कई बार लोगों के लिए नई कार खरीद पाना मुमकिन नहीं हो पाता है और वह कार के सपनों को पूरा करना चाहते हैं। ऐसे में वह सेकेंड हैंड या पुरानी कार की ओर रुख करते हैं। कई बार तो कार अच्छी और दुरुस्त मिल जाती है, लेकिन कई बार बाद में परेशानी आती है तो फिर लगता है कि कहां फंस गए। इसी से बचने के लिए यहां हम कुछ खास बातों की चर्चा करते हैं ताकि पुरानी कार खरीदते समय बाद में आपको कोई परेशानी न आए।
इन बातों पर करें गौर
- सेकेंड हैंड कार खरीदते समय सबसे पहला काम है कार की जांच। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार की पूरी तरह से पड़ताल की गई है। आप कार की जांच के लिए किसी मैकेनिक की मदद ले सकते हैं। अगर कार में कोई समस्या है तो आप कीमत पर मोल-तोल कर सकते हैं। कार को ऐसी जगह चलाएं जहां ट्रैफिक कम हो, ताकि कंपन की जांच हो सके।
- यह जरूरी है कि कार के इंश्योरेंस के पेपर और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) की अच्छी तरह से जांच की जाए। यह पड़ताल करें कि कार पर इंजन नंबर और चेसिस नंबर कॉपियों पर दिए गए नंबर से मेल खाते हैं या नहीं। यह भी जांचना जरूरी है कि कार का कोई एक्सीडेंट तो नहीं हुआ है।
- ऐसा कार खरीदने से पहले गाड़ी की हिस्ट्री की जांच करना जरूरी है। कार के बारे में कई जानकारी ऑनलाइन मिल जाती है। कार के इतिहास की जांच करने से यह पता चलता है कि कार का कोई एक्सीडेंट तो नहीं हुआ है और सर्विस से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं है।
- कार खरीदने के बाद, सुनिश्चित करें कि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आपके नाम पर ट्रांसफर हो हो गया है। अगर कार किसी दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड है, तो एनओसी की जरूरत होती है। अगर कार पिछले मालिक द्वारा लोन पर खरीदी गई है, तो एनओसी की भी जरूरत होती है।
- कार बीमा पॉलिसी को तुरंत अपने नाम पर ट्रांसफर किया जाना चाहिए। अगर बीमा पॉलिसी पिछले मालिक के नाम पर है, तो बीमा पॉलिसी कैंसिल हो जाती है, भले ही आरसी आपके नाम पर हो।
- कार का इस्तेमाल शुरू करने से पहले उसकी सर्विसिंग करवाना बहुत जरूरी है। अगर उसमें जंग लगी है, तो उसे ठीक करवा लें। पहली बार इस्तेमाल करने से पहले कार के तरल पदार्थ बदलें और उसे साफ करें।