हैं। जैसे, क्या योगी हिंदुत्व का एजेंडा चलाते हैं? क्या योगी मुसलमानों की संपत्ति पर बुलडोजर चलवाते हैं? क्या हिंदू, मस्जिदों के सामने DJ बजाते हैं और उन्हें कोई कुछ नहीं कहता? क्या हिंदू दंगे करवाते हैं? क्या जय श्रीराम कहना गुनाह है? क्या भगवा झंडा लहराना अपराध है?
योगी ने हर सवाल का साफ-साफ जवाब दिया। अपनी नीति और नीयत दोनों का खुलासा किया। योगी ने कहा कि भारत की परंपरा बाबर और औरंगजेब की नहीं है, राम, कृष्ण और बुद्ध की है। योगी ने कहा मुसलमानों का जुलूस उन इलाकों से शांतिपूर्ण तरीके से निकलता है,जहां ज्यादा हिंदू रहते हैं, लेकिन जब हिंदुओं की शोभायात्रा मस्जिद के सामने से गुजरती है, तो उसपर पत्थर फेंके जाते हैं। इसलिए शांति और व्यवस्था भंग होती है। योगी ने ये भी साफ किया कि उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की जो भी कार्रवाई होती है, वो सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आधार पर होती है, उसमें हिंदू मुसलमान में कोई फर्क नहीं किया जाता। योगी ने बाबरनामा का जिक्र किया, अल्लामा इकबाल की शायरी की बात की, अल्लाहो अकबर के नारे की बात की और कहा कि अब यूपी में बंदूक की नोंक पर कोई अपनी बात नहीं मनवा सकता। (रजत शर्मा)
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